5 हजार छात्रों की मार्कशीट ‘अटकाने’ का जिम्मेदार कौन? छात्रों के सामने संकट, कुलपति ने कहा..
उत्तराखंड के सरकारी और प्राइवेट पैरामेडिकल कॉलेजों से पढ़ाई कर रहे पांच हजार से अधिक छात्रों के सामने मार्कशीट का संकट खड़ा हो गया है। छात्रों ने तीसरे वर्ष की पढ़ाई पूरी कर इंटर्नशिप शुरू कर दी है, लेकिन अभी तक उन्हें दूसरे साल की भी मार्कशीट नहीं मिल पाई है। यदि मार्कशीट मिलने में अब और देरी हुई तो युवा नौकरी के लिए आवेदन भी नहीं कर पाएंगे। राज्य में पैरामेडिकल के 40 सरकारी और प्राइवेट पैरामेडिकल कॉलेज हैं जहां पर लैब टैक्नीशियन, रेडियोलॉजी, फिजियोथैरेपी आदि कई तरह के कोर्स संचालित हो रहे हैं। इन सभी कॉलेजों की परीक्षा कराने का जिम्मा एचएनबी चिकित्सा शिक्षा विवि के पास है, लेकिन विश्वविद्यालय पिछले दो सालों से छात्रों की मार्कशीट ही नहीं दे पा रहा है।
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विवि की वेबसाइट पर रिजल्ट के आधार पर छात्रों को अगले साल में प्रमोट तो कर दिया जा रहा है। लेकिन उन्हें फाइनल मार्कशीट नहीं दी जा रही है। युवाओं का आरोप है कि विश्वविद्यालय की धीमी कार्यपद्धति की वजह से उनके सामने संकट खड़ा हो गया है। इस बारे में एचएनबी चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो हेमचंद्रा ने बताया कि उन्हें इस समस्या की जानकारी हाल में ही मिली है। उन्होंने कहा कि समस्या के समाधान के प्रयास किए जा रहे हैं। छात्रों को जल्द से जल्द मार्कशीट देने के प्रयास किए जा रहे हैं। किसी का नुकसान नहीं होने दिया जाएगा।
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राज्य के कॉलेजों से पैरामेडिकल कोर्स कर रहे युवाओं का कहना है कि उनका इंटर्नशिप के बाद कोर्स कुछ महीनों बाद पूरा होने वाला है। लेकिन मार्कशीट न होने की वजह से वह कहीं भी रोजगार के लिए आवेदन नहीं कर पाएंगे। विदित है कि राज्य के सरकारी अस्पतालों में लैब टैक्नीशियन और रेडियोटैक्नीशियन के 200 के करीब पद मंजूर हो रहे हैं। ऐसे में इन पदों के लिए जल्द भर्ती निकल सकती है। यदि युवाओं की मार्कशीट में देरी हुई तो उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
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