बुग्यालों में हो रहे भूधसाव को रोकने की कवायद शुरू, बिछाई जा रही क्वायर मैट। विकसित होंगी हर्बल वाटिका..
ऊखीमठः केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग गोपेश्वर रेंज ऊखीमठ / गुप्तकाशी ने बुग्यालों के संरक्षण व संवर्धन के लिए नई तकनीकी का प्रयोग करना शुरू कर दिया है। विभाग द्वारा प्रथम चरण में 22 सौ वर्ग में क्वायर मैंट बिछाकर बुग्यालों में हो रहे भूधसाव रोकने की कवायद शुरू कर दी है, साथ ही केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग द्वारा चोपता-तुंगनाथ पैदल मार्ग पर भुजगली से देवदर्शनी भूभाग में फैले बुग्यालों में होने वाली आवाजाही पर रोक लगाकर पूरे भू-भाग को तीन भागों में विभाजित कर हर्बल वाटिका के रूप में विकसित करने की कार्य योजना तैयार कर स्वीकृति के लिए शासन को भेज दी है। भुजगली से देवदर्शनी तक के भूभाग को हर्बल वाटिका के रूप में विकसित होने से जहाँ बुग्यालों में अनावश्यक आवाजाही पर रोक लगेगी, वहीं पैदल मार्ग के दोनों तरफ फैले भूभाग की खूबसूरती बढ़ने के साथ ही तुंगनाथ व चन्द्र शिला जाने वाले तीर्थ यात्री व सैलानी अनेक प्रकार की बेस कीमती जड़ी-बूटियों से भी रूबरू होगें। सेन्चुरी वन अधिनियम क्षेत्र में प्लास्टिक का प्रयोग न हो इसके लिए विभाग द्वारा चोपता – चन्द्र शिला व सारी-देवरिया ताल पैदल मार्गो पर रिंगाल से बने कूडेदान लगाने के साथ ही पर्यावरण मित्रों को तैनात किया गया है।
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केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग गोपेश्वर रेंज ऊखीमठ / गुप्तकाशी के रेंज अधिकारी पंकज ध्यानी ने बताया कि तुंगनाथ घाटी के चोपता व भुजगली तथा रौणी बुग्यालों में कई स्थानों पर भूधसाव होने तथा देवरिया ताल में मानवीय आवागमन होने से बुग्यालों को नुकसान पहुंच रहा था इसलिए चोपता, भुजगली, देवरिया ताल व रौणी बुग्यालों में लगभग 22 सौ वर्ग में क्वायर मैंट बिछा दी गयी है तथा सभी स्थानों पर क्वायर मैंट बिछाने से बुग्यालों में उगने वाली मखमली घास धीरे – धीरे अपने यौवन पर आने लगी है तथा एक बर्फबारी के बाद सभी बुग्यालों की मखमली अपने पूर्ण यौवन पर उग जायेगी। उन्होंने बताया कि चोपता-तुंगनाथ-चन्द्र शिला पैदल मार्ग के मध्य भुजगली से देवदर्शनी तक फैले बुग्यालों में आवाजाही पूर्णतया प्रतिबन्धित कर दिया गया है तथा प्रतिबन्धित क्षेत्र में आवाजाही करने पर 36 तीर्थ, यात्रियों से सैलानियों से 17 हजार 300 रूपये पर्यावरण वन अधिनियम के तहत जुर्माना वसूला गया है।
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उन्होंने बताया कि भुजगली से देवदर्शनी तक फैले भूभाग को तीन भागों में विभाजित कर तीनों भागों को हर्बल वाटिका बनाने की कार्य योजना तैयार कर शासन को भेज दी है तथा शासन से स्वीकृति मिलने के बाद तीनों भागों को हर्बल वाटिका के रूप में विकसित किया जायेगा। बताया कि तीनों भागों के हर्बल वाटिका के रूप में विकसित होने से पैदल मार्ग के दोनों तरफ फैले भूभाग की सुन्दरता पर चार चांद लगेंगे। वही तुंगनाथ धाम व चन्द्र शिला आने वाले तीर्थ यात्री व सैलानी, कुखणी, माखुणी, जया विजया, रातों की रानी, बारूण हल्दी सहित अनेक प्रकार की बेस कीमती जडी-बूटियों से रूबरू होगें। रेंज अधिकारी पंकज ध्यानी ने बताया कि चोपता-तुंगनाथ-चन्द्र शिला पैदल मार्ग पर पालीथीन का प्रयोग पूर्णतया प्रतिबन्धित कर दिया है तथा विभाग द्वारा कूड़ा एकत्रित करने के लिए चोपता-तुंगनाथ-चन्द्र शिला पैदल मार्ग पर 10 तथा सारी-देवरिया ताल पैदल मार्ग पर 5 रिंगाल के कूड़ेदानों को लगातार पर्यावरण मित्रों को तैनात किया गया है।
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