मकर संक्रांति में स्नान और दान का शुभ मुहूर्त, क्यों खाई जाती है खिचड़ी? जानें..
मकर संक्रांति का त्योहार इस साल 14 जनवरी को यानी आज पूरे देश में मनाया जा रहा है। मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने और दान करने का विशेष महत्व माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार खिचड़ी का संबंध अलग-अलग ग्रहों से है। खिचड़ी में पड़ने वाले चावल, काली दाल, हल्दी और सब्जियों के अलावा इसे पकाने तक की प्रक्रिया किसी न किसी विशेष ग्रह को प्रभावित करती है। आज के दिन सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। आज के दिन स्नान करते हैं और सूर्य देव की पूजा करते हैं। उसके बाद दान दिया जाता है। फिर पूजा के बाद तिल के लडडू, मूंगफली, लाई, रेवड़ी, खिचड़ी और दही-चूड़ा खाने की परंपरा भी है।
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मकर संक्रांति 2022 शुभ मुहूर्त
दृक पंचांग के अनुसारआज 14 जनवरी को मकर संक्रांति का क्षण मकर दोपहर 02:43 बजे है। इस समय पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होगा। इसका पुण्य काल दोपहर 02:43 बजे से शाम 05:45 बजे तक है। वहीं मकर संक्रांति का महा पुण्य काल दोपहर 02:43 बजे से शाम 04:28 बजे तक है।
मकर संक्रांति में स्नान का समय
मकर संक्रांति को स्नान और दान के लिए मुहूर्त 6 घंटा पूर्व से प्रारंभ हो जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार 6 घंटा पूर्व पुण्य काल मान्य होता है। ऐसे में आप सुबह 08:43 से मकर संक्रांति का स्नान और दान कर सकते हैं। इस समय में रोहिणी नक्षत्र और शुक्ल योग बना हुआ है। ये दोनों ही दान पुण्य के लिए ठीक माने जाते हैं।
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मकर संक्रांति में खिचड़ी का महत्व
ज्योतिषाचार्य बताया हैं कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति की खिचड़ी चावल, काली दाल, हल्दी, मटर और हरी सब्जियों का विशेष महत्व है। खिचड़ी के चावल से चंद्रमा और शुक्र की शांति का महत्व है। काली दाल से शनि, राहू और केतु का महत्व है, हल्दी से बृहस्पति का संबंध है और हरी सब्जियों से बुध का संबंध है। वहीं जब खिचड़ी पकती है तो उसकी गर्माहट का संबंध मंगल और सूर्य देव से है। इस प्रकार लगभग सभी ग्रहों का संबंध खिचड़ी से है, इसलिए मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने और दान का महत्व अधिक होता है।
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मकर संक्रांति में बड़े होने लगते हैं दिन
मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव के साथ अपने आराध्य देव को भी खिचड़ी का भोग अवश्य लगाना चाहिए। इससे सूर्य देव प्रसन्न होते हैं साथ ही सभी ग्रह भी शांत होते हैं। इस दिन सूर्य देव के मंत्रों का जाप करने से भी लाभ मिलता है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण की ओर बढ़ चलते हैं। दिन बड़ा होने लगता है और रातें छोटी होने लगती हैं। सूर्य की गति में ठहराव होने लगता है। जिससे सूर्य देव में तेज और ऊष्मा आने लगता है। सूर्य अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश करते हैं।