उत्तराखंडः अतिक्रमण पर चला बुलडोजर। 27 मंदिर और 200 मजारे ध्वस्त, दो गुरुद्वारों को नोटिस..
यह भी पढ़ेंः उत्तराखंडः इस जिले में आत्महत्या के मामलों में इजाफा, ज्यादातर महिलाएं। बढ़ते मामले चिंता का विषय..
उत्तराखंड में वन भूमि पर हुए अतिक्रमणों को हटाने का धामी सरकार का अभियान अब गति पकड़ने लगा है। वन भूमि पर खासकर धार्मिक गतिविधियों के नाम पर हुए अतिक्रमण पर अब तेजी से बुलडोजर चलाया जा रहा है। विशेष अभियान के तहत अभी तक की कार्रवाई में 27 मंदिर और 200 से अधिक मजारों को तोड़ा गया है, जो अवैध रूप से वन भूमि पर बनाए गए थे। वहीं दो गुरुद्वारों को नोटिस थमाया गया है। कई दूसरे अतिक्रमण भी इस कार्रवाई की चपेट में आए हैं। अब तक वन विभाग 56 हेक्टेयर वन भूमि को कब्जा मुक्त कराने में कामयाब रहा है। प्रदेश में साढ़े 11 हजार हेक्टेयर से अधिक वन भूमि अतिक्रमण की चपेट में है। कुमाऊं क्षेत्र में 9490 हेक्टेयर, जबकि गढ़वाल क्षेत्र में 2294 हेक्टेयर वन भूमि अतिक्रमण हुआ है। इस तरह से 80 प्रतिशत कुमाऊं, जबकि 20 प्रतिशत अतिक्रमण गढ़वाल क्षेत्र में हुआ है।
यह भी पढ़ेंः मुख्यमंत्री धामी ने की विभिन्न विभागों की समीक्षा। अगले सत्र से छात्रों को मिलेंगी द्विभाषी किताबें, दिए यह निर्देश..
धार्मिक गतिविधियों के अलावा तमाम लोगों की ओर से अतिक्रमित की गई भूमि पर व्यावसायिक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। अभी तक वन विभाग के अधिकारी ऐसे अतिक्रमणों से मुंह चुराते रहे हैं। लेकिन अब धामी सरकार ने विशेष अभियान चलाते हुए अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी डॉ. पराग धकाते को नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जो प्रतिदिन राज्यभर से अपडेट लेकर शासन को अवगत करा रहे हैं।
सीएम धामी के हैं सख्त निर्देश
प्रदेश में सरकारी जमीनों पर अवैध धार्मिक कब्जों की बात सामने आने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर प्रदेश भर में अवैध धार्मिक कब्जों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। सभी जिलों में सरकारी जमीनों पर हुए धार्मिक अतिक्रमण को चिन्हित कर कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
यह भी पढ़ेंः यू-डाइस प्लस रिपोर्टः उत्तराखंड में 41 प्राइवेट स्कूल खुलते हैं तो 100 सरकारी स्कूलों पर लग जाता है ताला..
56 हेक्टेयर वन भूमि से अतिक्रमण हटा
आईएफएस अधिकारी डॉ. पराग धकाते ने बताया कि विशेष अभियान के तहत अभी तक 56 हेक्टेयर वन भूमि से अतिक्रमण हटा दिया गया है। इनमें धार्मिक गतिविधियों के अलावा ढाबे, खोमचे, पंप स्टेशन, झुग्गी झोपड़ियां और कुछ अन्य व्यावसायिक गतिविधियां भी शामिल हैं। कुछ जगहों पर वन भूमि पर बकायदा खेती की जा रही थी। ऐसे मामलों में भी वन भूमि को मुक्त कराया गया है। उन्होंने बताया कि प्रदेशभर में 27 मंदिर, 200 मजारों को हटाया गया है। ऊधमसिंह नगर के रुद्रपुर में स्थित वन भूमि पर बने दो गुरुद्वारों को नोटिस दिया गया है।
अतिक्रमण की बात छुपाने पर नपेगी अधिकारी
इस बीच कुछ रेंज अधिकारियों की ओर से धार्मिक और अन्य अतिक्रमणों को छुपाने की भी खबरें सामने आई हैं। इस पर शासन ने सख्त रूख अपनाया है। डॉ. धकाते ने बताया इस संबंध में सभी सर्किलों और प्रभागीय कार्यालयों सहित रेंजों तक यह बात स्पष्ट रूप से पहुंचा दी गई है, यदि किसी ने भी अतिक्रमण से संबंधित सूचना छुपाई तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
यह भी पढ़ेंः CBSE Board 10वीं-12वीं के नतीजे जल्द होंगे जारी, जानें कहां-कैसे करें चेक
अतिक्रमण नहीं हटाया तो होगा मुकदमा
नोडल अधिकारी डॉ. धकाते ने बताया कि वन विभाग की ओर से अतिक्रमण चिह्नित किए जाने के साथ ही संबंधित पक्ष को नोटिस भी भेजा रहा है, यदि उनकी ओर से 15 दिन के भीतर खुद अतिक्रमण नहीं हटाया गया तो संबंधित के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई भी की जाएगी।
जंगलों में बने हैं कई अवैध मंदिर, मस्जिद, मजार
आपको बता दें कि उत्तराखंड में वन भूमि पर कई अवैध मंदिर, मस्जिद और मजार की खबरें सामने आती रहती हैं। अब ये सभी तोड़ दिए जाएंगे। इसके लिए बड़ा एक्शन प्लान बनाकर काम चलेगा। हालांकि इस बीच कुछ लोग सरकार के इस एक्शन को धार्मिक चश्मे से देख रहे हैं। सरकार ने अपनी मंशा साफ कर दी है कि जंगलों में अवैध तरीके से बने इन धार्मिक स्थलों पर बड़ी कार्रवाई होगी। जो भी धार्मिक स्थल अतिक्रमण की ज़द में आएगा, उसे हर हाल में हटाया जाएगा। सिर्फ वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 से पहले बने धार्मिक स्थलों को इस एक्शन से बाहर रखा जाएगा।
यह भी पढ़ेंः पेंशन में बदलाव का बनेगा कानून, विधेयक को राज्यपाल की मंजूरी। इन सरकारी कर्मचारियों को होगा फायदा..