जी20 शिखर सम्मेलन से पहले बदली ओणी गांव की तस्वीर, 20 देशों के प्रतिनिधि गांव में बिताएंगे एक दिन..
नरेंद्र नगर में 25 से 28 मई तक होने जा रहे जी-20 सम्मेलन के लिए समूचे क्षेत्र को खूबसूरती से सजाया जा रहा है। जी-20 सम्मेलन में आने वाले मेहमान नरेंद्रनगर के ओणी गांव का भी दीदार करेंगे। इस गांव को एक माडल गांव के तौर पर विकसित किया गया है, जिससे इस गांव की तस्वीर ही बदल गई है। ऋषिकेश-गंगोत्री मार्ग पर ऋषिकेश से करीब 14 किमी की दूरी पर स्थित ओणी गांव के लिए जी- 20 शिखर सम्मेलन सौगात लेकर आया है। यह गांव कुछ समय पूर्व मोटर मार्ग से तो जुड़ गया था, मगर यहां इसके बाद भी मोटर मार्ग से गांव तक पहुंचने के लिए घने जंगल के बीच रास्ता तय करना पड़ता था। गांव में पेयजल की समस्या तो थी ही, सिंचाई की कोई सुविधा नहीं थी। राजधानी से बेहद करीब होने के बावजूद भी यह गांव विकास से कोसों दूर था। गांव में मूलभूत सुविधाओं का अभाव होने के कारण कई लोग गांव से पलायन भी कर चुके थे। इतना ही नहीं कुछ कारोबारियों ने यहां ग्रामीणों की भूमि खरीद कर अब रिसार्ट और होटल के निर्माण भी शुरू कर दिए थे। मगर, जी-20 शिखर सम्मेलन में इस गांव को अतिथियों के समक्ष माडल गांव के तौर पर प्रस्तुत करने के लिए चुना गया। जिसके बाद ओणी गांव की तस्वीर ही बदल गई।
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इस गांव में करीब दस करोड़ रुपये की लागत से विकास कार्यों को अंजाम दिया जा रहा है। ओणी गांव को उत्तराखंड की पारंपरिक शैली के माडल गांव के रूप में विकसित किया गया है। ओंणी गांव को जोड़ने वाली सड़क चमचमा रही है। यहां गांव के रास्ते और पगडंडियां खूबसूरत ढंग से तैयार किया गया है। इसके अलावा गांव में एकीकृत कृषि प्रणाली, उद्यानीकरण, पाली हाउस, जल संरक्षण, प्राकृतिक जल स्रोत संवर्धन, बायोगैस प्लांट, अमृत सरोवर, होमस्टे, ट्रैक रुट, जैविक खेती विकसित की गई है। गांव में पानी निकासी, पेयजल, विद्युत व्यवस्था, सिंचाई नहर, हौज मरम्मत, सोलर लाइट, पशु चारागाह, शौचालय, विद्यालय भवन, स्मार्ट क्लास, पार्क, पंचायत भवन, आंगनबाड़ी केंद्र, मंदिर प्रांगण के सौंदर्यीकरण का कार्य किया गया है। ओणी गांव के घरों को पारंपरिक एपण कला के साथ अन्य सांस्कृतिक-परंपरा और पारंपरिक वेशभूषा से जुड़ी चित्रकारी से जीवंत किया गया है। गांव की इस बदलती तस्वीर से ग्रामीणों में भी उत्साह है। जी-20 सम्मेलन के चलते ओंणी गांव को जिस तरह से कम समय में बेहतरीन रूप दिया गया है। सभी गांवों में इस तरह के विकास कार्य हों तो सचमुच गांवों से पलायन रोका जा सकता है। गांव के ग्रामीण इस बदली हुई तस्वीर से काफी खुश हैं।
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सड़कों पर बिछाई गईं इंटरलॉकिंग टाइल्स
ओणी गांव हाईवे से करीब 3 किमी अंदर है। हाईवे को गांव से जोड़ने वाला संपर्क मार्ग मार्च 2023 तक बेहद संकरा था। गाव पहुंचने में ग्रामीणों को काफी दिक्कत होती थी, लेकिन अब 3 किमी लंबे इस संपर्क मार्ग का चौड़ीकरण कर दिया गया है। फिलहाल इस पर डामरीकरण का काम चल रहा है। गांव की बदहाल पड़ीं आंतरिक सड़कों को दुरुस्त किया जा रहा है। यहां अब इंटरलॉकिंग टाइल्स और सीसी मार्ग बनाए जा रहे हैं। गांव में 40 सोलर स्ट्रीट लाइटें लगाई गई हैं। जिनसे गांव की सड़कें पूरी रात रोशन रहती हैं।
भव्य पंचायत भवन और ओपन जिम भी
गांव में भव्य और सर्वसुविधा संपन्न पंचायत भवन का निर्माण किया जा रहा है। पंचायत भवन में आने-जाने के लिए इंटरलॉकिंग टाइल्स लगाई जा रही हैं। पंचायत भवन परिसर में ग्रामीणों के लिए ओपन जिम भी बनाया गया है। गांव के प्राथमिक विद्यालय में स्मार्ट क्लास सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। आंगनबाड़ी केंद्र का कायाकल्प करते हुए यहां आधुनिक रसोई का निर्माण किया गया है ताकि बच्चों को अच्छा खाना उपलब्ध हो सके।
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गांव में बन रहा बर्तन बैंक और म्यूजियम
गांव में बर्तन बैंक भी बनाया जा रहा है। जहां उन पुराने बर्तनों का संग्रह किया जाएगा जो अब चलन से बाहर हो रहे हैं। वन विभाग द्वार गांव में एक म्यूजियम भी बनाया जा रहा है। इसमें क्षेत्र में पाए जाने वाले वन्य जीवों की जानकारी भी मिलेगी। जी-20 के आयोजन के लिए चयनित इस गांव में कई सुविधाएं बढ़ी हैं। सड़कें बेहतरीन बन गई हैं। गांव काफी विकसित हो गया है।
हर घर में पेयजल और विद्युत कनेक्शन
जल जीवन मिशन के तहत गांव के हर घर को पेयजल कनेक्शन और विद्युत कनेक्शन से जोड़ दिया गया है। गांव में 10-10 हजार लीटर क्षमता के दो नए पेयजल टैंक भी बनाए गए हैं। बिजली आपूति के लिए दो नए ट्रांसफार्मर लगाए गए हैं। नए पोल लगाने के साथ ही पूरे गांव में बंच केबल बिछाई गई है।
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दो सार्वजनिक शौचालय भी बनाए गए
गांव में महिलाओं व पुरुषों के लिए चार-चार सीट वाले दो नए शौचालय भी बनाए गए हैं। वहीं सिंचाई के लिए लघु सिंचाई विभाग ने बोरिंग की है। जिससे गांव में पानी की किल्लत नही होगी।
ग्रामीणों को स्वरोजगार से जोड़ा गया
गांव में सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ ही रोजगार के साधान भी जुटाए गए हैं। इसके लिए उद्यान विभाग ने 80 फीसदी छूट पर 8 पॉलीहाउस बनाए हैं। इसके अलावा पशु पालन विभाग ने ग्रामीणों को कुक्कुट व मत्स्य पालन से भी जोड़ा है। गांव के सभी पशुओं की टैगिंग करने के साथ ही बीमा भी किया गया है। पर्यटकों के ठहरने के लिए गांव में होम स्टे भी बन रहे हैं।
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