चारधाम यात्रा: हाईकोर्ट ने दी बड़ी राहत, कुछ प्रतिबंधों के साथ लगी रोक हटी..
नैनीताल: हाईकोर्ट ने 26 जून को कोविड की वजह से चारधाम यात्रा पर रोक लगा दी थी। इस आदेश के खिलाफ सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दायर की थी, लेकिन पिछले दिनों प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से एसएलपी वापस ले ली। सरकार ने 10 सितंबर को हाईकोर्ट में प्रार्थनापत्र देकर सुप्रीम कोर्ट से एसएलपी वापस लेने, राज्य में कोविड के कम मामले आने समेत कोविड नियमों के अनुपालन का पक्ष रखते हुए चारधाम यात्रा पर लगी रोक को हटाने की मांग की थी। इस मामले में कई याचिकाकर्ताओं ने बाहरी राज्यों से आ रहे लोगों की राज्य की सीमा पर ही कोविड जांच के लिए जनहित याचिका दायर की थी। कोर्ट ने इसी जनहित याचिका पर कुंभ मेले और चारधाम यात्रा को संबद्ध किया था।
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अब उत्तराखंड में चार धाम यात्रा से जुड़े सभी लोगों के लिए एक बड़ी खबर आ रही है। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने चार धाम यात्रा को लेकर धामी सरकार को बड़ी राहत दी है। उच्च न्यायालय ने चारधाम यात्रा पर लगाई गई रोक को कुछ प्रतिबंधों के साथ हटा दिया है। मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने केदारनाथ धाम में प्रतिदिन 800 भक्त या यात्रियों, बद्रीनाथ धाम में 1200, गंगोत्री में 600, यमनोत्री धाम में कुल 400 यात्री जाने की अनुमति दी है। न्यायालय ने हर भक्त या यात्री को कोविड नेगेटिव रिपोर्ट और दो वैक्सीन का सर्टिफिकेट ले जाना होगा। चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों में होने वाली चारधाम यात्रा के दौरान आवयश्यक्तानुसार पुलिस फोर्स लगाने को कहा है। भक्त किसी भी कुंड में स्नान नहीं कर सकेंगे ।
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चीफ जस्टिस आरएस चौहान और जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की बेंच ने सरकार के शपथपत्र पर सुनवाई करते बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट में चारधाम यात्रा और सूबे की बदहाल स्वस्थ्य व्यवस्था को लेकर दाखिल कई याचिकाकर्ताओं में शुमार अधिवक्ता अभिजय नेगी ने हाईकोर्ट के फैसले पर कहा, ‘चारधाम यात्रा खोले जाने पर सभी पक्षकारों की सहमति है। अगर सरकार स्वास्थ्य ढांचे से सम्बंधित चाक-चौबन्ध तैयारियां पहले ही माननीय उच्च न्यायालय को अवगत करा देती तो यात्रा पर रोक की नौबत नहीं आती। उम्मीद करते हैं कि सरकार पुख्ता स्वास्थ्य व्यवस्था और सफाई व्यवस्था के साथ यात्रा को जारी रख पाएगी’। कुल मिलाकर यह चार धाम यात्रा खोले जाने के संकेत हैं।
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आपको बता दें कि हाईकोर्ट ने 26 जून को कोरोना संक्रमण के खतरे और राज्य सरकारी की आधी-अधूरी तैयारियों के चलते चारधाम यात्रा पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद जुलाई में धामी सरकार चार हफ्ते की हाईकोर्ट स्टे के खिलाफ एसएलपी लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी। लेकिन जुलाई-अगस्त दो माह बीत जाने के बाद भी सरकारी वकील मामले की लिस्टिंग तक नहीं करा पाए। हाईकोर्ट की चारधाम यात्रा पर चार हफ्ते की रोक हटाने को सुप्रीम कोर्ट में आठ हफ्ते बाद भी मामला लिस्ट नहीं करा पाई। जिसके बाद धामी सरकार फिर हाईकोर्ट पहुंची क्योंकि स्थानीय कारोबारियों, तीर्थ-पुरोहितों और विपक्ष की घेराबंदी से धामी सरकार बैकफुट पर आ चुकी थी। लिहाजा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से एसएलपी वापिस लेकर दोबारा 10 सितंबर को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जहां उसे राहत मिल गई है।