यात्री बनकर बस में सवार हुए आरटीओ, चालक-परिचालक के उड़े होश, पढ़िए क्या है खबर..

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RTO boarded the bus

RTO boarded the bus : देहरादून : आरटीओ (प्रवर्तन) शैलेश तिवारी शहर में सार्वजनिक परिवहन सेवा के अंतर्गत संचालित सिटी बसों का हाल जानने गुरुवार को अनोखे अंदाज में परेड ग्राउंड पहुंचे। इस दौरान वह सरकारी गाड़ी से उतरकर पैदल ही कुछ दूर सड़क पर चले और बस स्टाप पहुंचे। वहीं राजपुर-क्लेमेनटाउन मार्ग की राजपुर की तरफ से आ रही सिटी बस में वह सामान्य यात्री बनकर सवार हो गए। बस में सभी सीटें फुल थीं और कुछ यात्री खड़े हुए थे। चालक-परिचालक वर्दी में नहीं थे। इस दौरान आरटीओ ने आगे से पीछे तक पूरी बस का निरीक्षण किया और यात्रियों से सामान्य ढंग से पूछताछ की। यही नहीं, महिला आरक्षित सीट पर पुरुष बैठे हुए मिले। निरीक्षण में जानकारी हासिल करने के बाद जब यात्रियों को आरटीओ ने खुद का परिचय दिया तो चालक-परिचालक के होश उड़ गए।

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चेकिंग के दौरान कुल 37 बसों की जांच की गई | RTO boarded the bus

आरटीओ ने बसों में दिव्यांग यात्रियों के लिए आरक्षित सीट समेत बसों में डस्टबीन, चालक व परिचालक के वर्दी में होने की जांच की। इसके अलावा चालकों की एल्कोमीटर से भी जांच की गई। चेकिंग के दौरान कुल 37 बसों की जांच की गई, जिनमें नियमों का पालन न होने व चालकों के पास ड्राइविंग लाइसेंस न होने पर पर नौ बसों का चालान किया गया। इस दौरान परिवहन कर अधिकारी अनुराधा पंत भी उपस्थित रहीं। महिला आरक्षित सीट पर बैठे पुरुषों को देख आरटीओ का पारा चढ़ गया। उन्होंने न सिर्फ सीट पर बैठे पुरुषों को नियम का पाठ पठाया, बल्कि परिचालक को चेतावनी देकर महिला सीट आरक्षित रखने को कहा। उन्होंने महिला आरक्षित सीटों को खाली कराया। आरटीओ ने बताया कि 25 सीटर समस्त बसों में महिलाओं के लिए छह, जबकि 26 से 35 सीटर बस में दस सीट आरक्षित रहती हैं।

चालक-परिचालक को आरटीओ ने दी यह हिदायत | RTO boarded the bus

आरटीओ ने चालक-परिचालक को हिदायत दी कि अगर बस में बच्चे हों और वह उतर रहे हों तो उन्हें सावधानी से पहले उतारें। परिचालक को बताया कि यात्रियों को उतारते हुए यह आश्वस्त हों लें कि पीछे से कोई वाहन बायीं तरफ से ओवरटेक न कर रहा हो। उन्होंने परिचालकों को महिला व बुजुर्ग यात्रियों का सामान चढ़ाने व उतारने में मदद करने को भी कहा। आरटीओ ने बताया कि काफी बसों में नियमों का पालन होते हुए मिला। यात्रियों को टिकट भी दिए जा रहे थे और चालक-परिचालक वर्दी में थे। बसों में डस्टबीन भी था।

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