Uttarkashi Tunnel Collapse: रेस्क्यू का छठा दिन… मजदूरों का सब्र अब जवाब दे रहा, उठे नाकामी पर सवाल..
Uttarkashi Tunnel Collapse: पिछले पांच दिनों से सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों का सब्र अब जवाब दे रहा है। वह बोल रहे हैं कि हमें कब बाहर निकालोगे। सिलक्यारा की सुरंग में फंसे 40 मजदूरों को बचाने के लिए सरकार ने प्लान दर प्लान बना लिए लेकिन पांचवें दिन तक भी मजदूर बाहर की आबोहवा में चैन की सांस नहीं ले पाए। ऑपरेशन सिलक्यारा को लेकर अब न केवल परिजन बल्कि विपक्ष ने भी सवाल उठाए हैं। विपक्ष का आरोप है कि इस पूरे मामले में बड़ी लापरवाही बरती गई।
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ये थे सरकार के प्लान-ए-बी-सी। Uttarkashi Tunnel Collapse
प्लान-A
योजना: जेसीबी की मदद से मलबा हटाया जाएगा। सुरंग खुल जाएगी और मजदूर बाहर आ जाएंगे।
क्या हुआ: मलबा हटाते वक्त ऊपर से ताजा मलबा गिरने लगा। कोशिश नाकाम हुई।
नतीजा: यह योजना विफल हो गई। मजदूरों को बाहर नहीं निकाला जा सका।
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प्लान-B
योजना: ड्रिल मशीन ऑगर से ड्रिल करने के बाद मलबे के बीच से स्टील के पाइप डाले जाएंगे। इन पाइप के माध्यम से मजदूरों को बाहर निकाला जाएगा।
क्या हुआ: ड्रिल मशीन केवल दो मीटर तक ही ड्रिल करने में सक्षम थी। बीच में भारी चट्टान आने के बाद मशीन रुक गई। पाइप डालना संभव नहीं हो पाया।
नतीजा: भारी भरकम पाइप टनल के बाहर रखे रह गए। मजदूरों को निकालना संभव नहीं हो पाया।
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प्लान-C
योजना: अमेरिकन ड्रिल मशीन लगाकर मजदूरों को बाहर निकाला जाएगा। इसके पुर्जे तीन हरक्यूलिस विमानों से मंगाकर बृहस्पतिवार से मशीन ने काम तो शुरू कर दिया। अभी तक करीब 70 मीटर बंद टनल में से 12 मीटर तक ही ड्रिल हुई है।
क्या होगा: खुद मशीन से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि अभी दो से तीन दिन और लगेंगे। अगर बीच में कोई बड़ी रुकावट न आई।
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ये भी है योजना। Uttarkashi Tunnel Collapse
पाइप रूफ अंब्रैला तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके तहत स्टील पाइप को सरियों से कवर करते हुए टनल के भीतर ड्रिल से पहुंचाया जाता है। यह अपेक्षाकृत ज्यादा सुरक्षित तकनीकी मानी जाती है। हालांकि इसे पूरा करने के लिए भी पांच से छह दिन का समय लगता है।
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