उत्तराखंडः सेना ने लागू किए अपने नियम, 22 गांवों की बढ़ी मुश्किलें। पढ़ें क्या है पूरा मामला?
22 villages in trouble due to army rules: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में सेना और स्थानीय लोगों के बीच अक्सर टकराव दिखाई देता है। यह टकराव कभी रास्तों को लेकर होता है, तो कभी जमीन के मालिकाना हक को लेकर। दोनों पक्षों में स्थिति साफ नजर नहीं आती है। पिथौरागढ़ उत्तराखंड का इकलौता ऐसा जिला है, जिसकी सीमाएं दो देशों से मिलती हैं। चीन और नेपाल से सटे इस जिले में सुरक्षा के भी व्यापक इंतजाम हैं। मुख्यालय से लेकर लिपुलेख बॉर्डर तक सेना की छावनियां हैं। यही नहीं अब सेना यहां अपनी सीमाओं को निर्धारित भी कर रही है। ऐसे में स्थानीय लोगों के साथ सेना का टकराव अक्सर देखने को मिल रहा है। गुंजी से लेकर मुख्यालय तक रास्तों और जमीन के दर्जनों विवाद खड़े हो गए हैं।
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सेना ने की सीमाओं की घेराबंदी, ग्रामीण परेशान। 22 villages in trouble due to army rules
जिला मुख्यालय की बात करें तो यहां हाल में ही सेना ने भड़कटिया स्थित अपने कैंट एरिया में गेट में तालाबंदी कर दी, जिससे यहां के ग्रामीणों की परेशानी बढ़ गयी है क्योंकि सेना के आने से पहले ही यहां के लोग इसी रास्ते का प्रयोग कर रहे हैं, जो 22 गांवों के लोगों को जोड़ता है। कुछ समय पहले तक सेना और ग्रामीण दोनों ही इस रास्ते से आवाजाही करते थे, लेकिन अब सेना ने अपने सीमाओं की घेराबंदी कर ली है, जिससे अब यहां के ग्रामीण परेशानी में हैं।
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नहीं निकल रहा समाधान। 22 villages in trouble due to army rules
ग्रामीणों का गुस्सा देख जिला प्रशासन भी जब मौके पर पहुंचा तो प्रशासन के आला अधिकारियों को भी सेना के इलाके में जाने के लिए रोक दिया गया। काफी गहमागहमी के बीच सिर्फ प्रशासन को ही प्रवेश की अनुमति मिल पाई। पिथौरागढ़ के अपर जिलाधिकारी फिंचा राम चौहान ने जानकारी देते हुए बताया कि सेना और ग्रामीणों के रास्ते के विवाद को निपटाने के लिए कई बार वार्ता का रास्ता निकालने की कोशिश की जा रही है लेकिन अभी तक इसका हल निकल नहीं पाया है।
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टकराव के बजाय बने बेहतर माहौल। 22 villages in trouble due to army rules
गौरतलब है कि चीन और नेपाल से घिरे बॉर्डर इलाकों में सुरक्षा तंत्र की मौजूदगी निहायत ही जरूरी है। यही नहीं सामरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए सेना को जमीन की जरूरत भी है। ऐसे में बेहतर यही होता कि सामरिक जरूरतों को पूरा करने के साथ ही ग्रामीणों की दिक्कतों का भी हल निकाला जाए। ताकि दोनों पक्षों के बीच टकराव के बजाय बेहतर माहौल बने।
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