जोशीमठ के आपदा प्रभावितों को मिलेगा घर? क्षतिग्रस्त मकानों में रहने वापस क्यों लौट रहे लोग?
Will the disaster affected people of Joshimath get houses? उत्तराखंड के जोशीमठ में दरारों के कारण घरों से बाहर रह रहे परिवारों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। ऐसे में जोशीमठ के कुछ स्थानीय लोगों ने आपदा प्रबंधन सचिव को एक पत्र लिखकर जोशीमठ के आपदा प्रभावित परिवारों को बसाने के लिए एक भूमि का सुझाव दिया है। ज्ञापन में उस भूमि को मूलभूत सुविधाओं से दुरुस्त करने के बाद वहां विस्थापन करने की मांग की गई है। गौंख विकास संघर्ष समिति ने आपदा प्रबंधन सचिन को ज्ञापन भेज कर जोशीमठ के आपदा प्रभावित परिवारों का विस्थापन जोशीमठ से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित राजस्व ग्राम गौंख में करने का सुझाव दिया है। ज्ञापन में कहा गया है कि गौंख में जोशीमठ के मूल निवासी प्रभावित परिवारों का विस्थापन हो सकता है। सरकार को सुझाव दिया गया है कि जोशीमठ नगर के अधिकांश इलाके भू- धंसाव की जद में है। राजस्व ग्राम गौंख में जोशीमठ के मूल निवासियों की भूमि और काफी बड़ा क्षेत्र राजस्व विभाग का भी है। यहां जोशीमठ के मूल निवासी प्रभावित परिवारों का विस्थापन हो सकता है। हालांकि, अभी तक इस गांव में सड़क बिजली पानी और अन्य मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। अगर इस क्षेत्र को मूलभूत सुविधाओं से जोड़ दिया जाए तो यहां प्रभावित मूल निवासियों का विस्थापन संभव है।
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ज्ञापन में लिखा गया है कि सरकार द्वारा प्रभावित परिवारों के विस्थापन के लिए प्रस्तावित गोचर या बमोथ गांव में जोशीमठ के मूल निवासी नहीं जाना चाहते क्योंकि यहां विस्थापित होने से उन्हें काश्तकारी पशुपालन आदि में दिक्कतें आएंगी। उनकी काश्तकारी और पशुपालन की भूमि जोशीमठ में है। दिए गए ज्ञापन में समिति के अध्यक्ष अनिल नंबूरी, सचिव भरत बिष्ट व जितेंद्र बिष्ट, आनंद पवार, देवेंद्र पवार, संग्राम सिंह, संदीप बिष्ट आदि के हस्ताक्षर हैं। वहीं जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के नेता अतुल सती का कहना है कि जब तक सरकार विस्थापन और पुनर्वास नीति तैयार नहीं कर लेती तब तक इन तमाम सुझावों का कोई मतलब नहीं है। कोई भी सुझाव देने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि वहां कितने लोगों का विस्थापन हो सकता है कितनी भूमि स्थानीय लोगों की है और कितनी भूमि राजस्व विभाग की है। अतुल सती ने कहा कि वह प्रस्ताव देने वालों की भावनाओं का सम्मान करते हैं। वे जोशीमठ के आपदा प्रभावित परिवारों से बातचीत करने के बाद सरकार को तमाम सुझाव दे चुके हैं। उनकी ओर से दिए गए सुझावों में सरकार को सुझाई गई जगह का पूरा विवरण दिया गया है।
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क्षतिग्रस्त मकानों में रहने वापस क्यों लौट रहे लोग।Will the disaster affected people of Joshimath get houses?
आपको बता दें कि उत्तराखंड के जोशीमठ में भूधसाव और दरारों को 1 वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है। पिछले वर्ष जनवरी माह से जोशीमठ में दरार और भूधसाव का सिलसिला शुरू हुआ था। इस दौरान लगभग 181 भवनों को असुरक्षित घोषित किया गया था। इनमें से कुछ मकानों का भुगतान कर भवन स्वामियों को भवन खाली करने को कहा गया था। ये प्रभावित परिवार 1 वर्ष बाद भी अपने क्षतिग्रस्त मकानों में रह रहे हैं। साथ ही सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक इन घरों में किराएदार भी रखे गए हैं। सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से खतरनाक इन घरों में रहने वाले लोगों को यहां न रहने को कह दिया गया था। कुछ परिवार आज भी इन क्षतिग्रस्त भवनों में रह रहे हैं। इस आपदा की जद में आए 24 परिवार ऐसे हैं जो आज भी अपने मकान को छोड़कर किराए के मकान में रह रहे हैं। अब उन्हें किराया अपनी जेब से वहन करना पड़ रहा है। वहीं तहसीलदार रवि शाह ने बताया कि कुछ लोग चोरी छुपे भुगतान हो चुके क्षतिग्रस्त मकानों में रह रहे हैं, उनकी सूची प्रशासन के पास है। पालिका और प्रशासन की संयुक्त टीम द्वारा निरंतर छापेमारी की जा रही है। इन लोगों को हिदायत दी जा चुकी है कि यह अपने क्षतिग्रस्त मकानों में ना रहें। साथ ही बिजली विभाग और जल संस्थान को इन क्षतिग्रस्त मकान का बिजली पानी काटने को कहा गया है। अभी जो मकान मालिक किराए के मकान में रह रहे हैं, प्रशासन की ओर से उन मकान मालिकों को नवंबर महीने तक का किराया दिया जा चुका है। बाकी बचा किराया जल्द ही दे दिया जाएगा।
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