Uttarakhand Bus Accident: दर्शन की आस रही अधूरी। प्रशासन को सीख लेने की जरूरत, केवल सर्वे तक सीमित हैं डेंजर जोन…

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The hope of Darshan remained incomplete. hillvani news

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उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित डामटा के पास तीर्थयात्रियों से भरी बस के गहरी खाई में गिरने से 26 लोगों की मौत हो गई। वहीं इस हादसे में 4 लोग गंभीर रूप से घायल हैं, जिन्हें उपचार के लिए हायर सेंटर भेज दिया गया है। इस बस में 28 तीर्थयात्रियों समेत कुल 30 लोग सवार थे। ये सभी तीर्थयात्री मध्य प्रदेश से उत्तराखंड यात्रा पर आए थे। आपको बता दें कि हरिद्वार से यमुनोत्री जा रही चारधाम यात्रियों से भरी बस बीते रविवार शाम 200 फीट गहरी खाई में गिर गई। इस हादसे में 26 लोगों की मौत हो गई। घटना की सूचना पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने उत्तराखंड पहुंचे। उन्होंने मृतकों के परिवारों को 5-5 लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये देने की घोषणा की है।

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17 दिनों का यह सफर उनकी जिंदगी का आखिरी सफर
बस हादसे में मध्य प्रदेश के जिन 26 यात्रियों की मौत हुई है, वह पिछले महीने की 20 तारीख को घर से निकले थे और 17 दिनों का यह सफर उनकी जिंदगी का आखिरी सफर साबित हुआ। बीस मई को घर से निकलने के बाद सभी लोग महिघर, चित्रकूट, इलाहाबाद, बनारस, मिर्जापुर, बिहार के सीता मढ़ी और नेपाल की जनकपुरी तथा काठमांडू आदि तीर्थ स्थानों की सकुशल यात्रा कर चुके थे। सभी यात्री दो जून को हरिद्वार पहुंचे और चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण करवाया। जिसमें दो दिन का समय लग गया। पांच जून को सभी यात्री बस में सवार हो कर खुशी-खुशी यमुनोत्री के लिए रवाना हुए, लेकिन उन्हें क्या मालूम था कि यमुनोत्री पहुंचने से पहले ही उनकी जीवन यात्रा समाप्त हो जाएगी। टूर मैनेजर बेद विहारी अवस्थी ने बताया कि 69 लोगों का दल एक साथ चल रहा था। हरिद्वार से दो बसें हायर की गई थी, जिसमें हादसे वाली बस में 30 और दूसरी बस में 41 लोग सवार थे।

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प्रशासन को सीख लेने की जरूरत
यमुनोत्री हाइवे पर डामटा के समीप हुए बस हादसे से प्रशासन और राजमार्ग निर्माण खंड को सीख लेने की जरूरत है, जिस जगह हादसा हुआ वह स्थान प्रशासन की डायरी में डेंजर जोन में शामिल होने के बावजूद वहां पर पैरापिट नहीं लगाया गया है। इसलिए सवाल उठता है कि चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले घटनास्थल पर सुरक्षात्मक उपाय क्यों नही किए गए।
केवल सर्वे तक सीमित है डेंजर जोन
हर साल डेंजर जोन, ब्लैक स्पॉट आदि की संज्ञा देकर स्थानों को चिह्नित किया जाता है। पुलिस, परिवहन और पीडब्ल्यूडी आदि विभागों द्वारा सिर्फ डेंजर जोन के संकेतक लगाकर इतिश्री कर दी जाती है। समय-समय पर इन स्थानों को दुरुस्त करने को कागजी कार्रवाई भी होती है। विभागों में समन्वय की कमी से यह धरातल पर नहीं उतर पाता है। जहां डेंजर जोन की बात है, तो उत्तरकाशी जिले में 25 से अधिक डेंजर जोन हैं।

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सड़क हादसों में मौतों का आंकड़ा भी बढ़ा
पिछले पांच साल में सड़क हादसों में होने वाली मौतों का आंकड़ा भी बढ़ा है। जनवरी 2017 से जून 2022 तक उत्तराखंड में सड़क हादसों में 4,600 से अधिक लोगों की मौत हो गई। पिछले 10 साल में वर्ष 2018 में सर्वाधिक 1,464 सड़क हादसे हुए। इनमें 1047 लोगों की मौत हुई।
परिवहन मंत्री ने दिए डीपीआर तैयार करने के निर्देश
परिवहन मंत्री चन्दन राम दास ने स्वीकारा कि घटना स्थल पर सड़क सुरक्षित नहीं है। यदि सड़क पर पैरापिट बने होते तो घटना को रोका जा सकता था। उन्होंने मुख्य अभियन्ता प्रमोद को 15 दिनों में डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए। परिवहन मंत्री ने कहा कि वह स्वयं नितिन गडकरी से मिलेंगे ताकि हरबर्टपुर से बड़कोट तक यमुनोत्री हाइवे को ऑल वेदर में शामिल करवाया जा सके और सड़क पर सुरक्षात्मक कार्य जल्दा हो पाए।

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विधायक ने की सड़क चौड़ीकरण की मांग
पुरोला विधायक दुर्गेश्वर लाल ने कैबिनेट मंत्री से यमुनोत्री सड़क मार्ग विकासनगर-बड़कोट-पुरोला के चौड़ीकरण की कार्रवाई में तेजी लाने का अनुरोध किया। साथ ही पूर्व में बनाई गई सड़क मार्ग की डीपीआर शीघ्र केंद्र सरकार को भेजने का आग्रह किया। कैबिनेट मंत्री ने कहा कि सड़क मार्ग के चौड़ीकरण की डीपीआर एक माह के भीतर शासन से केंद्र सरकार को भेजने एवं केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री से वार्ता कर सड़क मार्ग की स्वीकृति दिलाने का भरसक प्रयास किया जाएगा। ताकि सड़क मार्ग का चौड़ीकरण का कार्य शीघ्र प्रारम्भ किया जा सकें। तथा इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति ना होने पाए।

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चारधाम यात्रा मार्ग पर 67 डेंजर जोन
चारधाम यात्रा मार्ग पर 67 डेंजर जोन हैं। ये ऐसे डेंजर जोन हैं जहां लैंड स्लाइड, बार-बार पत्थर गिरने का खतरा या संकरे मार्ग हैं। यात्रा मार्ग पर यह डेंजर जोन सड़क सुरक्षा समिति ने चिह्नित किए हैं। ये डेंजर जोन ऐसे हैं जहां दुर्घटना के खतरे के साथ ही जाम लगने की संभावना हैं। लैंड स्लाइड और पत्थर गिरने वाले डेंजर जोन सबसे घातक हैं।
जिलावार डेंजर जोन
उत्तरकाशी 08
टिहरी 26
देहरादून 16
रुद्रप्रयाग 12
चमोली 05

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