उत्तराखंडः लांसनायक चंद्रशेखर का पार्थिव शरीर पहुंचा तो 2 अन्य शहीदों के परिवार की भी जगी आस..
लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला का पार्थिव शरीर पहुंचा तो अन्य दो शहीदों के परिवारों की भी उम्मीद जग गई। बुधवार को लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला को श्रद्धांजलि देने पहुंचे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को शहीदों के परिजनों ने रोक लिया। शहीद नायक दया किशन जोशी और शहीद सिपाही हयात सिंह की पत्नी ने मुख्यमंत्री धामी से अपने पतियों के पार्थिव शरीर तलाशने की मांग की। मुख्यमंत्री धामी ने भी शहीदों के परिजनों का दर्द समझते हुए उन्हें आश्वासन देते हुए सैन्य अधिकारियों से बातचीत का आश्वासन दिया। वर्ष 1984 में सियाचिन की चोटी पर गई यूनिट में कई जवानों के पार्थिव शरीर उनके घरों तक पहुंच चुके हैं। अब भी दो परिवार ऐसे हैं जो उम्मीदों के सहारे अपनों का इंतजार कर रहे हैं। शहीद लांस नायक चंद्रशेखर हर्बोला के साथ नायक दया किशन जोशी और सिपाही हयात सिंह भी शहीद हुए थे।
यह भी पढ़ेंः पंचतत्व में विलीन हुए शहीद चंद्रशेखर, बेटियों ने दी मुखाग्नि। शहीदी के 38 साल बाद हुआ अंतिम संस्कार..
लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला के साथ सियाचिन की चोटी पर जा रही कंपनी में सिपाही हयात सिंह भी शामिल थे। उनकी वीरांगना बच्ची देवी ने बताया कि उनके घर पर पहुंचे दो टेलीग्राम ने उनकी जिंदगी को सूना कर दिया था। पहले टेलीग्राम में सैन्य अधिकारियों ने उनके पति समेत 20 जवानों के लापता होने की सूचना दी थी। करीब एक महीने बाद पहुंचे दूसरे टेलीग्राम को पढ़ने के बाद तो मानो दुखों का पहाड़ ही टूट पड़ा था। उसमें उनके पति के शहीद होने की खबर थी लेकिन पार्थिव शरीर मिलने की पुष्टि नहीं हुई थी। बच्ची देवी ने बताया कि जब सिपाही हयात सिंह शहीद हुए थे तब उनकी उम्र 24 साल थी और उनकी नौकरी को पांच साल छह महीने ही हुए थे। उस समय उनका बेटा राजेंद्र तीन साल का था। बेटी गर्भ में थी। पिता की शहादत के पांच माह बाद पुष्पा इस दुनिया में आई थी। बच्ची देवी ने बताया कि वह मूल रूप से रीठा साहिब की हैं। 16 साल से हल्द्वानी के भट्ट विहार स्थित कृष्णा कॉलोनी में रह रही हैं। वर्ष 1978 में शहीद हयात सिंह फौज में भर्ती हुए थे और 29 मई 1984 को सियाचिन में शहीद हो गए।
यह भी पढ़ेंः Electricity Rates: अब हर महीने बदलेंगी बिजली दरें, जल्द प्रभावी होगा नया प्रावधान..