शिक्षाः पहाडों में खुलेंगे सैनिक स्कूल। उच्च शिक्षा में लागू होगी NEP-2020, स्कूलों जल्द भरे जाएंगे ये पद..

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Sainik school will open in the hills. Hillvani News

Sainik school will open in the hills. Hillvani News

उत्तराखंड में देहरादून और रुद्रपुर में सैनिक स्कूल खोलने के प्रस्ताव के बाद अब पर्वतीय जिलों में भी स्कूल खोलने की तैयारी है। शुक्रवार को हुई कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया गया है कि भूमि और भवन की उपलब्धता के आधार पर इन स्कूलों को खोला जाएगा। प्रदेश सरकार की ओर से देहरादून के राजीव गांधी नवोदय विद्यालय और रुद्रपुर के एएन झा इंटर कालेज को सैनिक स्कूल के रूप में चलाए जाने का प्रस्ताव है, जिसे मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को भेजा जा रहा है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक केंद्र सरकार की ओर से मानकों को पूरा करने वाले स्कूलों का प्रस्ताव मांगा गया था। जिस पर इन दो स्कूलों का प्रस्ताव है। इसके बाद अब अन्य स्कूलों का प्रस्ताव भी केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक सैनिक स्कूल के लिए कम से कम सात से आठ एकड़ भूमि की जरूरत होगी।

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बाद हायर एजूकेशन में भी लागू होगी NEP-2020
उत्तराखंड में विद्यालयी शिक्षा विभाग के अंतर्गत प्राथमिक स्तर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू करने के बाद अब इसी माह उच्च शिक्षा विभाग में भी एनईपी लागू कर दी जाएगी। केंद्रीय शिक्षा मंत्री की मौजूदगी में उच्च शिक्षा विभाग इसे लागू करेगा। प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने शुक्रवार को अपने दिल्ली प्रवास के दौरान केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से शिष्टचार भेंट की। डॉ. रावत ने बताया कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य है, जहां विद्यालयी शिक्षा में एनईपी को लागू कर दी गई है। उन्होंने बताया कि उच्च शिक्षा में भी इसी सत्र से उत्तराखंड के सभी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में स्नातक स्तर पर एनईपी लागू कर दी जाएगी।

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सीधी भर्ती से भरे जाएंगे प्रधानाचार्य के 50 प्रतिशत पद
प्रदेश के इंटरमीडिएट कॉलेजों में प्रधानाचार्य के 50 प्रतिशत पदों को वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति एवं शेष इतने ही पदों को विभाग सीधी भर्ती से भरेगा। प्रदेश के इंटरमीडिएट कालेजों में प्रधानाचार्य के 932 पद पिछले कई वर्षों से खाली हैं। पूर्व में प्रधानाचार्य के कुछ पदों को भरा जा सके इसके लिए सरकार की ओर से पदोन्नति में छूट दी गई थी। प्रधानाध्यापक से प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नति के लिए कम से कम पांच साल की इस पद पर मौलिक सेवा को ढ़ाई वर्ष किया गया था। इसके बाद भी प्रधानाचार्य के अधिकतर पद खाली हैं। कैबिनेट की बैठक में अब निर्णय लिया गया है कि माध्यमिक शिक्षा विभाग के तहत सृजित 932 पद के लिए योग्य उम्मीदवारों का चयन न होने पर प्रधानाचार्य पद के लिए 50 प्रतिशत पदोन्नति वरिष्ठता के आधार पर होगी। जबकि शेष 50 प्रतिशत पदों पर प्रधानाध्यापकों एवं प्रवक्ता में से समिति विभागीय परीक्षा कर चयन करेगी। नई व्यवस्था से 466 पदों के जल्द भरने की उम्मीद बंधी है।

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