इस दिन है महाशिवरात्रि, जानें पूजन विधि और पूजा का सही समय। भूलकर भी न करें ऐसी गलती..

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महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का बड़ा त्योहार है। हिंदू पंचांग के अनुसार,फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। वैसे तो हर महीने मासिक शिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है, लेकिन साल के फाल्गुन माह में पड़ने वाली महाशिवरात्रि का विशेष महत्व होता है। इस दिन शिव के भक्त भोलेनाथ की विधि-विधान से पूजा और व्रत करते हैं। इस बार महाशिवरात्रि का व्रत एक मार्च, मंगलवार को रखा जाएगा। ऐसी मान्यता है कि इस पर्व पर जो शिव भक्त उपवास रहते हुए दिन भर शिव आराधना में लीन रहता है उसकी मनोकामनाएं जरूर पूरी होती हैं।

सभी 12 महीनों में हर महीने मनाई जाने वाली मासिक शिवरात्रि में फाल्गुन मास की महाशिवरात्रि सबसे खास और मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाली शिवरात्रि होती है। हिंदू धर्म में भगवान शिव सबसे ज्यादा पूजे जाने वाले देवता है। भगवान शिव की पूजा-आराधना का विशेष महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव जल्द प्रसन्न करने वाले देवता हैं। भोले बाबा मात्र पानी का लोटा जल चढ़ाने और कुछ बेलपत्र अर्पित करने से ही प्रसन्न हो जाते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं इस साल महाशिवरात्रि की तिथि,शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व आदि के बारे में…

महाशिवरात्रि 2022 पूजन का शुभ मुहूर्त 
महाशिवरात्रि के त्योहार पर भगवान शिव की पूजा चार प्रहर में करने का विधान होता है। इस साल महा शिवरात्रि 1 मार्च मंगलवार को प्रातः 3:16 बजे से प्रारंभ होगी। शिवरात्रि की तिथि दूसरे दिन यानि चतुर्दशी तिथि बुधवार 2 मार्च को प्रातः 10 बजे समाप्त होगी।
-पहले पहर की पूजा-1 मार्च की शाम को 06 बजकर 21 मिनट रात के 9 बजकर 27 मिनट तक।
-दूसरे पहर की पूजा-1 मार्च की रात्रि 9 बजकर 27 मिनट से रात्रि के 12 बजकर 33 मिनट तक।
-तीसरे पहर की पूजा-1 मार्च की रात 12 बजकर 33 मिनट से सुबह  3 बजकर 39 मिनट तक।
-चौथे पहर की पूजा-2 मार्च की सुबह 3 बजकर 39 मिनट से 6 बजकर 45 मिनट तक।
-पारण का समय-2 मार्च सुबह 6 बजकर 45 मिनट के बाद पारण का समय है।

महाशिवरात्रि के दिन पूजन विधि
इस दिन सुबह जल्दी से उठकर स्नान करके पूजा का संकल्प लेते हुए पास के शिव मंदिर में जाएं। इसके बाद मन में भगवान शिव और माता पार्वती का स्मरण करते हुए उनका जलाभिषेकर करें। पूजा के दौरान शिव मंत्रों का जाप करें। महाशिवरात्रि के दिन सबसे पहले शिवलिंग में चन्दन के लेप लगाकर पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराएं। मिट्टी या तांबे के लोटे में पानी या दूध भरकर ऊपर से बेलपत्र, आक-धतूरे के फूल, चावल आदि शिवलिंग पर चढ़ाएं। फिर इसके बाद दीपक और कपूर जलाएं। पूजा करते समय ‘ऊं नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें। शिव की पूजा करने के बाद गोबर के उपलों की अग्नि जलाकर तिल, चावल और घी की मिश्रित आहुति दें।
करें ॐ नमः शिवाय का जाप
महाशिवरात्रि के दिन शिवपुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करना चाहिए। इसके साथ ही इस दिन रात्रि जागरण का भी विधान है। शास्त्रों के अनुसार, महाशिवरात्रि का पूजा निशील काल में करना उत्तम माना गया है।

महाशिवरात्रि का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव लिंग के स्वरुप में प्रकट हुए थे। इसके अलावा ऐसी भी मान्यता है कि इसी तिथि पर भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान सदाशिव ने परम ब्रह्म स्वरुप से साकार रूप धारण किया था। महाशिवरात्रि पर अविवाहित कन्याएं पूरे दिन उपवास रखते हुए शिव आराधना में लीन रहती है और भगवान शिव से योग्य वर की प्राप्ति के लिए कामना करती है। इसके साथ ही वैवाहिक जीवन जी रहे लोगों की जिंदगी में भी खुशियां बनी रहती हैं। महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करने से सभी तरह के सुख और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

