कर्नल का नियुक्ति मामला: आखिर क्या है ए स्कावर और निर्मला ट्रस्ट का रिश्ता? जांच जरूरी..
देहरादून: प्रदेश में दो दिन पहले पैंसे लेकर नौकरी देने का एक मामला प्रकाश में आया था। जिसमें नौकरी के नाम पर बेरोजगार युवाओं से अवैध पैंसे वसूल कर जॉइनिंग दी जा रही थी। ए स्क़वायर नाम की आउटसोर्स कंपनी प्रदेश के बेरोजगारों के साथ छलावा कर रही थी। इस भ्रष्टाचार का खुलासा तब हुआ जब आउटसोर्स कंपनी ने पैंसे लेकर उत्तराखंड आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार कर्नल अजय कोठियाल को ही चौकीदार की नौकरी दे दी। जिसके बाद अजय कोठियाल अपॉइंटमेंट लेटर लेकर उत्तराखंड सचिवालय में नियुक्ति लेने पहुंच गए थे। कर्नल कोठियाल के साथ कई बेरोजगार भी उत्तराखंड सचिवालय पहुंचे थे।
आपको बता दें कि महिला कल्याण एवं बाल विकास विभाग में नियुक्ति के लिए लखनऊ की ए स्कावर एजेंसी को काम दिया गया है। आरोप है कि यह एजेंसी नियुक्ति आदेश देने से पहले निर्मला सिंह सेवा समिति (ट्रस्ट) के खाते में बेरोजगारों से दान देने को कहती है। दान की रसीद भेजने के बाद ही नियुक्ति पत्र जारी किया जाता है। ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या ये प्रकरण दान की आड़ में सरेआम रिश्वतखोरी का है। खुलासे के बाद भी जांच की बात कोई नहीं कर रहा है। इस एजेंसी के बारे में यूं तो सवाल पहले भी उठते रहे हैं। लेकिन आप नेता कर्नल अजय कोठियाल ने इसे साबित भी कर दिया है। इस एजेंसी ने ट्रस्ट के खाते में 25 हजार रुपये जमा करवाकर कोठियाल को विभाग में चौकीदार की नौकरी दे दी।
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इसकी बकायदा विभागीय अपर सचिव से शिकायत भी गई। लेकिन अब जांच की बात कोई नहीं कर रहा है। विभागीय मंत्री रेखा आर्य भी मीडिया में कह रहीं हैं कि कोई शिकायत आएगी तब जांच होगी। अहम बात यह भी है कि इस प्लेसमेंट एजेंसी का पता जानकीपुरम, लखनऊ का है। और जिस निर्मला सिंह सेवा समिति के खाते में कथित दान की राशि जमा करवाई जा रही है, उसका पता भी जानकीपुरम का ही है। ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि इस प्लेसमेंट एजेंसी और ट्रस्ट का आपस में क्या रिश्ता है। सवाल यह भी है कि क्या एजेंसी और ट्रस्ट के संचालक एक ही हैं। अगर ऐसा है तो यह सीधे तौर पर दान की आड़ में सरेआम रिश्वतखोरी का धंधा चल रहा है। सूत्रों का कहना है कि अगर इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच हो तो कई सफेदफोश चेहरों से शराफत का नकाब हट जाएगा।