Uttarakhand Weather: कई जिलों में भारी बारिश का यलो अलर्ट, संवेदनशील इलाकों में जाने से बचें…

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उत्तराखंड के अधिकतर जिलों के कुछ इलाकों में आज शनिवार को भारी से भारी बारिश होने की संभावना है। मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से देहरादून समेत टिहरी, बागेश्वर, उत्तरकाशी, चंपावत और ऊधमसिंह नगर जिले के कुछ हिस्सों में भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है। जबकि अन्य जिलों में भी कई दौर की तेज बारिश होने के आसार हैं। मौसम वैज्ञानिकों ने हिदायत देते हुए कहा, बारिश के दौरान संवेदनशील इलाकों में अधिक सतर्कता के साथ रहें। साथ ही आवश्यक न हो तो पर्वतीय इलाकों में यात्रा करने से भी बचें। मौसम विज्ञान केंद्र ने 11 अगस्त के लिए भी भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। इन दोनों दिनों में भारी बारिश के कारण नदी-नाले उफान पर आ सकते हैं। ऐसे में इन नदी-नालों को पार करने से भी बचें। शुक्रवार को देहरादून में दिनभर मौसम साफ रहा तेज धूप के कारण गर्मी से लोग बेहाल रहे। लेकिन शाम के समय बारिश शुरू हो गई, जिससे तापमान भी कुछ नीचे आ गया। कुछ देर की बारिश से देहरादून की सड़क तालाब बन गई और उसकी वजह से लोग जाम से जूझते नजर आए। आंतरिक मार्गों में तो सड़कों पर पानी भरने के कारण गड्ढों और नालियों का भी पता नहीं चल रहा था। इसकी वजह से छोटी-छोटी गलियों में भी लोग जाम से जूझते दिखाई दिए।

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हाइवे दुरुस्‍त करने का काम तेजी पर
रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे पर सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच बही 150 मीटर सड़क की एनएच ने अस्थाई रूप से मरम्मत कर दी है। इस हिस्से पर पैदल आवाजाही भी शुरू कर दी गई है। केदारनाथ यात्रा को शुरू करने के लिए अन्य स्थानों पर भी हाईवे को दुरुस्त करने का काम तेजी से चल रहा है। 76 किलोमीटर लंबी रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग को विगत 31 जुलाई को आई आपदा से काफी नुकसान पहुंचा है। सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच हाईवे तीन स्थानों पर बह गया है। सोनप्रयाग से एक किलोमीटर आगे ऊर्जा निगम के पावर हाउस के पास डेढ़ सौ मीटर का हिस्सा पूरी तरह से वॉश आउट हो गया था।

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गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग की मरम्मत
इसके साथ ही मूनकटिया सहित दो स्थानों पर भी भूस्खलन से सड़क को काफी नुकसान पहुंचा था। एनएच ने शुक्रवार को डेढ़ सौ मीटर हिस्से को अस्थाई पर तौर पर ठीक कर पैदल आवाजाही के लायक बना दिया है। जबकि गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर मरम्मत का काम तेजी से चल रहा है। 16 किलोमीटर लंबा पैदल रास्ता अतिवृष्टि के कारण 29 जगह पर क्षतिग्रस्त हो गया है। जिसमें 16 स्थान पर रास्ता बह गया है। इन सड़कों को दुरुस्त करने के लिए भी तेजी से काम किया जा रहा है। पैदल मार्ग पर अतिवृष्टि से जगह-जगह पेयजल लाइनों को भी काफी क्षति पहुंची थी। यहां कई स्थानों पर पेयजल लाइन के पाइप भी इस आपदा के सैलाब में बह चुके हैं। जल संस्थान ने प्लास्टिक पाइप की मदद से पड़ावों से लेकर केदारनाथ तक अस्थाई तौर पर पानी की सप्लाई बहाल कर दी है।

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ठप पड़ी केदारनाथ यात्रा शुरू करने की कवायद
केदारनाथ-गौरीकुंड पैदल मार्ग को अतिवृष्टि से पहुंचे नुकसान के बाद से ठप पड़ी केदारनाथ यात्रा शुरू करने की कवायद तेजी से चल रही है। वहीं केदारनाथ यात्रा के लिए वैकल्पिक मार्गों की तलाश के लिए भी प्रशासनिक स्तर पर कवायद शुरू कर दी गई है। चौमासी-निवतर-रेका, धार-रामबाड़ा और रेकाधार-केदारनाथ पैदल मार्ग पर यात्रा संचालन की संभावनाओं को देखते हुए लोक निर्माण विभाग, वन, राजस्व और भू वैज्ञानिकों की संयुक्त टीम मार्ग सर्वेक्षण के लिए रवाना हुई है। यह दल इन मार्गो पर संवेदनशील स्थानों को चिन्हित करने के साथ ही मार्ग पर चढ़ाई, पानी की उपलब्धता सहित अन्य बिंदुओं का जायजा लेगा। दल की रिपोर्ट के आधार पर मार्गों को विकसित करने के लिए योजना बनाई जाएगी। वर्ष 2013 की आपदा के बाद से स्थानीय लोग और जनप्रतिनिधि केदारनाथ को इन वैकल्पिक मार्गों से जोड़ने की मांग कर रहे हैं। 31 जुलाई को केदारनाथ पैदल मार्ग पर आई आपदा के बाद कई यात्री और स्थानीय लोग इन्हीं रास्तों से होकर 84 पहुंचे थे। रेस्क्यू के इन पांच दिनों में 1134 लोगों ने में वैकल्पिक मार्गों का प्रयोग कर इन मार्क को भी यात्रा के लिए तैयार करने की ओर स्थानीय प्रशासन का ध्यान खींचा, जिसके बाद अब इन मार्गो के सर्वेक्षण का काम शुरू कर दिया गया है।

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