गमगीन माहौल में हुआ शहीद का अंतिम संस्कार, छोटे भाई ने दी मुखाग्नि..
जम्मू के राजौरी कोटरंगा सब डिवीजन केसरी हिल क्षेत्र में शहीद हुए कुनीगाड़ गांव (गैरसैंण) के रूचिन सिंह रावत का रविवार को उनके पैतृक घाट (महादेव) में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में लोगों ने बलिदानी रुचिन रावत को नम आंखों से अंतिम विदाई दी। रविवार सुबह जैसे ही बलिदानी का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचा तो उनके माता-पिता, पत्नी, दादा-दादी, भाई और गांव वाले फफक-फफक कर रोने लगे यह सब देखकर पूरा गांव और वहां मौजूद लोग भी गमगीन हो गये। हालांकि रुचिन सिंह रावत के बलिदान पर परिजनों को गर्व है। रुचिन रावत के पार्थिव शरीर को उनके छोटे भाई विवेक रावत ने मुखाग्नि दी।
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शहीद शहीद रुचिन रावत को गॉर्ड ऑफ ऑनर देने पहुंचे छह ग्रेनेडियर के मेजर भदोरिया ने बताया कि रुचिन नो पैरा कमांडो उधमपुर में तैनात थे। उन्होंने बताया कि राजौरी सेक्टर में आतंकवादियों के छुपे होने का सेना को इनपुट मिला था। इस दौरान सेना की ओर से आतंकवादियों की धरपकड़ के लिए बीते शुक्रवार को ऑपरेशन त्रिनेत्र चलाया गया था। इसी दौरान आतंकियों के आईईडी ब्लास्ट में रुचिन सहित पांच जवानों का बलिदान हो गया था। बलिदानी के भाई विवेक रावत जो भारतीय नौ सेना में कार्यरत हैं। उन्होंने अपने बड़े भाई की बलिदान पर कहा कि देश प्रेम का जज्बा बचपन से ही रुचिन के मन में कूट कूट कर भरा हुआ था। आज उनका भाई उनके बीच नहीं है। इसका उन्हें जरूर दुख है, लेकिन वह देश के काम आया। उसने देश के लिए बलिदान दिया। इससे उनको गर्व की अनुभूति भी होती है।
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बलिदानी की माता पार्वती देवी ने बताया कि उनका बेटा रुचिन अक्टूबर 2022 में 10 दिन की छुट्टी लेकर घर आया था। घर वालों और दोस्तों से एक बार पुनः 12 मई 2023 को घर आने का वादा कर गये थे। उन्होंने बताया कि 12 मई में अभी पांच दिन का समय था, लेकिन उससे पहले उनके बेटे का पार्थिव शरीर आज उनके घर पहुंच गया। गैरसैंण विकासखंड के कुनिगाड़ गांव निवासी बलिदानी रुचिन सिंह रावत राजकीय इंटर कॉलेज कुनिगाड़ से इंटर परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद मात्र 18 साल की उम्र में वर्ष 2011 में सीने में देश सेवा का जज्बा लिए सेना में भर्ती हुए थे। दिल में देश भक्ति की लौ जलाकर भर्ती हुए रुचिन सिंह रावत ने मां भारती की रक्षा के लिए आतंकवादियों से हुई मुठभेड़ में अपने प्राणों का बलिदान दे दिया, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।
बलिदानी रुचिन सिंह रावत तीन भाई बहनों में मझले थे। वह अपने पीछे पत्नी (कल्पना रावत 24 वर्ष), एक बेटा (हर्षित रावत 4 वर्ष), माता (पार्वती देवी 48 वर्ष) पिता ( राजेन्द्र सिंह रावत 52 वर्ष), दादा (कलम सिंह 85 वर्ष) दादी (मालती देवी 80 वर्ष) और छोटे भाई (विवेक रावत 26 वर्ष भारतीय नौ सेना में कार्यरत) को रोता बिलखता छोड़ गए हैं। जबकि उनकी बड़ी बहन (गीता 30 वर्ष) का विवाह हो चुका है। बलिदानी रुचिन सिंह रावत के अंतिम संस्कार में सैन्य अधिकारी मेजर भदरिया, विधायक अनिल नोटियाल, पूर्व राज्यमंत्री सुरेश कुमार बिष्ट, हरिकृष्ण भट्ट, जिला सैनिक कल्याण अधिकारी बी बनर्जी, उपजिलाधिकारी कमलेश मेहता, थानाध्यक्ष गैरसैंण सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि और पूर्व सैनिक शामिल हुए।
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इस दौरान पूर्व राज्यमंत्री सुरेश कुमार बिष्ट ने कहा कि आतंकवादियों की कायराना हरकत से हमारे पांच जवानों का शहीद हुए हैं। उन्होंने कहा कि हमें रुचिन के बलिदान पर गर्व है। उन्होंने कहा कि उन्होंने मां भारती की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया है, जिसे सदैव याद रखा जायेगा। क्षेत्रीय विधायक अनिल नौटियाल कहा कि रुचिन हमारे देश का बेटा था जिसने मातृभूमि की रक्षा के लिये अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है, जिसे सदियों तक याद रखा जायेगा। उन्होंने कहा कि ये हमारे लिए गौरव का पल है, वहीं दुख भी होता है कि आज हमारे देश का लाल हमें छोड़कर चला गया है। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी हरिकृष्ण भट्ट ने कहा कि यह क्षण हमारे लिए गौरवशाली भी और दुखदायी भी है। उन्होंने कहा कि हमारे उत्तराखंड की परंपरा सदैव गौरवशाली रही है। उसी परंपरा को निभाते हुए आज हमारे वीर सपूत रुचिन रावत ने देश के खातिर अपना बलिदान दिया है।
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