हिमालयी क्षेत्रों में रुक रुक कर हो रही बर्फबारी, शीतलहर की चपेट में केदार घाटी ..

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केदार घाटी के ऊंचाई इलाकों में रुक – रुककर हो रही बर्फबारी व निचले क्षेत्रों में बारिश होने से सम्पूर्ण केदार घाटी शीतलहर की चपेट में आ गयी है। ऊंचाई वाले इलाकों में जमकर बर्फबारी होने से हिमालयी क्षेत्रों के आंचल में बसे पर्यटक स्थल बर्फबारी से लदक हो गये है जबकि निचले क्षेत्रों में मौसम के बार – बार करवट लेने से जन – जीवन अस्त – व्यस्त होने के साथ काश्तकारों की गेहूँ की बुवाई खासी प्रभावित हो गयी है। आने वाले दिनों में यदि मौसम का मिजाज इसी प्रकार रहा तो निचले क्षेत्रों में भी बर्फबारी की सम्भावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है। बता दे कि केदार घाटी में विगत कई दिनों से मौसम के बार – बार करवट लेने से वासुकी ताल, गांधी सरोवर, मनणामाई तीर्थ, पाण्डव सेरा, नन्दीकुण्ड, विसुमीताल सहित हिमालयी आंचल में बसे पर्यटक स्थल बर्फबारी से लदक हो चुके है। केदारनाथ धाम में विगत कई दिनों से रूक – रुककर बर्फबारी होने से केदारनाथ धाम में चल रहे पुर्ननिर्माण कार्य खासे प्रभावित हो रहें है।

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मदमहेश्वर धाम में भी बर्फबारी होने की सूचना है जबकि तुंगनाथ धाम में मौसम की दूसरी बर्फबारी होने से तापमान में भारी गिरावट महसूस होने लगी है। भले ही तुंगनाथ धाम में इस बार 25 हजार 167 तीर्थ यात्रियों के आने से तीर्थ यात्रियों की संख्या ने नया कीर्तिमान स्थापित तो किया है मगर मौसम के मिजाज बार – बार बदलने से तुंगनाथ धाम आने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या में भी भारी गिरावट देखने को मिल रही है। आने वाले दिनों में यदि मौसम का मिजाज इसी प्रकार रहा तो चोपता, कार्तिक स्वामी, पवालीकांठा, काली शिला, मोठ बुग्याल, ताली बुग्यालों सहित सीमान्त गांवों में भी बर्फबारी होने की सम्भावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है।

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तुंगनाथ धाम प्रबन्धक बलवीर सिंह नेगी ने बताया कि तुंगनाथ धाम में लगातार मौसम के तापमान में गिरावट महसूस होने से तीर्थ यात्रियों के आवाजाही में गिरावट आने लगी है। केदार घाटी के निचले इलाकों में बारिश होने से सम्पूर्ण केदार घाटी शीतलहर की चपेट में आने के साथ काश्तकारों की आजीविका खासी प्रभावित हो गयी है। मदमहेश्वर घाटी विकास मंच पूर्व अध्यक्ष मदन भटट् ने बताया कि क्षेत्र में मौसम के बार – बार करवट लेने से तापमान में भारी गिरावट महसूस होने लगी है। गडगू गाँव निवासी सुदीप राणा ने बताया कि आने वाले दिनों में यदि मौसम का मिजाज इसी प्रकार रहा तो सीमान्त गांवों में बर्फबारी के आसार बन सकते है। गैड़ गाँव के काश्तकार बलवीर राणा ने बताया कि बेमौसमी बारिश से काश्तकारों की गेहूँ की बुवाई खासी प्रभावित हो गयी है तथा समय पर यदि गेहूँ की बुवाई नहीं होती है तो भविष्य में काश्तकारों के सन्मुख दो जून रोटी का संकट खड़ा हो सकता है।

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