रुद्रप्रयाग : बूंद-बूंद पानी को तरस रहे ग्रामीण, लंबे समय से पानी की समस्या को दूर करने की कर रहे मांग..
Villagers yearning for every drop of water : पहाड़ों में अप्रैल के महीने से ही पानी की किल्लत होनी शुरू हो गई है। रुद्रप्रयाग जिले के कई इलाकों में ग्रामीण पेयजल संकट से जूझ रहे है। तल्लानागपुर पट्टी के चोपता क्षेत्र में पेयजल को लेकर हाहाकार मचना शुरू हो गया है। यहां हर साल गर्मी बढ़ते ही पानी की बूंद-बूंद के लिए ग्रामीणों को मोहताज होना पड़ता है। ग्रामीण लंबे समय से पानी की समस्या को दूर करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन इस समस्या का समाधान करने के बजाय टैंकरों से प्यास बुझाई जा रही है।
बता दे तल्लानागपुर पट्टी के चोपता बाजार सहित अन्य इलाकों में पेयजल संकट गहराने से व्यापारियों का व्यापार और ग्रामीणों की दिनचर्या खासी प्रभावित होने लगी है। व्यापारियों और ग्रामीणों को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ रहा है।
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दशकों से विवादों में है पेयजल योजना | Villagers yearning for every drop of water
ग्रामीणों के साथ ही मवेशियों को भी पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिल पा रहा है, जिस कारण ग्रामीणों का पशुपालन व्यवसाय से धीरे-धीरे मोहभंग होने लगा है। तल्लानागपुर के विभिन्न गांवों को पेयजल आपूर्ति सुचारू करने के लिए 80 के दशक में कई करोड़ों रुपये की लागत से तुंगनाथ-चोपता-तल्लानागपुर पेयजल योजना का निर्माण किया गया था। मगर पेयजल योजना के निर्माण में लाखों रुपये का वारा-न्यारा होने से पेयजल योजना दशकों से विवादों में है।
जल निगम व जल संस्थान पेयजल योजना के रख-रखाव व मरम्मत पर प्रति वर्ष लाखों रुपये खर्च कर रहा है। बावजूद इसके पेयजल संकट बना हुआ है। जल संस्थान की ओर से चोपता में दो टैंकरों के माध्यम से पेयजल आपूर्ति की जा रही है, मगर आबादी की तुलना में टैंकरों की क्षमता कम होने से ग्रामीण परेशान हैं।
ग्रामीणों को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ रहा | Villagers yearning for every drop of water
स्थानीय व्यापारी दिनेश नेगी ने बताया कि पेयजल आपूर्ति के लिए स्वीकृत धनराशि की बंदरबांट होने से ग्रामीणों को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता पंचम सिंह नेगी ने बताया कि टैंकरों की सप्लाई का समय व तिथि निर्धारित न होने से पेयजल आपूर्ति नहीं हो पा रही है।
उन्होंने कहा कि यदि समय रहते पेयजल समस्या से निजात नहीं दिलाई गई तो व्यापारियों व ग्रामीणों को आन्दोलन व चक्काजाम के लिए विवश होना पड़ेगा, जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी। कुंडा निवासी उर्मिला देवी व सुलोचना देवी ने बताया कि डेढ़ माह से क्षेत्र में भारी पेयजल संकट बना है। सरकार व प्रशासन मौन बैठे हैं। ऐसे में आन्दोलन के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।
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