बरसात में होने वाली 10 बीमारियां, जानकारी रखना ही है बचाव..

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10 diseases that occur in the rainy season. Hillvani News

10 diseases that occur in the rainy season. Hillvani News

बरसात का मौसम बीमारियों को आमंत्रित करने का मौसम होता है, क्योंकि इस मौसम में बारिश से कई स्थानों पर जलजमाव, कीचड़ व गंदगी से पैदा होने मच्छर व बैक्टीरिया बीमारियां फैलाते हैं। इसके अलावा मौसम में नमी के कारण बैक्टीरिया अधिक पनपते हैं जो पानी और खाद्य पदार्थों को दूषित कर, शरीर की बीमारियों का कारण बनते हैं। जानिए बरसात में होने वाली 10 बीमारियों के बारें में…

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डेंगू (Dengue)- बरसात के मौसम में मच्छरों के कारण होने वाली बीमारी की बात की जाए, तो पिछले कुछ वर्षों में डेंगू का सबसे ज्यादा प्रकोप रहा है। यह बीमारी एडीज एजिप्टी मच्छरों के काटने से फैलती है। सिरदर्द, थकान, जोड़ों में दर्द, प्लेटलेट्स कम होना आदि डेंगू के लक्षण हो सकते हैं।
येलो फीवर (Yellow Fever)- एडीज एजिप्टी मच्छर ही येलो फीवर का कारण भी बनता है। इस बुखार में मरीज के अंदर पीलिया के लक्षण भी दिखने लगते हैं। हालांकि, इस बुखार के मामले भारत में दिखने दुर्लभ हैं। इसमें बुखार, मतली, उल्टी, सिरदर्द जैसी समस्या होने लगती है।
मलेरिया (Malaria)- डेंगू से पहले लोगों के मन में मलेरिया का काफी डर था। बारिश के कारण मलेरिया के भारी तादाद में मामले देखे जाते थे। यह बीमारी संक्रमित फीमेल एनोफिलीज मच्छर के काटने से फैलती है। इसमें भी बुखार, सिरदर्द, उल्टी जैसे लक्षण दिखते हैं।

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चिकनगुनिया- डेंगू के बाद भारत में चिकनगुनिया के मामलों में भी बढ़ोतरी देखी गई है। चिकनगुनिया भी डेंगू और येलो फीवर वाले मच्छरों के काटने से ही फैलता है। इस बीमारी में बुखार, जोड़ों में दर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते आदि लक्षण दिखते हैं।
लाइम डिजीज- यह बीमारी मुख्यतः Borrelia burgdorferi बैक्टीरिया के कारण होती है। जो कि संक्रमित काली टांगों वाले कीड़ों के काटने से फैलती है। इस बीमारी के मामले भी भारत में कम ही देखने को मिलते हैं।
कोल्ड और फ्लू- बरसात के मौसम में वातावरण में कई बैक्टीरिया और वायरस जिंदा रहते हैं। जो नाक, मुंह या आंखों के रास्ते हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और शरीर को बीमार कर देते हैं। इसके कारण सर्दी-जुकाम, खांसी, बुखार जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

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हैजा- विब्रियो कोलेरी नामक जीवाणु से दूषित भोजन या पानी का सेवन करने से हैजा की समस्या हो सकती है। इसके कारण शरीर में डायरिया के लक्षण दिखने लगते हैं और आपको दस्त, पैरों में अकड़न और उल्टी की समस्या हो सकती है।
लेप्टोस्पायरोसिस- यह बीमारी मॉनसून (मानसून) के दौरान काफी बढ़ जाती है। 2013 के दौरान भारत में इसके मामले देखे गए थे। जानवरों के यूरिन व स्टूल में लेप्टोस्पाइरा नामक बैक्टीरिया होने के कारण यह बीमारी होती है। जो कि जानवरों के संक्रमित यूरिन-स्टूल के संपर्क में आने से इंसानों या दूसरे जानवरों में फैल सकती है। इस बीमारी में भूख में कमी, पीठ के निचले हिस्से में दर्द, खांसी आदि मुख्य लक्षण शामिल होते हैं।
हेपेटाइटिस ए- हैजा की तरह हेपेटाइटिस भी दूषित पानी या खाने के सेवन से होता है। इस बीमारी के कारण लिवर सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। इसमें बुखार, उल्टी आदि समस्याएं होने लगती हैं।
टाइफाइड- टाइफाइड बुखार के मामले बारिश के मौसम में बढ़ जाते हैं। जो कि साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया के कारण होता है। इस बीमारी के कारण शरीर में सिरदर्द, बुखार, भूख में कमी, कब्ज, दस्त आदि समस्याएं हो सकती हैं।

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बारिश के मौसम में होने वाली बीमारियों से बचाव
बारिश के मौसम में होने वाली बीमारियों से बचाव अमूमन एक जैसे होते हैं. जैसे-
-संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें।
-गमले, कूलर, खाली बर्तन आदि में बारिश का पानी जमा ना होने दें।
-पीने का पानी और सब्जियां व फल साफ रखें।
-हाथों, पैरों को अच्छी तरह धोयें।
-मच्छर भगाने वाली चीजों व कीटनाशक का इस्तेमाल करें।
-भरपूर नींद लें और शारीरिक व्यायाम करें।
-जहां तक हो सके, बाहर का खाना खाने से बचें।
-अपने कपड़ों को सूखा रखें, ताकि फंगल इन्फेक्शन न हो।

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