कतर में गिरफ़्तार पूर्व भारतीय नौसैनिकों की मुश्किलें और बढ़ीं, कल का दिन अहम। फांसी की सजा की आशंका..
कतर में गिरफ्तार किए गये आठ भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारियों की जिंदगी पर कल यानि बुधवार को अहम फैसला होने वाला है। ये आठ भारतीय नागरिक नौसेना का पूर्व अधिकारी हैं, जो कतर के जाहिरा अल आलमी नाम की सुरक्षा कंपनी में काम कर रहे थे और कतर मीडिया ने कहा है, कि हाल ही में इन भारतीय नागरिकों को उनके परिजनों से मिलने की इजाजत दी गई थी। इन नागरिकों को पिछले साल सितंबर में गिरफ्तार किया गया था और कतर की मीडिया ने कहा है, कि 3 मई को कतर की अदालत में इनके खिलाफ सुनवाई होने वाली है। कतर की मीडिया ने कहा है, कि इन लोगों के खिलाफ जासूसी के आरोप लगाए गये हैं, जिसके लिए कतर में मृत्युदंड का प्रावधान है।
इजरायल के लिए जासूसी का आरोप
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, इन आठ भारतीयों को कतर में अकेले में रखा गया है और 3 मई को इनके खिलाफ कतर के एक अदालत में अगली सुनवाई होने वाली है। वहीं, बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, जिन कंपनी में ये आठों भारतीय काम करते थे, उनके परिजनों को उनसे मिलाने के लिए उनकी कंपनी ने टिकट और वीजा की व्यवस्था की थी। कतर में जिन नौसेना के पूर्व अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया था, उनके नाम कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर सुगुनकर पाकला, कमांडर संजीव गुप्ता और नाविक रागेश हैं। वहीं, ये कंपनी दोहा में अपने सभी कामकाज को 31 मई को बंद करने जा रही है और कंपनी ने सभी भारतीय कर्मचारियों को बताया है, कि उनकी सेवा 31 मई से खत्म हो जाएगी। कतर की मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है, कि कंपनी जाहिरा अल आलमी ने सभी भारतीय कर्मचारियों से इस्तीफा मांगने की पुष्टि की है।
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अहम सबूत मिलने का दावा
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट में कहा गया है, कि भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों पर इजरायल के लिए जासूसी करने का आरोप लगाया गया है। रिपोर्ट में, कतरी अधिकारियों के पास इस संबंध में इलेक्ट्रॉनिक सबूत होने की बात कही गई है। नौसेना के इन पूर्व अधिकारियों पर आरोप है, कि इन्होंने कतर की पनडुब्बियों के निर्माण के संबंधित अहम और गोपनीय जानकारियां, इजरायल तक पहुंचाई। आधिकारिक भारतीय सूत्रों का हवाला देते हुए, एएनआई की रिपोर्ट है, कि “मामले को अब भारतीय एजेंसियों द्वारा उच्चतम संभव स्तर पर उठाया गया है, लेकिन कतरी सरकार ने इस मुद्दे पर भरोसा करने का कोई संकेत नहीं दिखाया है”। सूत्रों ने समाचार एजेंसी को बताया, कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों द्वारा भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारियों को “फंसाए” जाने की संभावना है। इन आठ नौसेना के पूर्व अधिकारियों के अलावा, ओमान वायु सेना के पूर्व अधिकारी खमीस अल-अजमी सहित दो कतरियों के खिलाफ भी आरोप तय किए गए हैं, जो दाहरा ग्लोबल के सीईओ हैं। द ट्रिब्यून के अनुसार, कतर के अंतर्राष्ट्रीय सैन्य संचालन प्रमुख, मेजर जनरल तारिक खालिद अल ओबैदली, वो कतरी नागरिक हैं, जिन पर भी जासूसी का आरोप लगाया गया है।
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भारत सरकार ने क्या कहा?
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार ने इस मामले को काफी संवेदनशील माना है और भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने पिछले दिनों एक बयान में कहा था, कि ‘हम कतरी अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहे हैं। दोहा में हमारा दूतावास परिवारों के संपर्क में बना हुआ है। अगली सुनवाई मई की शुरुआत में है। हम यह देखने की कोशिश कर रहे हैं कि उस सुनवाई के संबंध में क्या किया जा सकता है। कानूनी खर्चों के भुगतान के लिए भविष्य में कोई वेतन नहीं होने के कारण, विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह “इन भारतीयों की सहायता के लिए सभी प्रयास” कर रहा है। बीबीसी की रिपोर्ट में कहा गया है, कि अगर इन लोगों के खिलाफ कतर में जासूसी के आरोप तय किए जाते हैं, तो फिर इन कर्मचारियों को फांसी की सजा तक दी जा सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, कतर सरकार ने अभी भी भारत सरकार से इन पूर्व नौसेना के अधिकारियों को लेकर ज्यादा जानकारियां साझा नहीं की है ना ही, कतर की तरफ से आधिकारिक तौर पर भारत को बताया गया है, कि नौसेना के इन पूर्व अधिकारियों पर क्या आरोप लगाए गये हैं। बीबीसी की रिपोर्ट में कहा गया है, कि इस बात की उम्मीद है, कि 3 मई को होने वाले सुनवाई से पहले, कतर नौसेना के पूर्व अधिकारियों को लेकर उनके परिजनों को विस्तार से जानकारी दे। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है, कि इन पूर्व अधिकारियों पर कुछ सामान्य, तो कई बेहद गंभीर किस्म के आरोप लगाए गये हैं।
न्यूज सोर्स-वनइंडिया
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