साहस: इस शख्स ने 90 साल पहले तोड़ा था जिस घाटी का गुरूर, आज है तोताघाटी नाम से मशहूर..
देवप्रयाग: प्रदेश में पिछले कुछ सालों से ऑल वेदर रोड का कार्य जोरशोर से चल रहा है। इस रोड का कार्य आधुनिक मशीनों से किया जा रहा है परंतु यह ऑल वेदर रोड लोगों के लिए मुसीबत बनती जा रही है। हर दिन रोड का टूटना, भूस्खलन, पहाड़ी दरकना और बड़े बड़े पत्थरों का गिरना आम बात हो गई है। वहीं ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे मार्ग पर तोता घाटी की बात की जाए तो यह जगह लोगों के लिए नासूर बन गई है। इस मार्ग से गुजरने वाले लोगों के लिए बुरे सपने जैसा है तो वहीं यहां काम करने वाले लोगों के लिए एक जटिल चुनौती है। गढ़वाल क्षेत्र के अधिकतर वाहन यहीं से होकर जाते हैं लेकिन यहां आवाजाही करना इतना भी आसान नहीं है। भूस्खलन से प्रभावित ये इलाका वाहनों की आवाजाही के लिए अक्सर बंद रहता है, जिस वजह से वाहन चालक और यात्री आए दिन परेशान रहते हैं।
Read More भाग्यशाली लोगों को मिलता है कथा श्रवण का सौभाग्य : सीएम धामी
लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि तोताघाटी का नाम तोताघाटी क्यों पड़ा। कौन था जिसके नाम पर इस जगह का नाम पड़ा और क्यों? ओर किसने 90 साल पहले इस घाटी का गुरूर तोड़कर यहां पहली बार सड़क तैयार की थी, उस शख्स के बारे में भी जानेंगे। आपको बता दें कि आज के दौर में आधुनिक मशीनें और बारूद के धमाके ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे की तोताघाटी में फौलादी चट्टानों पर बेअसर साबित हो रहे हैं। आए दिन तोताघाटी की विशालकाय चट्टानें अत्याधुनिक मशीनों की परीक्षा लेती रहती हैं। अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि कुछ समय पूर्व सात माह तक पसीना बहाने के बाद एनएच यहां जैसे-तैसे हाईवे को खोल पाया था। लेकिन इसी के विपरीत 90 साल पहले प्रतापनगर के ठेकेदार तोता सिंह रांगड़ ने रस्सी और सब्बल की मदद से इस चट्टानी पहाड़ को चुनौती देने का साहस दिखाया था और इन्हीं मजबूत चट्टानों को काटकर तोताघाटी में सड़क मार्ग तैयार कर दिया था।
Read More सीएम धामी ने मसूरी में राजकीय उप चिकित्सालय में किया चिकित्सा उपकरणों का लोकार्पण..
प्रतापनगर के रहने वाले ठेकेदार तोता सिंह रांगड़ ने यहां चट्टान काटने के लिए अपनी सारी जमापूंजी खर्च कर दी थी, पत्नी के जेवर तक बेच दिए थे। उनकी इस जीवटता से खुश होकर टिहरी रियासत के तत्कालीन राजा नरेंद्र शाह ने घाटी का नाम तोताघाटी रखने के आदेश दिए थे। साल 1931 में तोताघाटी में सड़क बनाने का काम शुरू हुआ था और 1935 में सड़क बनकर तैयार हो गई थी। जब ठेकेदार तोता सिंह रांगड़ सड़क बनाकर राजा के पास गए और उन्होंने राजा से कहा कि उन्हें इस काम में भारी नुकसान हुआ है। राजा नरेंद्र शाह ने ठेकेदार तोता सिंह रांगड़ को न सिर्फ जमीन दान दी, बल्कि घाटी का नामकरण भी उनके नाम पर कर दिया। राजा ने ठेकेदार तोता सिंह रांगड़ को लाट साहब की उपाधि भी दी। टिहरी के राजा ने ठेकेदार तोता सिंह रांगड़ को 50 चांदी के सिक्के देकर सड़क मार्ग बनाने भेजा था। तोता सिंह 50 ग्रामीणों को लेकर चट्टान काटने निकल पड़े और इस सड़क को बनाने में 70 हजार चांदी के सिक्के खर्च हुए थे। तोताघाटी में ठेकेदार तोता सिंह रांगड़ की प्रतिमा लगाई जानी चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ी को सड़क निर्माण में उनके योगदान के बारे में पता चल सके।
Read More आबादी में घुसा गुलदार, रेंजर पर किया हमला..