बुलंद हौसलों की उड़ानः उत्तराखंड की बेटी सविता कंसवाल ने स्थापित किया विश्व कीर्तिमान…

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Uttarakhand's daughter Savita Kanswal sets world record. Hillvani News

Uttarakhand's daughter Savita Kanswal sets world record. Hillvani News

बुलंद हौसलों की उड़ानः उसके सामने कई मुश्किलें थीं। सबसे बड़ी मुश्किल कि वह लड़की थी और उसे घर के अंदर और बाहर लैंगिक भेदभाव का सामना करना पड़ा। घरवाले जब एनसीसी में शामिल होने पर भी ऐतराज जताएं, तब सोचिए कि उस घर में रहते हुए किसी लड़की के लिए जिंदगी में कुछ बड़ा पाने की लड़ाई लड़ना कितना कठिन हो गया होगा। लेकिन वह आम लड़की नहीं थी। उसने छह हजार रुपये की नौकरी करके अपने लिए जूते नहीं, बल्कि लैस वाले सपने खरीदे और मुश्किल हालात को चुनौती देते हुए तय किया कि वह माउंट एवरेस्ट फतह करेगी। हम बात कर रहे है उत्तरकाशी जनपद की रहने वाली सविता कंसवाल की…

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महज 16 दिन के भीतर स्थापित किया विश्व कीर्तिमान
26 साल की सविता कंसवाल ने महज 16 दिन में माउंट एवरेस्ट के बाद दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची चोटी माउंट मकालू फतह कर विश्व कीर्तिमान बनाया है। सविता नौ साल में अब तक 12 चोटियों को फतह कर चुकी है। सविता की इस उपलब्धि पर हर कोई फख्र कर रहा है। आज सभी सविता के हौसले की तारीफ कर रहे हैं, लेकिन सविता का यहां तक पहुंचना आसान नहीं था। 2013 से अब तक 12 चोटियों पर चढ़ चुकीं सविता विपरीत परिस्थितियों में भी लक्ष्य से नहीं भटकीं। सविता का कहना मेरी मदद करने वाले हर व्यक्ति ने मेरे साथ चढ़ाई की है। क्योंकि पहाड़ चढ़ने से पहले आर्थिक चुनौती के पहाड़ पर फतह हासिल करना भी काफी मुश्किल होता है।

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मुश्किल हालात में भी लक्ष्य से नहीं भटकी
उत्तरकाशी जिले के लोंथरू गांव की रहने वाली सविता चार बहनों में सबसे छोटी हैं। एडवांस कोर्स के लिए पैसे नहीं थे, तो नौकरी करने लगीं। महज 6,000 रुपए की पगार में खर्च भी चलाना था और पैसे भी बचाने थे। 2016 में एडवांस माउंटेनियरिंग का कोर्स पूरा किया। 2019 में इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन के एवरेस्ट कैंप के लिए 1000 लोगों के बीच चुने गए 12 प्रतिभागियों में सविता भी एक थीं। सविता की लगातार सफलता के बाद उनका परिवार काफी खुश है। सविता ने बताया कि मुझे पूरे गांव का समर्थन भी मिल रहा है, जिससे आने वाले समय मे मेरा जो लक्ष्य है उसे हासिल करने की मेरी उम्मीद और तेज हो गई है।

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क्राउंड फंडिंग से हुई शुरुआत
माउंट एवरेस्ट चढ़ने की सोच रहीं सविता के सामने मुश्किलों का पहाड़ भी कम नहीं था। सबसे बड़ी दिक्कत आर्थिक मोर्चे पर थी। अपने इस मिशन की स्पॉन्सरशिप के लिए कई कंपनियों को मेल किया। लेकिन किसी ने भी रुचि नहीं दिखाई। सविता ने फिर क्राउड फंडिंग शुरू की। मेहनत रंग लाई। आखिरकार दुनिया की दो सबसे ऊंची चोटियां फतह कर वर्ल्ड रेकॉर्ड बना दिया।

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परिवार ने किया था एनसीसी ट्रेनिंग का विरोध
सविता ने बताया कि उसकी सबसे बड़ी मुश्किल लड़की होना थी। इस कारण उसे घर के अंदर और बाहर लैंगिक भेदभाव का सामना करना पड़ा। घरवाले जब एनसीसी में शामिल होने पर भी ऐतराज जताएं, तब सोचिए कि उस घर में रहते हुए किसी लड़की के लिए जिंदगी में कुछ बड़ा पाने की लड़ाई लड़ना कितना कठिन हो गया होगा, लेकिन वह आम लड़की नहीं थी। उसने 6000 रुपए की नौकरी करके अपने लिए जूते नहीं, बल्कि लेस वाले सपने खरीदे और मुश्किल हालात को चुनौती देते हुए तय किया कि वह माउंट एवरेस्ट फतह करेगी।

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सरकार से सविता को उम्मीद
सविता का कहना है कि वह पहाड़ की बेटी है लगातार पहाड़ चढ़ रही है। उन्हें उम्मीद है हमारी सरकार भी पहाड़ की बेटी की मदद को आगे आएगी। हालांकि अब तक सूबे की सरकार ने सविता की कोई मदद नहीं की इसके बाद भी धामी सरकार से सविता को काफी उम्मीद है। सविता अभी तक माउंट एवरेस्ट के बाद दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची चोटी माउंट मकालू, माउंट त्रिशूल (7120 मीटर), माउंट तुलियान (4800 मीटर), माउंट लबूचे (6119 मीटर) की पीकमाउंट लोहत्से, माउंट चंद्रभागा, माउंट हनुमान टिब्बा और द्रोपदी का डांडा पीक पर जा चुकी हैं।

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सविता कंसवाल लक्ष्य है सातों महाद्वीप की सात ऊंची चोटियां पर चढ़ने का..
उत्तराखंड की जांबाज सविता कंसवाल ने महज 16 दिन में दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट और माउंट मकालू फतह कर विश्व कीर्तिमान बनाया है। अब सविता कंसवाल उसका लक्ष्य है कि सातों महाद्वीप की सात ऊंची चोटियां चढ़ने के साथ 8000 मीटर से ऊंची 9 चोटियां भी फतह करे। आज सभी सविता के हौसले की तारीफ कर रहे हैं, लेकिन यहां तक पहुंचना आसान नहीं था। 2013 से अब तक 12 चोटियों पर चढ़ चुकीं सविता विपरीत परिस्थितियों में भी लक्ष्य से नहीं भटकीं।

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