उत्तराखंडः डॉक्टर ने गर्भवती महिला की जांच कर नवजात को किया मृत घोषित, फिर एंबुलेंस में हुआ चमत्कार..
अल्मोड़ाः जनपद के चौखुटिया अस्पताल (सीएचसी) में लापरवाही का एक बड़ा मामला सामने आया है। डॉक्टर ने गर्भवती महिला की जांच कर नवजात को मृत घोषित कर रेफर कर दिया। लेकिन दूसरे अस्पताल जाते वक्त एंबुलेंस में चमत्कार हुआ। गर्भवती महिला का एंबुलेंस में सुरक्षित प्रसव हुआ। परिजनों का आरोप है कि गर्भ से आधा बाहर निकले नवजात को अस्पताल के डॉक्टरों ने न सिर्फ मृत घोषित कर दिया, बल्कि गर्भवती को रानीखेत रेफर कर दिया। जिसके बाद गंभीर हालत में गर्भवती का 108 एंबुलेंस में ही सुरक्षित प्रसव हो गया। जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं, जिन्हें चौखुटिया अस्पताल में ही भर्ती कराया गया है।
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अस्पताल प्रशासन और सरकारी सिस्टम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे खड़े।
लेकिन पूरे घटनाक्रम के बाद अस्पताल प्रशासन और सरकारी सिस्टम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। आंगनबाड़ी कार्यकत्री लीला देवी के अनुसार, चमोली जिले के गैरसैंण ब्लॉक के ग्राम पंचायत कोलानी के खोलीधार तोक निवासी रविंद्र सिंह की पत्नी कुसुम देवी (23) को रविवार सुबह अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हुई। परिजन करीब डेढ़ किमी पैदल चलाकर गर्भवती कुसुम को सड़क तक लेकर पहुंचे। पैदल चलने के दौरान नवजात के पांव गर्भ से बाहर आ गए थे, जिसके बाद परिजनों ने आनन-फानन से उसे सीएचसी चौखुटिया पहुंचाया। आंगनबाड़ी कार्यकत्री लीला और गर्भवती की सास तारा देवी का आरोप है कि सीएचसी चौखुटिया के डॉक्टरों ने हल्की जांच के बाद कह दिया कि बच्चे की धड़कनें बंद हो गई हैं। साथ ही हवाला दिया कि मृतक बच्चे की डिलीवरी के लिए उनके अस्पताल में कोई साधन नहीं हैं।
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नवजात को मृत घोषित नहीं किया था, सिर्फ संभावना जताई थी।
लिहाजा उन्होंने प्रसव के लिए गर्भवती को रानीखेत रेफर कर दिया। निराश परिजन 108 सेवा से प्रसव पीड़िता को लेकर रानीखेत निकले। चौखुटिया से करीब दो किमी आगे बढ़ने पर महिला का 108 में ही प्रसव हो गया। बच्चे को जीवित पाकर परिजन और 108 सेवा की टीम भी हैरत में पड़ गई। कुसुम ने बेटे को जन्म दिया था, इसके बाद उसी 108 सेवा से जच्चा-बच्चा को सीएचसी चौखुटिया में भर्ती कराया गया है, जहां दोनों स्वस्थ्य हैं। डॉ. अमित रतन, प्रभारी सीएचसी चौखुटिया का कहना है कि अस्पताल पहुंचने पर प्रसव पीड़िता के गर्भ से बच्चे के पैर बाहर निकल चुके थे, जो कि नीले पड़े हुए थे। उस वक्त महिला डॉक्टर ने जांच में पाया था कि बच्चे की धड़कनें नहीं चल रही हैं। अस्पताल में गर्भवती के नवजात को मृत घोषित नहीं किया था, सिर्फ संभावना जताई थी। अस्पताल में निश्चेतक की व्यवस्था नहीं होने के कारण रेफर किया गया था।
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