द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर के कपाट खोलने की प्रक्रिया 15 मई से होगी शुरू..
ऊखीमठ। लक्ष्मण नेगीः पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात व सुरम्य मखमली बुग्यालों के मध्य बसे भगवान मदमहेश्वर के कपाट खोलने की प्रक्रिया आगामी 15 मई से शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर में शुरू होगी। मन्दिर समिति द्वारा कपाट खोलने की तैयारियां युद्ध स्तर पर जारी हैं तथा मन्दिर समिति का तीन सदस्य दल मदमहेश्वर धाम से सुरक्षा व्यवस्थाओं का जायजा लेकर लौट गया है। भगवान मदमहेश्वर के कपाट खोलने को लेकर मदमहेश्वर घाटी के जनमानस में भारी उत्साह बना हुआ है। मदमहेश्वर घाटी के जनमानस को उम्मीद है कि इस बार मदमहेश्वर धाम में भी तीर्थ यात्रियों की भारी संख्या में आवाजाही होगी।
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मदमहेश्वर धाम में भगवान शंकर के मध्य भाग की पूजा होने से यह तीर्थ मदमहेश्वर के नाम से जाना जाता है। यह तीर्थ सुरम्य मखमली बुग्यालों के मध्य विराजमान होने से मदमहेश्वर तीर्थ अधिक रमणीक लगता है। मदमहेश्वर धाम पहुंचने के लिए रासी गाँव अकतोली से लगभग 14 किमी पैदल तय करने के बाद पहुंचा जाता है। मदमहेश्वर यात्रा का अहम पडाव गौण्डार गाँव है। गौण्डार गाँव विकासखण्ड का सीमान्त गाँव है। गौण्डार गाँव के अलावा मदमहेश्वर यात्रा पडाव बनातोली, खटारा, नानौ, मैखम्बा, कूनचट्टी तथा मदमहेश्वर धाम में तीर्थ यात्रियों को क्षमता के अनुसार रात्रि प्रवास की सुविधा उपलब्ध है।
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जानकारी देते हुए मन्दिर समिति सुपरवाइजर यदुवीर पुष्वाण ने बताया कि आगामी 15 मई से द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर के कपाट खोलने की प्रक्रिया शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर में शुरू होगी। उन्होंने बताया कि 15 मई को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव मूर्तियों को ओकारेश्वर मन्दिर के गर्भगृह से सभा मण्डप लाया जायेगा तथा स्थानीय श्रद्धालुओं द्वारा नये अनाज का भोग अर्पित किया जायेगा। उन्होंने बताया कि 16 मई को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली ओकारेश्वर मन्दिर में ही रात्रि प्रवास करेगी तथा 17 मई को शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर से रवाना होकर विभिन्न यात्रा पडावो पर भक्तों को आशीष देते हुए रात्रि प्रवास के लिए राकेश्वरी मन्दिर रासी पहुंचेगी तथा 18 मई को राकेश्वरी मन्दिर रासी से प्रस्थान कर अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए गौण्डार गाँव पहुंचेगी। उन्होंने बताया कि 19 मई को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली गौण्डार गाँव से प्रस्थान कर मदमहेश्वर धाम पहुंचेगी तथा डोली के धाम पहुंचने पर वेद ऋचाओं के साथ भगवान मदमहेश्वर के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जायेगें।
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