भाजपा-कांग्रेस ने प्रदेश को इन 22 सालों में पहुंचाया नुकसान! दोनों पार्टी विकास की बनती रही बाधक..

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BJP and Congress caused damage to the state in these 22 years. Hillvani News

BJP and Congress caused damage to the state in these 22 years. Hillvani News

आज उत्तराखंड ने अपनी स्थापना के 22 साल पूरे कर लिए हैं और 23वें साल में प्रवेश कर लिया है। आज उत्तराखंड जिस मुकाम पर खड़ा है, वह उससे कहीं और आगे भी हो सकता था। हर बार राजनीतिक अस्थिरता ने उत्तराखंड के कदमों में बेड़ियां डाल दीं। भाजपा और कांग्रेस की वजह से राजनीतिक अस्थिरता ने उत्तराखंड को नुकसान पहुंचाया है। राजनीतिक अस्थिरता की वजह से विकास के साथ आम आदमी को भी परेशानी उठानी पड़ी है। उत्तराखंड गठन के बाद से केवल वर्ष 2002 से 2007 तक कांग्रेस सरकार में केवल एनडी तिवारी ही मुख्यमंत्री के रूप में अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा कर पाए। इसके बाद बनी सरकारों में कोई भी दल स्थिरता नहीं दे पाया। किसी भी राज्य के नियोजित विकास के लिए उसको आर्थिक रूप से संपन्न होना, ठोस नियोजन प्रक्रिया तो जरूरी है ही, साथ ही सबसे महत्वपूर्ण पहलू राजनीतिक स्थिरता भी है।

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राजनीतिक स्थिरता होने पर राज्य एक विजन के साथ आगे बढ़ता है। लेकिन इस मामले में उत्तराखंड ज्यादा खुशनसीब नहीं रहा। हालांकि वर्ष 2002 से 2007 तक रही कांग्रेस सरकार में एनडी तिवारी पूरे पांच साल तक सीएम रहे, लेकिन आंतरिक दलीय संघर्ष उन्हें भी झेलना पड़ा। 2007 से 2012 तक रही भाजपा सरकार में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल रहा। तीन बार मुख्यमंत्री बदले गए। 2012 से 2017 की कांग्रेस सरकार में स्पष्ट बहुमत का अभाव राजनीतिक अस्थिरता का कारण रहा है। कांग्रेस की दलीय राजनीति की वजह से भी दो-दो बार सीएम बदले गए। इस में राजनीतिक अस्थिरता तब चरम पर पहुंच गई जब कांग्रेस में विभाजन हो गया। हालांकि तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपनी सरकार बचा तो ली थी, लेकिन राज्य विकास के मोर्चे पर पूरी तरह पटरी से उतर गया।

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2017 में जनता ने भाजपा को 57 विधायकों के रूप में प्रचंड बहुमत दिया, इसके बावजूद भाजपा अंतिम साल में बिखर गई। त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाकर तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया। फिर चौथे ही महीने तीरथ की भी छुट्टी कर पुष्कर सिंह धामी को कमान सौंप दी गई। इस संबंध राजनीतिक जानकार कहते हैं कि उत्तराखंड में दलीय रूप से तो जनता दोनों दलों को मौका देती रही है। लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि हम यहां कोई विजनरी नेता तैयार नहीं कर पाए। हर दल में उपयोगिता पर आंकाक्षाएं ज्यादा हावी हो जाने के कारण यह स्थिति आई। वास्तव में राजनीतिक अस्थिरता प्रदेश के विकास में बाधक बनती आ रही है। बीते 22 साल में उत्तराखंड ने काफी कुछ उपलब्धियां हासिल की हैं तो कई नाकामियां भी हासिल की है। लेकिन बहुत कुछ और भी ऐसा है जो अभी पाना बाकी है।

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