केदारनाथ पैदल मार्ग पर अब घोड़ों-खच्चरों की आवाजाही भी शुरू..
उत्तराखंड में भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन और बाढ़ के चलते 26 दिन बाद सोमवार से गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल रास्ते पर अब घोड़ों और खच्चरों की आवाजाही भी शुरू हो गई। सोमवार को गौरीकुंड से घोड़ा-खच्चरों के जरिये राशन, सब्जी सहित अन्य जरूरी सामग्री केदारनाथ भेजी गई। सुबह 5 बजे रवाना हुए घोड़ा-खच्चर दोपहर तक धाम पहुंच गए थे। पैदल मार्ग पर घोड़ा-खच्चरों का संचालन होने के बाद अब पुनर्निर्माण कार्यों की सामग्री भी धाम पहुंचाई जा सकेगी। जिससे कार्य फिर से गति पकड़ सकेंगे। इससे पहले, पैदल रास्ते को दुरुस्त कर 16 अगस्त से श्रद्धालुओं की पैदल आवाजाही शुरू कर दी गयी थी। घोड़ों-खच्चरों की आवाजाही शुरू होने से अब अधिक श्रद्धालु केदारनाथ धाम तक पहुंच सकेंगे।
यह भी पढ़ेंः नौ आछरी बहनों में एक थी भराड़ी! भराड़ीसैंण कहने भर को राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी, लेकिन महत्व और आकर्षण बहुत अधिक..
आपको बता दें कि बीते 31 जुलाई को बादल फटने से पैदल मार्ग पर आई आपदा के बाद से गौरीकुंड से केदारनाथ के लिए घोड़ा-खच्चरों का संचालन बंद पड़ा हुआ था। जिससे धाम में राशन समेत अन्य जरूरी सामग्री भी नहीं पहुंच पा रही थी। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि आपदा के कारण गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग 29 स्थानों पर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। एक अगस्त से क्षतिग्रस्त रास्ते के सुधारीकरण का कार्य शुरू कर दिया था। लोक निर्माण विभाग ने 270 मजदूरों को लगाकर 25 दिन की मशक्कत के बाद पैदल रास्ता आवाजाही लायक बनाया है। उन्होंने बताया कि सुरक्षित पैदल यात्रा के लिए पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड-राष्ट्रीय राजमार्ग पर सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच पांच किमी क्षेत्र में क्षतिग्रस्त मोटर मार्ग को दुरुस्त करने का कार्य भी युद्धस्तर पर जारी है जिससे उसे वाहनों के लिए खोला जा सके।
यह भी पढ़ेंः 8 कंपनियों को बेचने की तैयारी में केंद्र सरकार, लिस्ट में इनके नाम हैं शामिल..