केदारनाथ आपदा को एक दशक, रौंगटे खड़े कर देती है यादें। 3183 लोगों का अब तक नहीं लगा पता..

0
10 Years of Kedarnath Disaster. Hillvani News

10 Years of Kedarnath Disaster. Hillvani News

10 Years of Kedarnath Disaster: 2013 में आई केदारनाथ आपदा (Kedarnath Disaster) को आज 10 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन अब भी उत्तराखंड के लोगों के जहन में तबाही के जख्‍म हैं। 16-17 जून 2013 को आई आपदा में हजारों मौतें हुईं थीं। इन 10 सालों में केदारपुरी का स्वरूप भव्‍य हो गया है और पूरी तरह बदल चुका है। 16-17 जून 2013 को आई आपदा के बाद केदारनाथ में हुई तबाही का मंजर बेहद खौफनाक था। यहां चौराबाड़ी झील में बादल फटने से बहकर आए भारी मलबा और विशाल बोल्‍डर ने तबाही ला दी थी। तब किसी ने सोचा नहीं था कि धाम में शांत बहने वाली मंदाकिनी नदी विकराल रूप लेकर तबाही मचा देगी।

यह भी पढ़ेंः उत्तरकाशी के पुरोला तहसील से हटाई धारा 144, कल से खुलेंगी सभी की दुकानें..

सैलाब सब बहा ले गया
उस रात सैलाब के रास्‍ते में आए सैकड़ों घर, रेस्‍टोरेंट और हजारों लोग बह गए। जब इस जलप्रलय के बारे में पता लगा तो पूरा देश शोक में डूब गया। आपदा में 4700 तीर्थ यात्रियों के शव बरामद हुए। जबकि पांच हजार से अधिक लापता हो गए थे। इतना ही नहीं आपदा के कई वर्षों बाद भी लापता यात्रियों के कंकाल मिलते रहे। इस त्रासदी में मृतकों की सही संख्या को लेकर तरह-तरह के कयास भी लगाए गए। लेकिन अब धाम में पहले के मुकाबले काफी बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। केदारनाथ धाम भव्‍य हो गया है। चारों ओर सुरक्षा की दृष्टि से त्रिस्तरीय सुरक्षा दीवार बनाई गई है। मंदाकिनी व सरस्वती नदी में बाढ़ सुरक्षा कार्य किए गए हैं।

यह भी पढ़ेंः आयुष मंत्रालय ने अधिकारियों के लिए जारी किए निर्देश, अब कुर्सी पर बैठकर करेंगे योग..

केदारपुरी में अब बढ़ती जा रही श्रद्धालुओं की संख्या
वर्ष 2013 से पहले जहां सीमित संख्या में तीर्थयात्री केदारनाथ दर्शन को पहुंचते थे, वहीं अब केदारपुरी के संवरने के बाद यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। आपदा में केदारनाथ पैदल मार्ग ध्वस्त हो गया था। यद्यपि, केदारनाथ यात्रा के पहले पड़ाव गौरीकुंड से लेकर धाम तक की पैदल दूरी अब 19 किलोमीटर हो गई है, लेकिन यह मार्ग तीन से चार मीटर चौड़ा किया गया है। वर्ष 2019 से धाम में तो स्थिति यह हो गई है कि दर्शन के लिए मंदिर को पूरी रात खुला रखना पड़ रहा है। कोरोनाकाल में जरूर तीर्थ यात्रियों की संख्या सीमित रही, लेकिन वर्ष 2022 के बाद अब इस वर्ष 2023 भी तीर्थ यात्रियों का सैलाब उमड़ रहा है और प्रतिदिन 20 हजार से अधिक तीर्थयात्री दर्शन को पहुंच रहे हैं।

यह भी पढ़ेंः उत्तराखंडः महिला पर्यटक ने किया जमकर हंगामा, पुलिस की वर्दी पर डाला हाथ। दर्ज मामला.. देखें वीडियो..

लापता 3183 लोगों का 10 वर्ष बाद भी नहीं लगा पता
केदारनाथ आपदा को दस वर्ष हो गए हैं। लेकिन अब भी 3183 लोग लापता हैं, जिनका कोई सुराग नहीं लग पाया है। शासन स्तर पर बीते वर्षों तक इन लोगों की खोजबीन के लिए रेस्क्यू अभियान चलाए गए। वहीं, प्रभावित गांवों की सुरक्षा व विस्थापन को लेकर भी कोई योजना धरातल पर नहीं उतर पाई है। 16-17 जून 2013 की केदारनाथ आपदा से केदारपुरी ही नहीं, गौरीकुंड से लेकर सोनप्रयाग, विजयनगर आदि कस्बों का भूगोल बदलकर रख दिया था। वहीं, केदारनाथ में हजारों यात्री काल का ग्रास बन गए थे।

यह भी पढ़ेंः उत्तराखंडः जन्मदिन की खुशियां मातम में तब्दील। पांच दोस्तों में से दो की नदी में डूबने से मौत, शव बरामद..

703 कंकाल बरामद हुए
रुद्रप्रयाग पुलिस के अनुसार केदारनाथ आपदा में लापता लोगों की खोजबीन को लेकर 1840 एफआईआर स्थानी, राज्य और अन्य प्रदेशों से प्राप्त हुईं थीं। जांच के बाद 1256 एफआईआर को सही मानते हुए जांच शुरू की गई। इसके अलावा 3886 लोगों की गुमशुदगी भी दर्ज हुईं। खोजबीन के दौरान 703 कंकाल बरामद हुए थे। ये कंकाल, गौरीकुंड-केदारनाथ, केदारनाथ-त्रियुगीनारायण, चौमासी-केदारनाथ, केदारनाथ-वासुकीताल ट्रेक पर मिले थे। साथ ही आपदा के दौरान पुलिस को 11 शव भी मिले थे, जिनकी शिनाख्त की गई थी। लेकिन आज भी लापता 3183 लोगों का कहीं कोई पता नहीं चल पाया है।

यह भी पढ़ेंः केदारनाथ घाटी… यानी ‘शिव का स्वर्ग’, देखिए खूबसूरत मनमोहक तस्वीरें..

Rate this post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed

हिलवाणी में आपका स्वागत है |

X