सावधान! उत्तराखंड में हैंड-फुट और माउथ डिजीज की दस्तक, माता पिता बच्‍चों का रखें ख्‍याल..

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Hand-foot and mouth disease knock in Uttarakhand. Hillvani News

Hand-foot and mouth disease knock in Uttarakhand. Hillvani News

देश के कई राज्यों केरल, दिल्ली, उत्तरप्रदेश के बाद अब उत्तराखंड में भी बच्चों में होने वाली हैंड-फुट और माउथ डिजीज के मामले हरिद्वार में पाये गए हैं। आपको बता दें कि असल ये बीमारी है क्या और इस बीमारी के बारे में डॉक्टरों का कहना क्या है? दरअसल इस बीमारी में बच्चों को हल्का बुखार आता है। उसके साथ-साथ पैरों और हाथों पर लाल रंग के दाने भी निकल सकते हैं किसी किसी को मुंह में छाले की भी शिकायत हो जाती है। डॉक्टरों का कहना है कि ये बीमारी कॉक्सेकी वायरस की वजह से होती है, ये वायरस काफी संक्रामक होता है। ये बीमारी आमतौर पर पांच साल से छोटे बच्चों को संक्रमित करती है। वहीं उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में इस बीमारी के मामले सामने आये हैं। जिला अस्पताल की ओपीडी में रोजाना एक से दो बच्चे लक्षणों के साथ आ रहे हैं।

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सरकारी अस्पताल के अलावा प्राइवेट चिकित्सकों की ओपीडी में भी बच्चे पहुंच रहे हैं। जिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ के मुताबिक इस रोग से बच्चों को खतरा नहीं है लेकिन लक्षणों के दिखते ही तुरंत इलाज कराना चाहिए। बीते कुछ दिनों में अभी तक एचएफएमडी बीमारी से पीड़ित करीब 20 बच्चे जिला अस्पताल में इलाज के लिए पहुंच चुके हैं। एक निजी अस्पताल में भी इस माह में अभी 15 बच्चे इस रोग के लक्षण वाले पहुंच चुके हैं। निजी अस्पताल के संचालक ने बताया कि इस रोग से पीड़ित एक बच्चे का उनके अस्पताल में इलाज भी चल रहा है। अस्पतालों में बच्चों में हाथ, पैर और मुंह की बीमारी के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। जिसके बाद वायरस के प्रसार को रोकने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।

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बीमारी संक्रामक
एचएफएमडी वायरल फीवर है। इस वायरल संकमण की वजह से बच्चों के हाथ पैरों, बांह की कलाई और मुंह पर लाल फफोले निकल जाते हैं। कुछ बच्चों को तेज बुखार भी होता है। ये काफी संक्रामक है हालांकि ये खतरनाक नहीं है।
एडवाइजरी हुई है जारी
स्वास्थ्य विभाग ने बच्चों की हैंड, फुट, माउथ डिजीज (एचएफएमडी) को लेकर कुछ दिनों पहले अलर्ट जारी किया है। प्रदेश के सभी जिलों जिलाधिकारी और सीएमओ को इस बीमारी से बचाव के उपाय करने के निर्देश दिए गए हैं। कई स्कूलों ने बच्चों के माता-पिता के लिए एडवाइजरी जारी की है। जिसमें कहा गया है कि यह एक सामान्य बीमारी है, लेकिन काफी संक्रामक वायरल बीमारी है जो आमतौर पर 5 साल से कम उम्र के बच्चों को संक्रमित करती है।

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ये हैं बीमारी के लक्षण
चिकित्सकों के मुताबिक जो बच्चे इस वायरस से संक्रमित होते हैं उनके शरीर में चकत्ते निकल जाते हैं, उनमें से कुछ को जोड़ों में दर्द, पेट में ऐंठन, जी मिचलाना, थकान-उल्टी आना, डायरिया, खांसी, छींक आना, नाक बहना, तेज बुखार और शरीर में दर्द की भी शिकायत होती है।
ये उपाय करें
अगर कोई संक्रमित है तो उसको अन्य लोगों को संपर्क में नहीं आना चाहिए। आइसोलेशन में रहना जरूरी है। इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए संक्रमितों के बर्तन, कपड़े रोजमर्रा में इस्तेमाल की जाने वाली अन्य वस्तुओं को साफ करना चाहिए। संक्रमित के संपर्क में किसी को नहीं आना चाहिए।
संक्रमित बच्चों को पहनाएं मास्क
इस बीमारी का संक्रमण छींकने, खांसने और लार की वजह से फैलता है। ऐसे में संक्रमित बच्चों को मास्क पहनाने के साथ ही एहतियाती कदम उठाए जाएं। साथ ही अस्पतालों में सभी दवाओं की उपलब्धता के भी निर्देश दिए गए हैं।

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इन बातों का रखें ध्यान
1- अगर किसी बच्चे को यह लक्षण आएं तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं और स्कूल या ट्यूशन आदि जगह न भेजें। ताकि अन्य बच्चों में यह बीमारी न फैले।
2- इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए तरल पदार्थ, फल का सेवन अधिक कराएं।
3- बार-बार हाथ धोएं और मास्क लगाकर रखें।
4- वयस्कों में इसके फैलने की संभावना बहुत कम रहती है।
5- यह एक बच्चे से 10 बच्चों को संक्रमित कर सकता है।
6- किसी बच्चे को यह दिक्कत होती है तो तुरंत डाक्टर को दिखाकर बच्चे को घर में क्वारंटाइन कर लें।
7- छह-सात दिन के उपचार से बच्चा ठीक हो जाएगा।

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