जिला पंचायत अध्यक्ष रुद्रप्रयाग के खिलाफ 14 सदस्य लाए थे अविश्वास, अब सोशल मीडिया पर हो रहे ट्रोल..

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रुद्रप्रयाग में जिला पंचायत का उप चुनाव इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। अब जनता की नजर भी इस चुनाव पर टिकी हुई है। कुछ माह पहले जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले जिला पंचायत सदस्यों को जनता सोशल मीडिया में ट्रोल कर रही है। उन्हें खूब खरीखोटी सुनाई जा रही है। सोशल मीडिया पर लोग अलग-अलग कमेंट्स कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि जिस अध्यक्ष पर तीन माह पूर्व भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे, क्या वह आरोप तीन माह में ही धुल गए हैं। उस समय जो सदस्य अध्यक्ष पर आरोप लगा रहे थे, उनमें से कुछ सदस्य उसी अध्यक्ष का साथ दे रहे हैं। कुछ जिला पंचायत सदस्य जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। सदस्य सिर्फ अपने स्वार्थ की राजनीति कर रहे हैं। बता दें कि 18 जिला पंचायत सदस्यों वाली रुद्रप्रयाग जिला पंचायत के 14 सदस्य तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह के खिलाफ 4 जून को अविश्वास प्रस्ताव लाये थे। अविश्वास प्रस्ताव लाने वालों में जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुमंत तिवारी का नाम प्रमुख रूप से आगे आया। सुमंत तिवारी को अविश्वास प्रस्ताव लाने में नरेन्द्र सिंह बिष्ट, सुमन नेगी, विनोद राणा, रेखा बुटोला, बबीता सजवाण, कुसुम देवी, कुलदीप कंडारी, गणेश तिवारी, मंजू देवी, ज्योति देवी, रीना देवी बिष्ट एवं सविता भंडारी का भी साथ मिला। जब अमरदेई शाह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया था, उस दौरान भाजपा के दोनों विधायक व प्रदेश सरकार भी अध्यक्ष की कुर्सी नहीं बचा पाई थी। अविश्वास प्रस्ताव लाने में स्वयं भाजपा के तीन सदस्य भी शामिल थे।

अमरदेई शाह के हटने के बाद ढाई माह तक जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुमंत तिवारी ने जिला पंचायत कार्यकारी अध्यक्ष का पदभार संभाला। इस बीच प्रदेश सरकार ने जिला पंचायत अध्यक्ष के लिये उप चुनाव की घोषणा कर दी और भाजपा ने फिर अमरदेई शाह को ही अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया, जबकि कांग्रेस ने ज्योति देवी को अपना प्रत्याशी बनाया। अमरदेई शाह को प्रत्याशी बनाते ही जनता के मन में तमाम तरह के सवाल खड़े हो गए हैं। लोग सोशल मीडिया पर अगल-अगल कमेंट्स कर रहे हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से लोग कर रहे हैं जब अमरदेई शाह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया था तो उसी समय उनकी कुर्सी बचानी चाहिए थी। अब उन पर तमाम तरह के आरोप लग गए हैं और उन आरोपों की सत्यता सामने आये बगैर ही उन्हीं को प्रत्याशी बनाना उचित नहीं है। गत् 17 अक्टूबर को दोनों प्रत्याशी अपना नामांकन करा चुके हैं। नामांकन प्रक्रिया संपंन होने के बाद 20 अक्टूबर को चुनाव होने थे, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी ने भाजपा प्रत्याशी के नामांकन पर कई सवाल खड़े कर दिये, जिस कारण आनन-फानन में चुनाव की तिथि को आगे बढ़ाना पड़ा।

कांग्रेस प्रत्याशी की ओर से निदेशालय और जिलाधिकारी को दिये गये ज्ञापन में कहा गया कि जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुमंत तिवारी के नेतृत्व में अरमदेई शाह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था और आज वही व्यक्ति भाजपा प्रत्याशी के प्रस्तावक व अनुमोदक बने हुए हैं। जो कि सरासर गलत है और इसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जो आरोप तीन माह पहले शपथ पत्र और आम जनता के बीच लगाये गये थे, क्या वह आरोप तीन माह में ही धुल गये हैं। इन आरोपों की जांच होने के बाद ही अरमदेई शाह को प्रत्याशी बनाना चाहिए था। अब बड़ा प्रश्न यह खड़ा हो रहा है कि जिस अध्यक्ष के खिलाफ 14 जिला पंचायत सदस्य अविश्वास प्रस्ताव लाये थे। आज इनमें कई सदस्य भाजपा प्रत्याशी का समर्थन कर रहे हैं। जनता को यह समर्थन नागंवार गुजर रहा है। जिला पंचायत सदस्य नरेन्द्र सिंह बिष्ट ने कहा कि वह पहले और आज भी भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े हैं और आगे भी रहेंगे। उन्होंने कहा कि हमें पूर्ण विश्वास है कि 28 अक्टूबर को होने वाले चुनाव में एक स्वच्छ व बेदाग प्रत्याशी को विजयी बनाया जाएगा, जिससे लोकतंत्र की हत्या भी न हो और रुद्रप्रयाग जनपद का अस्तित्व भी बचा रहे। उन्होंने कहा कि जनता सबकुछ जान चुकी है और सोशल मीडिया के माध्यम से उन सदस्यों को कोस रही है, जो पहले अविश्वास लाए थे। इन सभी 14 सदस्यों को समय रहते एक होना होगा।

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