देवताओं का ताल: यहां है प्रकृति का अद्भुत और खूबसूरत संगम, ताल से जुड़ी हैं कई रोचक कथाएं..

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उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद के ऊखीमठ विकासखड़ से कुछ दूरी पर स्थित है एक सुंदर और अदभुत ताल जिसे कहा जाता है देवरिया ताल… यह एक फारेस्ट और बुग्याल कैचमेंट झील है जो वर्षभर पानी से भरी रहती है। उत्तराखंड में इस तरह की कई ताल है जिसमें प्रमुख है भेंकलनाग ताल, महासरताल, डोडीताल, बधाणी ताल, सात ताल, नौकुचियाताल आदि प्रमुख है। देवरियताल समुद्र 7500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां से केदारनाथ, केदारडोम, मंदानी, जनकुट, चौखंबा पर्वत ऐसे दिखते है मानो अभी हाथ बढ़ाकर छू लें। वैसे तो देवरियाताल जाने का सबसे अच्छा समय नवंबर से अप्रैल माह तक होता है लेकिन आप वर्ष भर यहां आ सकते है। देवरिया ताल से आप रोहणी बुग्याल होते हुए चोपता-तुंगनाथ जा सकते हैं और वहीं दूसरे ट्रैक से आप सीधे बिसुडी ताल भी जा सकते है। देवरिया ताल रुद्रप्रयाग मुख्यालय से करीब 49 किमी की दुरी पर स्थित है। यहां पर पर्यटक ट्रैकिंग और ताल की सुंदरता देखने के लिए अधिकतर पहुंचते हैं। यहां आपको अनेक मनोरम स्थल देखने को मिलेंगे और यदि आपको यहां घुमने में देर हो जाए या रात हो जाए तो यहां पर रात को रुकने की उचित व्यवस्था भी है। यहां रुकने के लिये आप कैंप, होटल में रुक सकते हैं।

देवरिया ताल पहुचने के लिये आपको सबसे पहले श्रीनगर गढ़वाल उसके बाद रुद्रप्रयाग और यहां से ऊखीमठ पहुचना होगा। जिसके बाद आप ऊखीमठ से सारी गांव पहुंचना होगा। सारी गांव देवरिया ताल का आधार शिविर है। इस गांव में वर्तमान में 45 के करीब होमस्टे हैं जिसके चलते यहां रहने और खाने में कोई दिक्कत नहीं होती हैं। सारी गांव पहुंचने के बाद आपकों ढाई से तीन किमी. की पैदल यात्रा करनी होगी, जिसे ट्रेकिंग कहते हैं। ट्रेकिंग कर आप प्रकृति के सुन्दर नजरों का आनन्द ले सकते हैं और रास्ते में आप सुन्दर प्राकृतिक सौन्दर्य का आनन्द लेते हुए आगे का सफ़र तय करते हैं जो की अत्यन्त मनोरम सफर है। जब आप यहां से ट्रेकिंग करते हुए आगे बढतें हैं तो आपकों चारों तरफ प्रकृति का सुंदर नजारा तो दिखता ही है साथ ही आपको काफी हरे भरे पेड़ भी दिखाई देते हैं जब आप जंगलों के बीच से होते हुए आगे बढ़ते हैं तो आपको बांज, बुरांश, मौरू, खर्सू सहित कई प्रजाति की वनस्पतियां यहां दिखती हैं। इस ट्रेकिंग में आपको रंगबिरंगी चिड़िया भी दिखती हैं जिनकी मधुर चहचहाठ आपकों आनंदित कर देती हैं।

देवरिया ताल की महाभारत से जुड़ी पौराणिक मान्यता
देवरिया ताल को महाभारत काल से जोड़ा जाता है। मान्यताओं के मुताबिक पांडवों से एक बड़ी ही रोचक कथा यहां से जुड़ी हुई बताई जाती है। जिसके अनुसार पांडव जब वनवास पर थे तब उन्हें एक बार पानी की बहुत प्यास लगी थी तब पांडव पानी पीने के लिए एक तालाब के निकट जाते हैं। जहां उनसे पानी पीने से पूर्व कुछ प्रश्न किए जाते है परन्तु चार पांडव भाइयों द्वारा सही उत्तर न देने पर वे मुर्छित हो जाते हैं जिसके बाद युधिष्ठिर अपने भाइयों की खोज में आते हैं, जहां उन्हें सभी भाई मुर्छित अवस्था में मिलते हैं जिसे देख वे अत्यतं दुखी हो जाते हैं। इसके बाद युधिष्ठिर की भेंट यक्ष महाराज से होती है तथा यक्ष द्वारा वचन देने पर की यदि युधिष्ठिर द्वारा उनके सभी प्रश्नों का सही उत्तर दे दिया तो यक्ष उनके सभी भाइयों को जीवित कर देंगे। अंत में युधिष्ठिर द्वारा सभी प्रश्नों के सही उत्तर देने पर यक्ष द्वारा उनके सभी भाइयों को जीवित कर दिया गया था।

