भाजपा विधायक ने दिया इस्तीफा, इस सीट से उपचुनाव लड़ेंगे मुख्यमंत्री धामी…
उत्तराखंडः प्रदेश की राजनीति से जुड़ी एक बड़ी खबर आ रही है कि चंपावत विधानसभा सीट पर भाजपा विधायक कैलाश चंद्र गहतोड़ी ने विधानसभा अध्यक्ष रितु भूषण खंडूड़ी को विस की सदस्यता से अपना त्यागपत्र सौंप दिया हैं। संगठन के स्तर पर विचार-विमर्श के बाद बुधवार को इस विषय पर निर्णय हुआ था। गहतोड़ी ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को सीट खाली करने का प्रस्ताव सौंपा था। आज बृहस्पतिवार सुबह चंपावत विधानसभा सीट से भाजपा विधायक कैलाश चंद्र गहतोड़ी ने विधानसभा अध्यक्ष के यमुना कॉलोनी स्थित सरकारी आवास पर उन्हें अपना इस्तीफा सौंपा। जिसे विधानसभा अध्यक्ष ने मंजूर कर लिया है। इस दौरान बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास, कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा, संगठन महामंत्री अजय कुमार, विधायक खजान दास, मेयर सुनील उनियाल मौजूद रहे।
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जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी ने प्रेस को संबोधित करते हुए कैलाश चंद्र गहतोड़ी के इस्तीफे को स्वीकार करने की घोषणा की। विधानसभा चुनाव में भाजपा 47 सीट जीतकर सत्ता पर तो काबिज हो गई, लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खटीमा विधानसभा सीट से चुनाव हार गए। पार्टी ने धामी के नेतृत्व पर भरोसा किया और उन्हें फिस से सत्ता की कमान सौंपी। आपको बता दें कि मुख्यमंत्री धामी को छह महीने में निर्वाचित होकर विधानसभा में जाना है। इसके लिए उन्हें उपचुनाव लड़ना है। कैलाश गहतोड़ी काफी पहले ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए सीट खाली करने का एलान कर चुके हैं। मुख्यमंत्री ने भी उनकी सीट से उपचुनाव लड़ने के संकेत दिए थे। कुछ दिन पूर्व नई दिल्ली में केंद्रीय नेताओं से मुलाकात के बाद उनके चंपावत से उपचुनाव लड़ने की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया था। मंगलवार को गहतोड़ी ने भी देहरादून पहुंचकर इस संबंध में औपचारिक घोषणा करने के संकेत दिए थे। बुधवार को गहतोड़ी देहरादून पहुंचे। गहतोड़ी ने मुख्यमंत्री धामी और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक से मुलाकात की थी।
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पांच चुनाव में तीन बार चंपावत में जीती है भाजपा
राज्य गठन के बाद अब तक हुए पांच विधानसभा चुनावों में भाजपा को चंपावत विधानसभा सीट पर तीन बार जीत मिली है। पिछले दो विधानसभा चुनावों से चंपावत सीट पर भगवा बुलंद है। 2017 में भाजपा ने कैलाश गहतोड़ी को मैदान में उतारा था, जिन्होंने 63 फीसदी से अधिक वोट लेकर शानदार जीत दर्ज की थी। 2022 के विधानसभा चुनाव में भी गहतोड़ी विजयी रहे। राज्य बनने के बाद 2002 में सबसे पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हिमेश खर्कवाल इस सीट से चुनाव जीते। तब इस सीट भाजपा तीसरे स्थान पर रही थी। 2007 में इस सीट से भाजपा की बीना महाराना चुनाव जीतीं। 2012 में कांग्रेस के हिमेश खर्कवाल ने फिर वापसी की। 2017 और 2022 के चुनाव में भाजपा के कैलाश गहतोड़ी विजयी रहे।
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