उत्तराखंड के पांच जांबाजों के बलिदान से दिलों में गुस्‍सा… हर आंख नम, दी गई अंतिम विदाई..

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जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आतंकी हमले में 22वीं गढ़वाल राइफल्स के पांच जवान बलिदान हुए हैं जबकि पांच जवान घायल हुए हैं। इस घटना से उत्तराखंड सहित पूरे भारत में गुस्‍सा है। मंगलवार शाम पांचों बलिदानियों का पार्थिव शरीर सेना के विशेष विमान से जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचा। जहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत, सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी, विधायक बृजभूषण गैरोला के अलावा सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। यहां से बलिदानियों के पार्थिव शरीर सेना के वाहन से उनके पैतृक आवास को ले जाए गए। जहां पर आज बुधवार को पूरे सैन्य सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई।

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मंदाल नदी के किनारे एक साथ जली दो शहीदों की चिताएं
हवलदार कमल सिंह रावत व राइफलमैन अनुज नेगी के पैतृक घाट पर राजकीय सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। शहीदों की अंतिम विदाई यात्रा में भारी जनसमूह उमड़ा। इस दौरान भारत माता के नारों के साथ पड़ोसी देश पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारों से समूचा रिखणीखाल क्षेत्र गुंजायमान हो उठा। राइफलमैन अनुज नेगी का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव डोलरिया गांव लाया गया। जहां राजकीय सैनिक सम्मान के साथ मंदाल नदी के तट पर पैतृक घाट ट़ाडा महादेव में पिता भारत सिंह नेगी ने नम आंखों से भारत माता के वीर सपूत को मुखाग्नि दी गई। 25 वर्षीय अनुज नेगी 2018 में 22 गढ़वाल राइफल का हिस्सा बने। नवम्बर माह में उनकी शादी हुई थी। मई माह के अंत में गांव में छुट्टी पर आये हुये थे। अनुज अपने घर का इकलौता बेटा था। वह अपने पीछे मां सुमित्रा देवी, छोटी बहन, पिता भारत सिंह, पत्नी को छोड़ गये हैं। वहीं हवालदार कमल सिंह रावत को भी गांव के निकट ही मंदाल नदी के तट पैतृक घाट में चाचा कल्याण सिंह ने मुखाग्नि दी। वीरगति प्राप्त सैनिक का पार्थिक शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया। हवलदार कमल सिंह रावत नौदानू गांव रतुवाढ़ाब निवासी थे। 36 वर्षीय हवलदार शहीद कमल सिंह रावत अपने घर के इकलौते थे। वह अपने पीछे दो बेटी पत्नी मां दादी को रोता बिलखता अकेला छोड़ कर चले गये हैं।

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तिरंगे में लिपटकर लौटा भाई…बहनों ने दिया कंधा
आतंकवादियों से लोहा लेते हुए अपना बलिदान देने वाले अठुरवाला भनियावाला निवासी विनोद सिंह (33) पुत्र बीर सिंह का पार्थिव शरीर आज घर पहुंचा। बलिदानी विनोद सिंह का पार्थिव शरीर जैसे ही घर पर पहुंचा, उनकी पत्नी बिलख पड़ी। मां-पिता की भी तड़प दिखाई दी। परिजनों को सांत्वना देने के लिए कल से ही घर में लोग पहुंच रहे हैं। आज बलिदानी विनोद सिंह को अंतिम विदाई देने सैलाब उमड़ पड़ा। नायक विनोद सिंह के पिता बीर सिंह ने कहा कि वह खुद भी फौज में रहे हैं। उन्हें फक्र है कि उनका बेटा देश के काम आया है, लेकिन बेटे के छोटे बच्चों को देखकर वो खुद पर काबू नहीं रख पा रहे हैं। शहीद की बहनों ने अपने पिता बीर सिंह से कहा कि रोना नहीं हैं। तिरंगे में लिपटा उनका भाई जिस तरह घर आया है। ऐसी शहादत हर किसी को नहीं मिलती। पिता ने बेटियों से कहा कि वो बेटे के लिए नहीं उसके बच्चों के लिए रो रहे हैं। क्योंकि वो छोटे हैं। आंखों से आंसू बहते रहे और बहने साथ में भारत माता की जयकारे लगाते रहीं। और भाई के पार्थिव शरीर को कांधा भी दिया। बलिदानी विनोद सिंह की पूर्णानंद घाट पर सैन्य सम्मान के साथ अंत्येष्टि की गई। शहीद विनोद तीन बहनों के अकेले भाई थे। उनका एक चार साल का बेटा और एक तीन माह की बेटी है।

