यूक्रेन में बिगड़ते हालात, उत्तराखंड के कई छात्र लगा रहे वतन वापसी की गुहार..

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देहरादून: रूस की सेना यूक्रेन पर हमलों की रफ्तार तेज करते हुए जल्द ही कीव पर कब्जा कर सकती है। पिछले तीन दिनों में रूसी सेना ने यूक्रेन पर चार तरफ से हमला कर उसकी सेना को पीछे हटने पर मजबूर किया है। हालांकि, राजधानी कीव अभी तक रूसी सेना के कब्जे से दूर रही थी। अब खुद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने चिंता जताई है कि कीव पर रूसी सेना के कब्जे का खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने कहा कि आज की रात हमारे लिए सबसे कठिन होने वाली है, लेकिन हमें खड़े रहना होगा। बताया गया है कि जेलेंस्की को अमेरिका की तरफ से यूक्रेन छोड़ने का प्रस्ताव मिला था। लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया। यूक्रेन की सीमा से रोमानिया के बुखारेस्ट तक पहुंचे 241 भारतीय व भारतीय छात्रों को लेकर एयर इंडिया का एक विमान भारत के लिए उड़ान भर चुका है। बताया गया है कि यह फ्लाइट रात में 8 बजे भारत पहुंचेगी। फ्लाइट की लैंडिंग के लिए मुंबई एयरपोर्ट ने निर्देश जारी कर दिए हैं। 

वहीं उत्तराखंड की बात करें तो मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड के कुल 188 छात्र यूक्रेन में फंसे हुए हैं। हम विदेश मंत्रालय और भारत सरकार के साथ लगातार संपर्क में हैं। हमारे अधिकारी हमारे छात्रों को सुरक्षित निकालने के लिए काम कर रहे हैं। माता-पिता को उनके बच्चों को सुरक्षित निकालने का आश्वासन दिया है। उधर, डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि हमें उत्तराखंड के 188 लोगों के यूक्रेन में फंसे होने की सूचना मिली है। विदेश मंत्रालय उन्हें बाहर निकालने के लिए जरूरी इंतजाम कर रहे हैं। उत्तराखंड का हेल्पलाइन नंबर 112 है। यूक्रेन में फंसे उत्तराखंड के नागरिकों की संख्या 188 हो गई है। शनिवार दोपहर तक हेल्पलाइन नंबर पर 188 नागरिकों के यूक्रेन में होने की सूचना है। शासन की ओर से यह लिस्ट विदेश मंत्रालय को भेज भेज दी है। वहीं उत्तराखंड शासन की ओर से शुक्रवार को पुलिस उपमहानिरीक्षक कानून व्यवस्था पी रेणुका व पुलिस अधीक्षक कानून व्यवस्था प्रमोद कुमार को नोडल अधिकारी बनाया है। कोई भी व्यक्ति डीआइजी पी रेणुका के मोबाइल 7579278144 और पुलिस अधीक्षक प्रमोद कुमार के मोबाइल नंबर 983778889 पर संपर्क कर सकते हैं।

यूक्रेन में फंसे दून के छात्रों के लिए हेल्पलाइन शुरू
यूक्रेन में फंसे देहरादून के छात्रों के लिए जिला प्रशासन ने हेल्पलाइन शुरू की है। अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) केके मिश्रा ने बताया कि रूस व यूक्रेन के युद्ध के चलते विकट हुए हालात में उत्तराखंड के नागरिक वतन लौट पाने में असमर्थ हो गए हैं। ऐसे में यूक्रेन में फंसे व्यक्ति 01352726066, 1077 (टोल-फ्री) व 7534826066 पर फोन कर नाम, यूक्रेन में पता, मोबाइल नंबर आदि का विवरण दर्ज करा सकते हैं। ई-मेल से [email protected] पर भी जानकारी भेज सकते हैं। इसके अलावा सहायता के लिए आपातकालीन नंबर 112 पर भी काल कर सकते हैं।
टिहरी के नौ छात्र और पांच होटलकर्मी यूक्रेन में फंसे
जिले के नौ छात्र और पांच होटलकर्मी यूक्रेन में फंसे हैं। सभी अपने स्वजन के संपर्क में हैं और स्वदेश वापसी की मांग कर रहे हैं। टिहरी पुलिस ने की सूची शासन को भेज दी है। बौराड़ी निवासी मान सिंह रौतेला का बेटा यूक्रेन की राजधानी कीव में एमबीबीएस कर रहा है वह प्रथम वर्ष का छात्र है। पारस के पिता मान सिंह का कहना है कि उनकी शुक्रवार सुबह अपने बेटे से बात हुई है।

उत्तरकाशी के नागरिकों के लिए भी जारी हुई हेल्पलाइन
उत्तरकाशी जनपद से यूक्रेन गए नागरिकों एवं उनके परिजनों के लिए जिला प्रशासन ने हेल्पलाइन नम्बर जारी किये है। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि वर्तमान में यूक्रेन की सामरिक स्थिति को देखते हुए शासन के निर्देशों के क्रम में जनपद से यूक्रेन गए नागरिकों (छात्रों) की सहायता के लिए दूरभाष नम्बर जारी किए है। आवश्यक सहायता हेतु आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा निम्न हेल्पलाइन नंबर जारी किये है । 1- दूरभाष- 01374 – 222722 मोबाइल न०- जिला आपातकालीन परिचालन केन्द्र उत्तरकाशी
2- 7310913129 (9675082336 जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी) के नम्बर पर सम्पर्क स्थापित कर सकते है। उनका नाम, मोबाईल नंबर, ई-मेल, पासपोर्ट नंबर आदि विवरण सहित सूचना आपातकालीन नंबर या निम्न मोबाइल नम्बरों पर उपलब्ध करायें ताकि उनकी सुरक्षा एवं कुशलक्षेम हेतु अग्रेत्तर कार्यवाही की जा सकें।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जताई गहरी चिंता
यूक्रेन मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि इस मामले में भारत सरकार निश्चित तौर पर बातचीत कर रही होगी, लेकिन प्रधानमंत्री को देशवासियों को आश्वस्त करना चाहिए कि वहां फंसे नागरिकों को निकालने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि यूरोपीय देश की धरती से तीसरे विश्व युद्ध की भूमिका बन रही है। यह अचानक नहीं हुआ है, लंबे समय से ऐसी स्थितियां बन रही थीं। पिछले कुछ हफ्तों से तो स्पष्ट लग रहा था कि युद्ध होगा। ऐसी स्थिति में भारतीय नागरिकों को निकालकर सुरक्षित स्थान पर ले जाना, केंद्र सरकार का पहला दायित्य था। उत्तरखंड के भी तमाम छात्र वहां अध्ययन करने गए हैं, वह भी फंसे हैं। उनके मां-बाप और प्रत्येक देशवासी बहुत चिंतित है। वहां छात्र बहुत दिक्कत में हैं। केंद्र सरकार ही बातचीत कर वहां फंसे छात्रों को निकाल सकती है। कहा कि हमें अपनी अर्थव्यवस्था की भी चिंता करनी चाहिए। यूक्रेन के साथ हमारे आर्थिक स्वार्थ बहुत गहराई से जुड़े हैं। भारत की अर्थव्यवस्था पर निश्चित तौर पर इस युद्ध का दुष्प्रभाव पड़ने जा रहा है। प्रधानमंत्री को देश को आश्वस्त करना चाहिए कि किस प्रकार से सरकार इस दुष्प्रभाव को रोकने के लिए कदम उठाने जा रही है।

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