राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू 11 जुलाई को आएंगी उत्तराखंड। कौन हैं द्रौपदी मुर्मू?
राष्ट्रपति का चुनाव भारत के लिए हमेशा से ही महत्वपूर्ण चुनाव रहता है। क्योंकि वो देश का प्रथम नागरिक भो होता है। तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द का कार्यकाल ख़त्म होने वाला है। मौजूदा सरकार ने देश के अगले राष्ट्रपति की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को बनाया है। राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू 11 जुलाई को उत्तराखंड की राजधानी देहरादून पहुंच रही हैं। इस दौरान वह उत्तराखंड के सांसदों व विधायकों से व्यक्तिगत मुलाकात करेंगी और चुनाव में उनसे अपने समर्थन के लिए अपील करेंगी। भाजपा के सभी सांसदों व विधायकों को पार्टी की ओर से देहरादून पहुंचने के लिए कहा जाएगा।
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राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मुर्मू देश भर में सभी राज्यों में जाकर सांसदों और विधायकों से मुलाकात कर रही हैं। इसी सिलसिले में वह 11 जुलाई को राजधानी देहरादून पहुंचेंगी। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के मुताबिक, उनके आगमन का कार्यक्रम तैयार किया जा रहा है। यह कार्यक्रम आज बृहस्पतिवार तक फाइनल हो जाएगा। सूत्रों के मुताबिक पार्टी के सभी सांसदों और विधायकों को देहरादून पहुंचने के लिए कहा जाएगा। देहरादून में सांसदों व विधायकों की एक संयुक्त बैठक रखी जाएगी, जिससे राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मुर्मू संबोधित करेंगी। वह सभी सांसदों व विधायकों से चुनाव में समर्थन की अपील करेंगी। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से प्रदेश संगठन को इस बारे में तैयारी करने के लिए कह दिया गया है।
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कौन हैं द्रौपदी मुर्मू?
द्रौपदी मुर्मू एक आदिवासी महिला हैं। द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले में हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई-लिखाई ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से की हैं। उन्होंने भुवनेश्वर के रमादेवी वुमेंस कॉलेज से कला में स्नातक किया। स्नातक करने के बाद उन्होंने ओडिशा सरकार के सिंचाई विभाग में एक सहायक के रूप में करियर शुरू किया था।
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पारिवारिक जीवन और संघर्ष
द्रौपदी मुर्मू की पारिवारिक जीवन के बारे में जिक्र करें तो उनका विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ था। हालांकि, पति के निधन के बाद वो अपनी बेटी इतिश्री मुर्मू के साथ रहती हैं। आदिवासी परिवार में जन्म होने के चलते द्रौपदी मुर्मू का जीवन बेहद ही संघर्ष भरा रहा है। पिछड़ी जगह से आने वाली द्रौपदी मुर्मू गरीबी से भी बहुत परेशान रही हैं। एक गरीब परिवार से संबंध रखने वाली द्रौपदी मुर्मू कभी भी अपने लक्ष्य से नहीं भटकी और महेशा आगे बढ़ती रही। उनके बारे में कहा जाता है कि तंगी के हाल में भी लोगों को शिक्षित करने का भार लिया और बिना वेतन के ही श्री ऑरोबिन्दो इन्तेग्रल एजूकेशन और रिसर्च सेंटर में लोगों को शिक्षित करती थीं।
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राजनितिक सफ़र
द्रौपदी मुर्मू की राजनितिक सफ़र लगभग 1997 में शुरू हुआ था। उन्होंने पार्षद के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया था। कुछ समय बाद वो उपाध्यक्ष भी रही। उन्होंने राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य का पद भी संभाला है। लेकिन, द्रौपदी मुर्मू की राजनितिक सफ़र में बड़ा मुकाम तब आया जब वो विधायक बनीं। साल 2000-2004 के बीच में वो मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री थीं। इस बीच वो वाणिज्य और परिवहन का स्वतंत्र प्रभार भी संभाला था। साल 2004 के बाद दोबारा विधायक बनीं और इन बीच उन्हें सर्वश्रेष्ठ विधायक होने का नीलकंठ अवार्ड भी दिया गया।
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पहली आदिवासी महिला राज्यपाल
द्रौपदी मुर्मू की राजनितिक सफ़र में सबसे बड़ा पल उनका राज्यपल बनाना था। जी हां, साल 2015-2019 के बीच वह झारखण्ड की गवर्नर रही हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि द्रौपदी मुर्मू देश की पहली आदिवासी महिला थीं जिन्होंने गवर्नर का पद संभाला और पूरा भी किया।
द्रौपदी मुर्मू अगर राष्ट्रपति बनती हैं तो?
द्रौपदी मुर्मू अगर राष्ट्रपति बनती हैं तो कई रिकॉर्ड बन सकते हैं। जैसे- वह देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति होंगी। ओडिशा से पहली और देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति महिला होंगी। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मोदी सरकार ने राष्ट्रपति के लिए द्रौपदी मुर्मू और विपक्ष पार्टी ने यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया है।
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