उत्तराखंड में फिर लगेगा पावर कट? वजह.. मांग ज्यादा, उत्पादन कम..
ऊर्जा प्रदेश उत्तराखंड में बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भरता लाने के मामले में प्रदेश की स्थिति बहुत ही खराब है। वर्तमान में राज्य में उत्पादित बिजली से दोगुनी बिजली की राज्य को जरूरत है लेकिन इस उपलब्धता को राज्य खुद अपने बूते पूरा करने की स्थिति में नहीं दिख रही है। केन्द्र से मिलने वाले अंश और पॉवर एक्सचेंज के माध्यम से प्रदेश में डिमांड को पूरा किया जा रहा है। इसके बावजूद डिमांड पूरी करने के लिए प्रतिदिन औसतन छह मेगावाट अतिरिक्त बिजली की दरकार पड़ रही है। वर्ष 2011-12 में कुल बिजली का उत्पादन वर्षभर 5261.82 मिलियन यूनिट था, जबकि मांग 10571.10 थी। दस साल गुजर जाने के बाद भी यह अंतर कम नहीं हुआ है। वर्ष 2021-22 में कुल विद्युत उत्पादन 5157.27 मिलियन यूनिट है। जबकि प्रदेश में बिजली की मांग 10679 मिलियन यूनिट पहुंच चुकी है। ऐसे में साफ है कि वर्ष 2011-2012 की तुलना में वर्ष 2021-22 में 104.55 मिलियन यूनिट उत्पादन कम हो रहा है।
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10 वर्षों में 107.9 मिलियन यूनिट डिमांड बढ़ी लेकिन क्षमता बढ़ी 16.31 मेगावाट
वहीं बिजली की डिमांड की बात करें तो दस वर्षों में 107.9 मिलियन यूनिट डिमांड बढ़ी है। बढ़ती बिजली की मांग के बावजूद राज्य में बिजली की स्थापित क्षमता में कोई बड़ा अंतर नहीं आया है। वर्ष 2011-12 में राज्य में बिजली की स्थापित क्षमता 1306.25 मेगावाट थी। वहीं वर्ष 2021-2022 में 1322.56 मेगावाट है। ऐसे में दस वर्षों में स्थापित क्षमता में 16.31 मेगावाट का ही अंतर आया है। बात साफ है कि ऊर्जा प्रदेश कहे जाने वाले उत्तराखंड में बिजली उत्पादन के क्षेत्र में अभी बहुत काम की दकरार है। अर्थ एंव संख्या निदेशालय की ओर से तैयार किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2021-2022 में राज्य में बिजली उत्पादन के लिए गैरपारंपरिक स्रोतों की संभावनाओं को देखते हुए सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा की परियोजनाओं को भी शामिल करने का सुझाव दिया गया है।
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पांच से 10 एमयू तक बिजली की कमी: प्रदेश में जल विद्युत परियोजना से करीब प्रतिदिन करीब 20 मिलियन यूनिट बिजली की डिमांड पूरी हो रही है। करीब 24 मिलियन यूनिट बिजली केन्द्र के अंश से मिल रही है। ऐसे में प्रदेश में प्रतिदिन 44 मिलियन यूनिट बिजली की उपलब्धता है। जबकि मांग प्रतिदिन 50 से 51 मिलियन यूनिट बिजली की प्रतिदिन की दरकार है।
कुल 126 मेगावाट की 14 परियोजनाएं प्रस्तावित: राज्य में वर्तमान में कुल 126 मेगावाट की 14 छोटी परियोजनाओं का निर्माण भी चल रहा है। इनके पूर्ण होने के बाद बिजली उत्पादन कुछ और बढ़ेगा। यह परियोजना 1.2 मेगावाट से लेकर 24 मेगावाट तक की हैं।
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रोज दो से ढाई करोड़ की बिजली खरीदः यूपीसीएल को प्रदेश में बिजली की डिमांड पूरी करने के लिए प्रतिदिन दो से ढाई करोड़ की बिजली की खरीद करनी पड़ रही है। प्रदेश में बिजली के टैरिफ में बढोतरी नहीं हुई है। टैरिफ में बढ़ोतरी की यूपीसीएल की याचिका को खारिज कर दिया गया था। अब यूपीसीएल दोबार याचिका लगाने की तैयारी कर रहा है।
सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन से हुआ है करारः जानकारी के मुताबिक यूपीसीएल ने प्रदेश में बिजली की बढ़ती डिमांड को देखते हुए बीते अक्तूबर में सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन से करार किया है। इस करार के बाद यूपीसीएल को 200 मेगावाट बिजली और मिलेगी। वहीं काशीपुर में गैस प्लांट की स्थापित हो चुका है। इससे भी यूपीसीएल को ढाई से तीन एमयू बिजली मिलेगी।
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यूपीसीएल के कॉमर्शियल एसई गौरव शर्मा ने कहा कि प्रदेश में जल विद्युत परियोजना पर ही बिजली उत्पादन की अधिक निर्भरता है। सोलर एनर्जी में भी काफी काम किया जा रहा है। हाइड्रो प्रोजेक्ट अपेक्षानुरूप तेजी से नहीं बढ़ पाए हैं। राज्य के अंदर बिजली उत्पादन की अपनी सीमा है। राज्य में बिजली की प्रतिदिन औसत डिमांड करीब 50 एमयू है। इनमें से 20 एमयू जल विद्युत परियोजनाओं और 24 एमयू केन्द्र से मिल रही है।
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