महाशिवरात्रि पर शिवजी को प्रसन्न करने के लिए क्या करें ?
1- महाशिवरात्रि पर किसी बड़े पात्र में धातु से बने शिवलिंग या मिट्टी से बने शिवलिंग की स्थापना करें।
2- महाशिवरात्रि पर चार पहर की शिव पूजा करनी चाहिए।
3- शिव पूजा में सबसे पहले मिट्टी के पात्र में पानी भरकर, ऊपर से बेलपत्र, धतूरे के पुष्प, चावल आदि एक साथ डालकर शिवलिंग पर चढ़ायें।
4- महाशिवरात्रि के दिन व रात में शिवपुराण का पाठ करना या सुनना चाहिए।
5- सूर्योदय से पहले ही उत्तर-पूर्व दिशा में पूजन-आरती की तैयारी कर लें।
6- कोई सामग्री उपलब्ध न होने पर केवल शुद्ध ताजा जल शिवजी को अर्पित करने पर प्रसन्न हो जाते हैं।
7- शास्त्रों के अनुसार, शिव को महादेव इसलिए कहा गया है कि वे देवता, दैत्य, मनुष्य, नाग, किन्नर, गंधर्व पशु-पक्षी व समस्त वनस्पति जगत के भी स्वामी हैं।
8 – इस दिन व्रत-उपवास रखकर बेलपत्र-जल से शिव की पूजा-अर्चना करके जौ, तिल, खीर और बेलपत्र का हवन करने से समस्त मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं।

महाशिवरात्रि व्रत विध‍ि
आपको बता दें कि शिवरात्रि व्रत से एक दिन पहले, त्रयोदशी पर भक्तों को बिना प्याज आदि का भोजन करना चाहिए। जबकि शिवरात्रि के दिन, सुबह उठकर स्‍नान करके पूरी श्रद्धा के साथ इस भगवान भोलेनाथ के आगे व्रत रखने का संकल्प लेना चाहिए। संकल्प के दौरान भक्त उपवास की अवधि पूरा करने के लिये भगवान शिव का आशीर्वाद लेते हैं। आप व्रत किस तरह से रखेंगे यानी कि फलाहार या फिर निर्जला ये भी तभी संकल्प लें। शिवरात्रि वाले दिन सुबह स्नान करके मंदिर में पूजा करने जाना चाहिए। श‍िवरात्र‍ि के मौके पर भगवान श‍िव पूजा रात्र‍ि खास रूप से करनी चाहिए। पूरे दिन और रात उपवास करने के बाद अगले दिन सूर्योदय होने के बाद नहाकर ही व्रत खोला जाता। वास्‍तविक मान्‍यता यही है कि शिव पूजन और पारण चतुर्दशी तिथ‍ि में ही की जाती है।

इस तरह करें भगवान शिव की आराधना
सर्वप्रथम नित्य क्रियाओं से निव्रत होकर किसी भी शिवालय में जाकर आप पूजा अर्चना कर सकते है। शिव जी को किसी भी तांबे के पात्र में जल भर कर उसमे थोड़ी शक्कर, गुलाब के फूल की पत्तियां डाल कर स्नान कराएं। उसके बाद घी, दूध, शहद, गंगाजल, शक्कर डाल कर उनका पंचामृत अभिषेक कराएं। उसके उपरांत  भगवान शिव को रोली, मौली, अक्षत, यानी पुष्प (कनेर गुलाब) पान, सुपारी ,लौंग, इलायची, चंदन, कमलगटटा, धतूरा, बेलपत्र, आदि अर्पित करें। शिवपुराण के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन शिवपुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता। मंत्र इस प्रकार हैं-
ॐ हौं जूं सः
महा मृतुन्जय मंत्र…
ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टि-वर्धनम उर्वारुकमिव बन्धनं मृत्योर्मुक्षीय मामृतात

महाशिवरात्रि के दिन भूलकर भी न करें ऐसी गलती
भगवान शिव को खुश करने के लिए महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर तुलसी का पत्ता कभी नहीं चढ़ाना चाहिए। शिवलिंग पर पैकेट समेत दूध भी नहीं चढ़ाना चाहिए। आप दूध को खोल कर तब भगवान पर चढ़ा सकते हैं। भगवान शिव के ऊपर ठंढ़ा दूध ही चढ़ाएं। इसके साथ ही भगवान शिव को भूलकर भी चंपा के फूल नहीं चढ़ाने चाहिए। शिवलिंग पर कभी टूटे हुए चावल या कटे-फटे या टूटे हुए बेलपत्र नहीं चढ़ाना चाहिए। शिवलिंग पर हमेशा ठंडी चीज़ चढ़ानी चाहिए। ध्यान रहे कभी भी शिवलिंग पर गर्म पानी भी न चढ़ाएं। हमेशा ठंडा पानी या ठंडा दूध भगवान शिव को अर्पित करें।

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