हिमालयन इंस्टिट्यूट की मनमानी, छात्रों के भविष्य से कर रहे खिलवाड़। देखें क्या कहा छात्रों और परिजनों ने..
देहरादूनः जौलीग्रांट स्थित हिमालयन इंस्टिट्यूट विवादों में आ गई है। हिमालयन इंस्टिट्यूट में आज से एमबीबीएस अंतिम वर्ष की परीक्षाएं शुरू हो गई है। तो वहीं हिमालयन इंस्टिट्यूट ने एग्जाम से ठिक एक दिन पहले ऐसा आदेश जारी किया, जिसने छात्रों को परेशानी में डाल दिया। हिमालयन इंस्टिट्यूट ने परीक्षा से पहले छात्रों को 23 लाख रुपए फीस जमा करने का आदेश जारी कर विद्यार्थियों के भविष्य को अधर में लटका दिया है। सराकारी कोटे के द्वारा एडमिशन पाने वाले छात्रों से अचानक 23 लाख रूपए की मांग से जहां हिमालयन इंस्टिट्यूट ने विद्यार्थियों को सामने बड़ी मुसिबत खड़ी कर दी है तो वहीं छात्र के परिजन भी परेशान हैं। छात्र-छात्रा इस आदेश के विरोध में हिमालयन इंस्टिट्यूट मैनेजमेंट पर मनमानी का आरोप लगाते हुए हॉस्पिटल गेट के बाहर धरना प्रदर्शन करने बैठ गए है।
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एमबीबीएस के फाइनल ईयर के छात्रों का कहना है कि फीस को लेकर उनका मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। आज से एग्जाम हैं और एक दिन पहले यानि कल सभी छात्रों को 23 लाख रुपए जमा करने के लिए कहा गया है। ऐसे में स्टूडेंट्स का कहना है कि एकदम से एक दिन में इतनी भारी-भरकम फीस इंतजाम कैसे करेंगे। छात्रों ने हिमालयन इंस्टिट्यूट मैनेजमेंट पर मनमानी का आरोप लगाया और स्टूडेंट्स को परेशान करने का भी आरोप लगाया है। ऐसे में अंतिम वर्ष के छात्र-छात्राओं में से करीब 140 छात्रों नें हिमालयन हॉस्पिटल गेट पर बीते दिन से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। छात्रों का कहना है कि ज्यादातर छात्र गरीब परिवारों से हैं। वह एकदम से कैसे इतनी फीस दे पाएंगे। आज यूकेडी नेता शिव प्रसाद सेमवाल ने भी छात्र-छात्राओं के हित में आवाज उठाई। क्या कहा छात्रों और उनके परिजनें ने……..
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दरअसल परीक्षा सर पर है और संस्थान ने परीक्षा से 1 दिन पहले 144 बच्चों को नोटिस थमाया है, जिसमें लिखा गया है कि आप एग्जाम नहीं दे सकते। वजह है 144 बच्चों द्वारा 23 लाख रूपए अतिरिक्त ट्यूशन फीस न देना। ट्यूशन फिस के नाम पर 23 लाख रुपए की मांग यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा एग्जाम के कुछ दिन पहले ही की गई है। वहीं इसके विरोध में धरने पर बैठी छात्रा ने कहा कि 2017 में हमने एमबीबीएस मैं एडमिशन लिया था। एडमिशन के वक्त उनसे एक शपथ पत्र भी लिया गया था जिसमें कहा गया था कि अगर कोर्ट द्वारा फीस बढ़ोतरी होती है तो छात्र बढ़ी हुई फीस देंगे। लेकिन अब एग्जाम से पहले छात्रों को बोला जा रहा है कि 23 लाख रुपए का चेक जमा कराएं तभी एग्जाम में बैठने दिया जाएगा।
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धरने पर बैठे छात्र ने कहा कि हमारे जो एडमिशन हुए थे वह एचएनबी यूनिवर्सिटी के द्वारा हुए थे, जिसमें उत्तराखंड के जो निवासी छात्र हैं उनकी फीस 4 लाख और जो उत्तराखंड से बाहर के छात्र हैं उनकी फीस 5 लाख थी। पिछले 6 दिनों से हमारा शोषण किया जा रहा है परीक्षा से पहले हमें नोटिस दिए जा रहे हैं ऐसे हालातों में हम कैसे परीक्षा दें। गौरतलब है कि रूस यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है। और उत्तराखंड से कई छात्र ऐसे हैं जो मेडिकल की पढ़ाई करने यूक्रेन जाते हैं। जिसको लेकर आजकल सारे बड़े मंच पर मेडिकल की फीस को लेकर चर्चा हो रही है कि यूक्रेन में फीस सस्ती है तो उत्तराखंड में क्यों नहीं हो सकती है। लेकिन आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं। कि आखिर उत्तराखंड के बच्चे विदेशों में मेडिकल की पढ़ाई करने क्यों जा रहे हैं। ताजा मामला हिमालयन इंस्टिट्यूट जौलीग्रांट का है। जिन्होंने 2017 बैच के छात्र छात्राओं को 23 लाख की बैंक गारंटी मांगी है।
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