शारदीय नवरात्र शुरू होते ही मंदिरों में लगा श्रद्धालुओं का तांता

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Sharadiya Navratri begins : शारदीय नवरात्र का आज पहला दिन है. इस बार शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर से शुरू होंगे और दशहरे के साथ 24 अक्टूबर को इसका समापन होगा। नवरात्रि के पहले दिन श्रद्धालुओं की पवित्र नदियों में स्नान के लिए भीड़ उमड़ पड़ी. श्रद्धालुओं ने पवित्र नदियों में स्नान कर मां शैलपुत्री की विधि विधान से पूजा अर्चना कर नौ दिन के व्रतों का शुभारंभ किया है.

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मां शैलपुत्री

पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में उत्पन्न होने के कारण मां दुर्गा जी का नाम शैलपुत्री पड़ा. मां शैलपुत्री नंदी नाम के वृषभ पर सवार पर सवार होती हैं और उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प होता है. मां शैलपुत्री के पूजन से जीवन में स्थिरता और दृढ़ता आती है.पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पूर्वजन्म में शैलपुत्री का नाम सती था और ये भगवान शिव की पत्नी थीं. सती के पिता दक्ष प्रजापति ने भगवान शिव का अपमान कर दिया था और तब सती ने अपने आपको यज्ञ अग्नि में भस्म कर लिया था. अगले जन्म में यही सती शैलपुत्री स्वरूप में प्रकट हुईं और भगवान शिव से फिर विवाह किया.

शारदीय नवरात्र शुरू होते ही मंदिरों में दूर दूर से श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया है. दिन भर मंदिरों में पूजा अर्चना व भजन कीर्तन का दौर चलता रहा. लोगों ने घरों में पूजा अर्चना के साथ ही मंदिरों में माता की प्रतिमा का श्रृंगार किया .श्रद्धालुओं ने घरों पर मां भगवती की चौकी लगाकर कलश स्थापना की। फूलों व लड़ियों से सजे मंदिरों में भी भक्तों ने जाकर पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना की. दुर्गा सप्तशती व दुर्गा चालीसा के पाठ किए गए। रामेश्वर व पंचेश्वर घाट में सुबह चार बजे से ही श्रद्धालुओं ने डुबकी लगानी शुरू कर दी. देव डांगरों ने भी स्वयं स्नान कर देवी देवताओं के आयुधों को नहलाया.

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