देश में रुद्रप्रयाग को भूस्खलन से सबसे अधिक खतरा, दूसरे नंबर पर यह जिला। जानें अन्य की स्थिति..

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रुद्रप्रयाग देश के 10 सबसे अधिक भूस्खलन खतरे वाले जिलों में से पहले नंबर पर है। सर्वाधिक भूस्खलन प्रभावित 147 जिलों में उत्तराखंड के सभी 13 जिले शामिल।

landslide zone. Hillvani News

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आपको जानकर हैरानी होगी कि रुद्रप्रयाग देश के 10 सबसे अधिक भूस्खलन खतरे वाले जिलों में से पहले नंबर पर है।। इसकी तस्दीक पिछले तीन-चार दशकों के दौरान जिले में भूस्खलन की वे बड़ी घटनाएं हैं, जिनमें हजारों लोग मारे गए या लापता हो गए। 2013 में केदारनाथ में हुए भूस्खलन और बाढ़ में 4500 लोग मौत के आगोश में सो गए थे या नामो-निशान मिट गया। गौरीकुंड भूस्खलन हादसे ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के राष्ट्रीय सुदूर संवेदी केंद्र (एनआरएससी) की उस भूस्खलन मानचित्र रिपोर्ट पर मुहर लगाई गई है। उपग्रह से लिए गए चित्रों के आधार पर तैयार की गई रिपोर्ट बताती है कि रुद्रप्रयाग जिले को देश में भूस्खलन से सबसे अधिक खतरा है। भूस्खलन जोखिम के मामले में देश के 10 सबसे अधिक संवेदनशील जिलों में टिहरी दूसरे स्थान पर है। पर्वतीय जनमानस के लिए चिंताजनक बात यह है कि सर्वाधिक भूस्खलन प्रभावित 147 जिलों में उत्तराखंड के सभी 13 जिले शामिल हैं। इनमें चमोली जिला भूस्खलन जोखिम के मामले में देश में उन्नीसवें स्थान पर है। चमोली जिले का जोशीमठ शहर भूस्खलन के खतरे की चपेट में पहले से है।

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उत्तराखंड के सबसे प्रभावित जिले(लाल रंग में)

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देश के 10 सर्वाधिक भूस्खलन जोखिम जिले
जिला राज्य
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड
टिहरी उत्तराखंड
थ्रीसूर केरल
राजौरी जम्मू-कश्मीर
पालक्कड़ केरल
पुंछ जम्मू-कश्मीर
मालाप्पुरम केरल
दक्षिण जिला सिक्किम
पूरब जिला सिक्किम
कोझीकोडे केरल
(नोट- जोखिम क्रमशः घटते क्रम में)

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उत्तराखंड के जिलों की देश में भूस्खलन संवेदनशीलता
जिला जोखिम रैंक
रुद्रप्रयाग 01
टिहरी 02
चमोली 19
उत्तरकाशी 21
पौड़ी गढ़वाल 23
देहरादून 29
बागेश्वर 50
चंपावत 65
नैनीताल 68
अल्मोड़ा 81
पिथौरागढ़ 86
हरिद्वार 146
ऊधमसिंहनगर 147

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उत्तराखंड में भूस्खलन से वर्षवार कुछ घटनाएं
1976 : भूस्खलन से ऊपरी क्षेत्रों में मंदाकिनी का प्रवाह अवरुद्ध।
1979 : क्यूंजा गाड़ में बाढ़ से कोंथा, चंद्रनगर और अजयपुर क्षेत्र में तबाही। 29 लोग मरे।
1986 : जखोली तहसील के सिरवाड़ी में भूस्खलन, 32 मरे।
1998 : भूस्खलन से भेंटी और पौंडार गांव ध्वस्त। साथ ही 34 गांवों में पहुंचा नुकसान, 103 लोगों की हुई थी मौत।
2001 : ऊखीमठ के फाटा में बादल फटा, 28 की मौत।
2002 : बड़ासू और रैल गांव में भूस्खलन।
2003 : स्वारीग्वांस मेंं भूस्खलन।
2004 : घंघासू बांगर में भूस्खलन।
2005 : बादल फटने से विजयनगर में तबाही, चार की मौत।
2006 : डांडाखाल क्षेत्र में बादल फटा।
2008 : चौमासी-चिलौंड गांव में भूस्खलन। एक युवक मरा और कई मवेशी मलबे मेंं दबे।
2009 : गौरीकुंड घोड़ा पड़ाव में भूस्खलन, दो श्रमिक मरे।
2010 : जनपद में कई स्थानों पर बादल फटे, एक युवक बहा।
2012 : ऊखीमठ के कई गांवों में बादल फटा, 64 लोग मरे।
2013 : केदारनाथ आपदा में 4500 से ज्यादा मरे, पूरी केदारघाटी प्रभावित।
2023 : गौरीकुंड में भूस्खलन, 19 लोग लापता।

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