आज प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के नायक मंगल पांडे की जयंती, पीएम मोदी ने किया याद…
आजादी का अमृत महोत्सव के तहत क्रांतिकारी मंगल पांडे के जन्मदिवस मंगलवार को सभी विद्यालयों में मनाया जाएगा। मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया में हुआ था। देश को आजाद कराने के लिए ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ बगावत की। निश्चित तारीख से पहले ही 8 अप्रैल 1857 को उन्हें फांसी दे दी गई थी। यूपी के नगवा गांव में ब्राह्मण परिवार में जन्मे मंगल पांडे 22 साल की उम्र में ईस्ट इंडिया कंपनी की बंगाल नेटिव इन्फेंट्री में सिपाही थे। प्रदेश सरकार ने युवा क्रांतिकारी की जयंती मनाने का निर्णय लिया है।
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पीएम मोदी ने मंगल पांडे को उनकी जयंती पर किया याद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को मंगल पांडे को उनकी जयंती पर याद किया और कहा कि स्वतंत्रता सेनानी ने भारत के इतिहास में बहुत ही महत्वपूर्ण समय में देशभक्ति की चिंगारी प्रज्वलित की थी। पीएम मोदी ने एक ट्वीट में कहा, “महान मंगल पांडे साहस और दृढ़ संकल्प के पर्याय हैं। उन्होंने हमारे इतिहास के एक बहुत ही महत्वपूर्ण समय में देशभक्ति की चिंगारी प्रज्वलित की और अनगिनत लोगों को प्रेरित किया। उनकी जयंती पर उन्हें याद किया। इस साल की शुरुआत में मेरठ में उनकी प्रतिमा को श्रद्धांजलि दी थी।”
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उपराष्ट्रपति ने भी किया याद
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भी मंगल पांडे को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी और कहा कि उन्हें भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी अमूल्य भूमिका के लिए हमेशा याद किया जाएगा। नायडू ने एक ट्वीट में कहा, “बहादुर स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे को उनकी जयंती पर मेरी श्रद्धांजलि। उन्होंने अन्यायपूर्ण ब्रिटिश शासन के खिलाफ 1857 के सिपाही विद्रोह का नेतृत्व किया और कई लोगों को स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। उन्हें भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी अमूल्य भूमिका के लिए हमेशा याद किया जाएगा।”
भारत के पहले स्वतंत्रता सेनानी
मंगल पांडे जिन्हें भारत के पहले स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जाना जाता है, उन्होंने 1857 में ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ भारत के पहले बड़े विद्रोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी की 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री (बीएनआई) रेजिमेंट में एक सिपाही (पैदल सैनिक) थे।
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ब्रिटिश हुकूमत ने गुपचुप तरीके से दे दी थी फांसी
बैरकपुर परेड मैदान कलकत्ता के निकट 29 मार्च 1857 को रेजीमेंट के अफसर लेफ्टिनेंट बाग द्वारा जोर-जबर्दस्ती किए जाने पर मंगल पांडे ने उन पर हमला कर दिया। ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ किसी भी सैनिक का यह पहला विरोध था। इसके बाद तो मंगल पांडे पर धार्मिक उन्माद का आरोप लगा और गिरफ्तार करने का आदेश भी जारी हो गया लेकिन इसके बाद मंगल पांडे को गिरफ्तार करने से सबने इंकार कर दिया। ‘मारो फिरंगियों को’ का हुंकार देने के साथ ही मंगल पांडेय ने सिपाहियों से ब्रिटिश हुकूमत का विरोध करने के लिए कहा और हथियार उठा लिया था। उन्होंने सार्जेंट मेजर ह्यूसन को गोली मार दी। मंगल पांडे ने अपनी गिरफ्तारी से पहले ही खुद को गोली मार ली लेकिन घाव गहरा नहीं था। इसके बाद उनकी गिरफ्तारी हुई और उन पर कोर्ट मार्शल कर 18 अप्रैल को फांसी पर चढ़ाने की सजा दी गई। इसके बाद भी ब्रिटिश शासन को भय था और इसलिए मंगल पांडे को 10 दिन पहले यानी 8 अप्रैल 1857 को गुपचुप तरीके से फांसी पर चढ़ा दिया।
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