प्रधानमंत्री की डिग्री पर क्या है विवाद… क्यों फिर कोर्ट पहुंचे केजरीवाल? 30 जून को होगी सुनवाई..
2016 से केजरीवाल लगातार कोशिश कर रहे हैं कि देश के प्रधानमंत्री की डिग्री के बारे में देश की जनता को मालूम होना चाहिए। ये डिग्री पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर से प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री को लेकर गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। कोर्ट ने केजरीवाल की याचिका स्वीकार कर ली है और 30 जून को सुनवाई करने का फैसला लिया है। आपको बता दें कि इसके पहले भी डिग्री विवाद में केजरीवाल हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके हैं। तब हाईकोर्ट ने केजरीवाल पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर बार-बार पीएम मोदी की डिग्री पर विवाद क्यों खड़ा कर रहे हैं केजरीवाल? इसके सियासी मायने क्या है? पीएम की डिग्री पर विवाद क्या है? आइए जानते हैं…
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केजरीवाल पर लगा 25 हजार रुपए का जुर्माना
बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अप्रैल 2016 में केंद्रीय सूचना आयोग को एक पत्र लिखकर प्रधानमंत्री मोदी की शैक्षिक योग्यता से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक करने की मांग की थी। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने पत्र में लिखा था कि इस मुद्दे पर किसी भी तरह के भ्रम को दूर करने के लिए डिग्री को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। इसके बाद मुख्य सूचना आयुक्त ने गुजरात यूनिवर्सिटी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एमए डिग्री के बारे में केजरीवाल को जानकारी मुहैया कराने को कहा था। सूचना आयोग के इस आदेश को विश्वविद्यालय प्रशासन ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने बीते 31 मार्च के अपने फैसले में सूचना आयोग के आदेश को रद्द करते हुए अरविंद केजरीवाल पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगा दिया था।
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फर्क नहीं पड़ता व्यक्ति डॉक्टर है या अनपढ़
उस समय कोर्ट में विश्वविद्यालय की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए थे। उन्होंने कोर्ट में कहा था कि केवल इसलिए कि कोई सार्वजनिक पद पर है, उसकी निजी जानकारी नहीं मांगी जानी चाहिए। लोकतंत्र में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि पद पर आसीन व्यक्ति डॉक्टर है या अनपढ़। पीएम मोदी की डिग्री पहले से पब्लिक डोमेन में है, लेकिन डिग्री के लिए किसी तीसरे व्यक्ति को खुलासा करने के लिए RTI के तहत जानकारी देने की कोई बाध्यता नहीं है। विश्वविद्यालय को डिग्रियों का खुलासा करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है, खासकर तब जब यह कोई जनहित का मामला न हो।
खास बात है कि केजरीवाल की याचिका पर पिछली बार गुजरात हाईकोर्ट के जस्टिस बीरेन वैष्णव की सिंगल जज बेंच ने फैसला सुनाया था। इस बार भी ये मामला बीरेन वैष्णव की बेंच के पास ही गया है।
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बार-बार डिग्री पर सवाल क्यों?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने हलफनामे में अपनी डिग्री को लेकर सूचना उपलब्ध कराई है। इसके मुताबिक प्रधानमंत्री ने 1978 में गुजरात यूनिवर्सिटी से स्नातक और 1983 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से परास्नातक की पढ़ाई पूरी की है। अरविंद केजरीवाल लगातार पीएम मोदी की डिग्री को मुद्दा बनाते रहे हैं। उनका कहना है कि देश के पीएम की डिग्री के बारे में देश की जनता को मालूम होना चाहिए। इसी को लेकर 2016 से केजरीवाल लगातार कोशिश कर रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि विपक्ष के पास अभी पीएम मोदी को लेकर कोई मुद्दा नहीं है। ऐसे में उनकी डिग्री को लेकर ही अरविंद केजरीवाल राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति करना चाहते हैं। वह जानते हैं कि ऐसा करके उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर अटेंशन मिलेगी। यही कारण है कि वह आने वाले चुनावों में भी इसको लेकर बयानबाजी करेंगे। केजरीवाल इसके जरिए पीएम मोदी को टारगेट करेंगे। केजरीवाल को ये मालूम है कि जब से उन्होंने पीएम मोदी की डिग्री पर सवाल खड़े करने शुरू किए हैं, तब से इसकी चर्चा भी शुरू हो गई है। इसलिए वह आने वाले समय में भी इसे चर्चा के केंद्र में बनाए रखेंगे।
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