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‘आदर्श तेरा ये बलिदान, याद रखेगा हिंदुस्तान’ से गूंजा थाती डागर
कठुआ आतंकी हमले में बलिदान हुये राइफलमैन आदर्श नेगी के पार्थिव शरीर को लेकर सेना के जवान जब थाती डागर गांव पहुंचे तो चारों तरफ वीर सपूत आदर्श नेगी के नारें गूंज उठे। हजारों नम आंखों ने अपने लाडले आदर्श को आखिरी विदाई दी। आज बुधवार की सुबह से ही हजारों की संख्या में कीर्तिनगर, श्रीनगर और आसपास के लोग बलिदानी राइफलमैन आदर्श नेगी के गांव थाती डागर पहुंच गये थे। पूरे कीर्तिनगर में शोक में बाजार बंद रहे। सेना के जवान पूरे राजकीय सम्मान के साथ जब आदर्श नेगी के पार्थिव शरीर को लेकर गांव पहुंचे तो गांव में हर कोई सन्न रह गया। चारों तरफ से आदर्श नेगी अमर रहे के नारें गूंज उठे। जैसे ही आदर्श के घर पर उनका पार्थिव शरीर पहुंचा तो कोहराम मच गया। उनके स्वजन और ग्रामीणों के सब्र का बांध टूट गया। हर कोई आदर्श की मां और पिता को सांत्वना दे रहा था। उनके घर पर अंतिम दर्शनों के बाद राजकीय सम्मान के साथ कीर्तिनगर में उनके पैतृक घाट के लिए रवाना हो गए। जहां पूरे सैन्‍य सम्‍मान के साथ उनका अंतिम संस्‍कार किया गया। इस दौरान विधायक विनोद कंडारी, डीएम मयूर दीक्षित, एसएसपी नवनीत सिंह भुल्लर, जिलाध्यक्ष भाजपा राजेश नौटियाल आदि मौजूद रहे। 26 वर्षीय राइफलमैन आदर्श नेगी टिहरी गढ़वाल के थाती डागर गांव के निवासी थे।

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होली पर घर आए थे बलिदानी आनंद
बलिदानी नायब सूबेदार आनंद सिंह रावत होली से पहले एक महीने की छुट्टी लेकर घर आए थे। इस दौरान वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ अपने पैतृक गांव कांडाखाल (रुद्रप्रयाग) भी गए थे। रुद्रप्रयाग के कांडाखाल गांव निवासी बलिदानी नायब सुबेदार आनंद सिंह रावत के का परिवार देहरादून के गुजरोंवाली कृष्णा विहार-शिवलोक कालोनी में रहता है। हालांकि बड़े भाई और मां गांव में ही रहती है। देहरादून में उनकी पत्नी विजया रावत और दो बच्चे रहते हैं। यहां पर उन्होंने तीन साल पहले ही घर बनाया था। पति के बलिदान होने की खबर मिलने के बाद विजया रावत और उनके दोनों बेटे मंगलवार सुबह को देहरादून से पैतृक गांव के लिए रवाना हो गए। बलिदानी नायब सूबेदार आनंद सिंह रावत होली से पहले वह एक महीने की छुट्टी लेकर घर आए थे। इस दौरान वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ अपने पैतृक गांव कांडाखाल (रुद्रप्रयाग) भी गए थे। गांव से लौटते समय उनकी पत्नी ने एक छोटी सी वीडियो बनाई थी, जिसे उन्होंने इंस्टाग्राम पर अपलोड किया। इस वीडियो में लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी का जो गीत लगाया गया है, वह हर किसी को झकझोर देने वाला है। दरअसल, विजया रावत ने अपने इस वीडियो के साथ गढ़वाली गीत दगडिय़ा भोल कख तू कख मी, आखिर फेर भेंटी जा आज’ लगाया हुआ है। इस गीत का तात्पर्य है कि साथी कल कहां आप रहोगे और कहां मैं, इसलिए आज आखिरी मुलाकात कर लो। लगता है कि नियति को यही मंजूर था। घर से वापस अपनी यूनिट में लौटने और बलिदान होने से पहले की नायब सूबेदार आनंद सिंह रावत का यह अंतिम वीडियो साबित हुआ। मंगलवार को जैसे ही उनके बलिदान होने की खबर आई तो उनकी पत्नी विजया रावत के इंस्टाग्राम पर अपलोड यह मार्मिक रील तेजी से प्रसारित होने लगी। वीडियो को देख हर कोई भावुक हो रहा है।

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