राजनीति: कांग्रेस को ठेंगा दिखाकर राजकुमार ने की घर वापसी..
उत्तराखंड: प्रदेश में जैसे जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे वैसे राजनीतिक पारा बढ़ता जा रहा है। पार्टियों और नेताओं के बीच खींचतान के साथ सरगर्मी बढ़ती जा रही है। साथ ही प्रदेश में चुनाव से पहले दलबदलुओं का पाला बदलने का दौर भी शुरू हो गया है। इस दौर में आज कांग्रेस के विधायक राजकुमार ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है। राजकुमार उत्तरकाशी जिले की पुरोला सीट से कांग्रेस विधायक हैं। इससे पहले शनिवार को राजकुमार भाजपा में शामिल होने वाले थे। लेकिन किन्हीं कारण वश उनकी ज्वाइनिंग टल गई थी। सूत्रों के मुताबिक विधायक ने भाजपा केंद्रीय नेतृत्व के सामने देहरादून की एक सीट से टिकट देने की शर्त रखी थी। जिस पर सोच विचार करने के लिए भाजपा नेतृत्व ने जॉइनिंग कार्यक्रम आगे बढ़ाया।
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आज बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यालय में राजकुमार को भाजपा की सदस्यता दिलाई गई। विधायक राजकुमार को सदस्यता दिलाने वालों में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान , मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक मौजूद रहे। विधायक राजकुमार के बीजेपी का दामन थामने से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। प्रदेश कांग्रेस लगातार प्रदेश में कमजोर होती जा रही है तो वहीं बीजेपी अपनी पॉवर को लगातार बढ़ती जा रही है। राजकुमार पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नजदीकी भी माने जाते हैं। सूत्रों के मुताबिक जब से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को आगामी विधानसभा चुनावों की कमान सौंपी गई, तब से ही वह असहज महसूस कर रहे थे और आगामी चुनावों में टिकट न मिलने की आशंका के चलते ही भाजपा में शामिल हो गए।
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आपको बता दें 2007 से 12 के बीच राजकुमार भाजपा से ही सहसपुर से विधायक थे वहीं 2012 से 17 के बीच वह पुरोला में बीजेपी में रहे और तैयारी करते रहे लेकिन 2017 में उन्हें बीजेपी ने टिकट नहीं दिया तो वह कांग्रेस से टिकट लाकर पुरोला से विधायक बनकर विधानसभा में पहुंच गए। ऐसे में एक बार फिर राजकुमार ने घर वापसी की है। साथ ही आपको बता दें कि विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा धनौल्टी विधानसभा के विधायक प्रीतम सिंह पंवार को पहले ही पार्टी में शामिल करा चुकी है। अब एक और विधायक भाजपा में शामिल हो गए हैं। लेकिन पुरोला विधायक राजकुमार की पारिवारिक पृष्ठभूमि कांग्रेस की ही रही है। उनके पिता पतिदास ने 1985 उत्तरकाशी से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था और हार गए थे।
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राजकुमार ने देहरादून के डीएवी पीजी कॉलेज से ग्रेजुशन किया है, लेकिन वह छात्र राजनीति में कभी भी सक्रीय नहीं रहे। उत्तराखंड के अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आने के बाद वह भाजपा से जुड़े। 2007 में सहसपुर (आरक्षित) सीट से भाजपा ने राजकुमार को टिकट दिया। वह चुनाव जीत गए। इसके बाद 2012 सहसपुर सीट के सामान्य होने के बाद उन्होंने 2012 में पुरोला सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा, इस चुनाव में वह हार गए। इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी मालचंद जीते थे और राजकुमार दूसरे नंबर पर रहे थे। 2017 में उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा और कांग्रेस से टिकट लेकर जीत दर्ज की थी।