प्रकृति के बीच बसा है ताली बुग्याल, यहां होती है पांडवों के अस्त्र-शस्त्रों की पाषाण रूप में पूजा..

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Tali Bugyal is settled in the beautiful plains of nature. Hillvani News

Tali Bugyal is settled in the beautiful plains of nature. Hillvani News

ऊखीमठः प्रकृति की हसीन वादियों में बसा ताली बुग्याल प्राचीन काल से पशुपालकों का चारागाह रहा है। ताली बुग्याल को प्रकृति ने अपने वैभवों का भरपूर दुलार दिया है। ताली बुग्याल के चारों ओर अन्य बुग्यालों व पर्यटक स्थलों की भरपार है। केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग की पहल पर यदि पर्यटन निर्देशालय ताली बुग्याल को पर्यटन मानचित्र पर लाने की कवायद करता है तो क्षेत्र के पर्यटन व्यवसाय में इजाफा होने के साथ मदमहेश्वर घाटी के गडगू गाँव में होम स्टे योजना को बढ़ावा मिलने के साथ स्थानीय युवाओं के समुख स्वरोजगार के अवसर प्राप्त हो सकतें है। ताली बुग्याल के चारों ओर फैली अपार वन सम्पदा व बुग्याल के आंचल में फैली मखमली घास के स्पर्श से मन को बड़ा शगुन मिलता है। बरसात ऋतु में ताली बुग्याल के चारो ओर झरनों की निनाद, विभिन्न प्रजाति के पक्षियों की चहक व निर्भीक उछल-कूद करते जंगली जानवरों को निहारने से भटके मन को अपार शान्ति मिलती है।

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ताली बुग्याल युगों से पशु पालकों का केन्द्र बिन्दु रहा है इसलिए आज भी ताली बुग्याल सहित अन्य बुग्यालों में पशु पालकों की छानियां देखने को मिलती है। पशु पालकों की छानियो में एक रात्रि प्रवास करने का सौभाग्य नसीब वालों को ही मिलता है। इन छानियो में रात्रि प्रवास करने पर प्यार, प्रेम व सौहार्द मिलता है। मदमहेश्वर घाटी के सीमान्त गाँव गडगू से लगभग 6 किमी दूरी तय करने के बाद ताली बुग्याल पहुंचा जा सकता है। विश्व विख्यात पर्यटक स्थल देवरिया ताल व तृतीय केदार तुंगनाथ के आंचल में बसें चोपता हिल स्टेशन से भी ताली बुग्याल पहुंचा जा सकता है। जिला पंचायत सदस्य विनोद राणा बताते है कि ताली बुग्याल में पर्दापण करने से भटके मन को अपार आनन्द की अनुभूति होती है। क्षेत्र पंचायत सदस्य लक्ष्मण सिंह राणा बताते है कि ताली बुग्याल के चारों तरफ रौणी जैसे अन्य बुग्यालों की भरमार है जिन्हें पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है। प्रधान विक्रम सिंह नेगी, पूर्व प्रधान सरिता नेगी बताते है कि इन बुग्यालों में पशुपालन की परम्परा युगों से चली आ रही है।

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नव युवक मंगल दल अध्यक्ष सुदीप राणा,सामाजिक कार्यकर्ता दलवीर सिंह नेगी बताते है कि बरसात व शरत ऋतु में ताली के बुग्यालों में अनेक प्रजाति के पुष्प खिलने से वहां के प्राकृतिक सौन्दर्य पर चार चांद लग जाते है। प्रकृति प्रेमी शंकर पंवार ने बताया कि ताली बुग्याल प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर होने के साथ आध्यात्मिक से भी जुड़ा हुआ है ताली बुग्याल के ऊपरी हिस्से में पाण्डवों के अस्त्र-शस्त्र आज भी पाषाण रूप में पूजे जाते है। पशुपालक वीरपाल सिंह नेगी, गोपाल सिंह नेगी बताते है कि ताली बुग्याल के चारों ओर के भूभाग में जंगली जानवरों की निर्भीक उछल-कूद अति प्रिय लगती है। गोपाल सिंह नेगी, रघुवीर सिंह नेगी बताते है कि ताली बुग्याल के आंचल में बसे भूभाग को प्रकृति ने नव नवेली दुल्हन की तरह सजाया व संवारा है। भगत सिंह, हीरा सिंह पंवार व रमेश नेगी का कहना है कि यदि प्रदेश सरकार ताली बुग्याल को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की कवायद करती है तो ताली बुग्याल को जोड़ने वाले पैदल ट्रैक विकसित होने के साथ गडगू गाँव में होम स्टे योजना को भी बढावा मिल सकता है।

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