ब्रिटेन में गुंजेंगे हर जुबां पर गढ़वाली-कुमाउंनी गीत, 7 कलाकारों को आया बुलावा, यहां देंगे अपनी प्रस्तुति..

Garhwali-Kumaoni songs will resonate on every tongue in Britain. Hillvani News
उत्तराखंड अपनी लोक संस्कृति, रहन-सहन, परंपरा, खानपान के साथ देवभूमि होने के चलते विश्वविख्यात है तो वहीं उत्तराखंड को लोक गायक उत्तराखंड की खूबसूरती, दुख दर्द, यहां का सौंदर्य को अपने गीतों के माध्यम से अपने श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत करते हैं। जिसके चलते अन्य प्रदेश व विदेशों में रहने वाले प्रवासी उत्तराखंड़ी जब भी अपने पहाड को याद करते हैं तो उत्तराखंड के सुर सरताजों को अपने पास बुला लेते हैं। जिससे पहाड़ के प्रवासी अपने उत्तराखंड, पहाड़ और गांव से गीतों के माध्यम से जुड़ें सके। उत्तराखंड के कई लोक गायक विदेशों में मंच प्रस्तुति के लिए पहुंचे हैं। वहीं उत्तराखंड के सात लोकगायक व गायिकाएं को ब्रिटेन से उत्तराखंड प्रवासी बंधुओं का बुलावा आया है। सात उत्तराखंडी कलाकार ब्रिटेन में तीन अलग-अलग शहरों में अपनी प्रस्तुति देंगे।
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उत्तराखंड देवभूमि ट्रस्ट द्वारा उत्तराखंड म्यूजिक एंड कल्चरल नाइट के नाम से उत्तराखंड के कलाकारों की ये प्रस्तुति 28 मई को बर्मिंघम, 29 मई को नाटिंघम, 5 जून को लंदन में होगी। ब्रिटेन जाने वाले कलाकारों में अनुराधा निराला, साहब सिंह रमोला, माया उपाध्याय, सौरभ मैठाणी, विरेन्द्र नेगी राही, सुभाष पांडे, अनुराग नेगी शामिल हैं। आपको बता दें कि इससे पहले ऑस्ट्रेलिया से भी उत्तराखंडी कलाकारों को उत्तराखंड एसोसिएशन ऑफ ऑस्ट्रेलिया व दून होम्स का बुलावा आ चुका है। वहां मेलबोर्न में लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी, किशन महिपाल के साथ अन्य कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी थी।
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युवा व लोकप्रिय गढ़वाली गायक सौरभ मैठाणी का कहना है कि यह हमारे पहाड़ की बात ही अलग है। हम उत्तराखंडी कहीं भी क्यों न रहें पर हम अपने पहाड, गांव और गांव की संस्कृति परंपरा को कभी नहीं भूलते। जब भी प्रवासी भाई बंधुओं को अपने उत्तराखंड की याद आती है तो वह हम कलाकारों को वहां बुलाकर गीतों के माध्यम से उत्तराखंड में होने का एहसास करते हैं। वहीं कुमाऊंनी गायिका माया उपाध्याय का कहना है कि पिछले सालों कोविडकाल में जहां कलाकारों को सबसे अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ा था तो वहीं अब सब कुछ सामान्य होने पर सबकुछ सही होता जा रहा है।
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