देवरिया ताल से जुड़ी अन्य मान्यताएं
देवरियाताल के विषय में अन्य पौराणिक मान्यता भी हैं कि शिव भक्त देत्यराज बाणासुर की पुत्री ऊषा और उसकी सहेली चित्रलेखा स्नान के लिए इसी ताल में पहुंचती थी। देवताओं का हरण करने के कारण भी इस ताल का नाम देवरियातल पड़ा। वहीं मान्यता यह भी है कि इस ताल में शेषनाग का वास है। हर साल जन्माष्टमी के मौके पर देवरियाताल में मेले का आयोजन भी किया जाता है। इस मेले में ओंकारेश्वर मंदिर से भगवान ओंकार की डोली, सारी से कृष्ण भगवान की डोली, नाग देव की डोली और मनसूना से माता रानी की डोली भी पहुंचती है। देवरिया ताल को पुराणों में इंद्र सरोवर भी कहा गया है, जिसका कारण यह है की देवता इस ताल में स्नान करने आते थे। जिस कारण इसे इंद्र सरोवर के नाम से भी जाना जाता है।

देवरिया ताल का खूबसूरत ट्रेकिंग
अपने आसपास की पहाड़ियों और रास्ते में पड़ने वाले अद्धभूत नजारों को समेटे हुए देवरिया ताल ट्रेकिंग और कैम्पिंग के लिए सबसे अच्छी जगहें में से एक है। देवरिया ताल सारी गांव से करीब 3 किमी की ट्रेकिंग की दूरी पर स्थित है। देवरीताल के ट्रैकिंग मार्ग में पड़ने वाला भरा हरा जंगल प्रमुख आकर्षण है। इसके अलावा बर्ड वाचिंग भी इस ट्रेक को और अधिक ख़ास बना देती है जिसमें कई रंग बिरंगे पक्षियों को देखा जा सकता है। जिस वजह से हर साल हजारों पर्यटक और ट्रेकर्स यहां घूमने आते है।

शानदार है देवरिया ताल कैम्पिंग
देवरिया ताल कैम्पिंग के लिए भी बेहद खास और सुरम्य जगह है। इस शांति प्रिय झील के किनारे अपने फ्रेंड्स के साथ कैम्पिंग करना यकीनन लाइफ के सबसे बेस्ट मूमेंट्स में से एक हो सकता है। इस झील के किनारे कैम्पिंग करते हुए दिन में हिमालय के बर्फ से ढके पहाड़ देख सकते है जबकि रात में झील के किनारे से टिमटिमाते तारों को देखा जा सकता है जो बेहद आकर्षक और मनमोहनीय होते है।

देवरिया ताल की पहुंचने की बेस्ट टाइमिंग
जो भी पर्यटक देवरिया ताल ट्रेकिंग और यहां घूमने के लिए आने वाले है हम उन्हें बता दे देवरिया ताल झील हमेशा खुली रहती है। आप कभी भी यहां घूमने आ सकते है। लेकिन ध्यान दे जब भी देवरिया ताल की ट्रिप पर आयें तो कम से कम 2 या 3 घंटे का समय यहां जरूर बिताएं। वैसे तो देवरियाताल जाने का सबसे अच्छा समय नवंबर से अप्रैल माह तक होता है लेकिन आप वर्ष भर यहां आ सकते है।

देवरिया ताल के आसपास घूमने की जगहें
यदि आप देवरिया ताल की ट्रिप पर जाने वाले है तो क्या आप जानते है ? देवरिया ताल के आसपास भी एक से बढ़कर एक पर्यटक स्थल मौजूद है जहां आप अपनी देवरिया ताल की यात्रा के दौरान घूमने जा सकते है तो आइये हम आपको बताते हैं कि देवरिया ताल के साथ साथ आप आसपास और कौन सी जगह घूम सकते हैं जिनमें इन्द्राणी मनसा देवी मंदिर, ऊखीमठ, कार्तिक स्वामी, चोपता, तुंगनाथ मंदिर, चन्द्रशिला, वासुकी ताल, रुद्रनाथ मंदिर, गौरीकुंड, गुप्तकाशी मंदिर, कालीमठ तीर्थ स्थल व ट्रेकिंग मार्ग हैं।

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