उत्तराखंडः NFHS-5 की सर्वे रिपोर्ट में कई खुलासे, छोटे बच्चों की शारीरिक संरचना में आया बड़ा बदलाव..

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Many revelations in the survey report of NFHS-5. Hillvani News

Many revelations in the survey report of NFHS-5. Hillvani News

उत्तराखंड में छोटे बच्चों की शारीरिक संरचना मे बड़ा बदलाव सामने आया है। छोटे बच्चों की लंबाई में पहली बार बड़ा सुधार हुआ है। इससे भविष्य में युवाओं के सामने ऊंचाई की समस्या नहीं रहेगी। सेना से लेकर वर्दी वाली भर्तियों के मानकों में भी उन्हें लंबाई में छूट की जरूरत नहीं पड़ेगी। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-एनएफएचएस (NFHS) पांच की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में पांच साल तक के 25 प्रतिशत बच्चे औसत से कम लंबे हैं। जबकि पिछली नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे रिपोर्ट में यह आंकड़ा 33 प्रतिशत था। यानी पिछले पांच साल में राज्य के बच्चों की सेहत में सुधार हुआ है और आठ प्रतिशत बच्चों में बौनेपन (औसत से कम ऊंचाई) की समस्या कम हुई हैं। राज्य में न केवल बच्चों की लंबाई बढ़ी है, बल्कि उनके वजन में भी इजाफा हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से इन दिनों नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है और विशेषज्ञों ने राज्य के इस इंडिकेटर में हुए सुधार को भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना है। राज्य में बाल स्वास्थ्य के कार्यक्रम देख रहे डॉ. कुलदीप मर्तोलिया ने बताया कि बच्चों की लंबाई के मामले में राज्य में पहली बार सुधार आया है।

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हिमाचल में 30 फीसदी बच्चों की लंबाई कम
हिमाचल से यदि उत्तराखंड की तुलना की जाए तो राज्य की स्थिति बेहतर है। उत्तराखंड में 25 फीसदी बच्चे अब कम लंबाई की समस्या से जूझ रहे हैं जबकि पड़ोसी राज्य में ऐसे बच्चों की संख्या 30 प्रतिशत है। उत्तराखंड में भी राज्य गठन के बाद पहली बार बच्चों की लंबाई के मामलों में सुधार आया है।
न्यूट्रीशन प्रोग्राम की वजह से आया सुधार
बाल रोग विशेषज्ञ और पूर्व स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. डीएस रावत ने बताया कि पांच साल के बच्चे की औसत लंबाई 105 से 110 सेंटीमीटर तक होनी चाहिए। जबकि उसका वजन 18 से 20 किलो के बीच होना चाहिए। उनका कहना है कि बच्चों की सेहत सुधरने के पीछे सबसे बड़ा कारण न्यूट्रीशन और टीकाकरण है। गर्भवती महिला और नवजात पर काफी ध्यान दिया जा रहा है। न्यूट्रीशन और टीकाकरण के अलावा मिड डे मील, टेक होम राशन, आंगनबाड़ी और स्वास्थ्य के अनेक कार्यक्रम हैं जिसके तहत सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं। वहीं प्रभारी सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर राजेश कुमार का कहना है कि राज्य में बच्चों की सेहत सुधारने के लिए कई प्रोग्राम संचालित किए जा रहे हैं। यही वजह है कि फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट में हमारे इंडिकेटर पहले के मुकाबले बेहतर हुए हैं। स्वास्थ्य का क्षेत्र सरकार की शीर्ष प्राथमिकता में है।

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