क्या होता है गुरिल्ला युद्ध?

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गुरिल्ला शब्द सुनते ही हम सभी के मन में वीर योद्धा महाराणा प्रताप व छत्रपति शिवाजी के युद्ध साथ में अमेरिका व वियतनाम की लड़ाई कौंध उठती है। अमेरिका को सैन्य इतिहास में पहली बार वियतनाम से मुंह की खानी पड़ी थी। यह एक युद्ध पद्धति है, जो इस विधा में निपुण होता है उन्हें गुरिल्ला कहा जाता है। इसमें कम नुकसान होता है और दुश्मनों पर मानसिक बढ़त बनाने का काम किया जाता है। वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद वर्ष 1963 में तत्कालीन परिस्थितियों से निपटने के लिए भारत सरकार ने केंद्रीय कैबिनेट के अधीन एसएसबी का गठन किया। इसकी हिमाचल, अरुणाचल, उत्तराखंड व कश्मीर के साथ ही देश के पूर्वोत्तर राज्यों में तैनाती की गई। एसएसबी सीमांत के गांवों में युवाओं को हथियार चलाने का प्रशिक्षण देती थी। यहीं से चुने गए युवक, युवतियों को 45 दिन की कठिन गुरिल्ला (छापामारी युद्ध पद्धति) का प्रशिक्षण दिया जाता था। गुरिल्ला युद्ध के लिए हिमाचल के सराहन और उत्तराखंड के ग्वालदम में प्रशिक्षण केंद्र बनाया गया। युवतियों को उत्तराखंड के पौड़ी में प्रशिक्षण दिया जाता था। इसके बाद इन्हें एक निश्चित मानदेय पर एसएसबी के हमराही वॉलेंटियर के रूप में तैनाती दी जाती थी। वर्ष 2001 में केंद्र सरकार ने एसएसबी को सशस्त्र बल में शामिल कर सशस्त्र सीमा बल नाम दे दिया और गुरिल्लों की भूमिका समाप्त कर दी। तभी से ये अपनी तैनाती के लिए निरंतर संघर्ष कर रहे हैं।

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क्या होता है गुरिल्ला युद्ध?
1- गुरिल्ला स्पेनिश भाषा का शब्द है। जिसका अर्थ होता है छोटी लड़ाई।
2- गुरिल्ला को आम भाषा में छापामार युद्ध बोला जाता है।
3- छोटी सैन्य टुकड़ियां शत्रुसेना पर पीछे से आक्रमण कर उन्‍हें भारी नुकसान पहुंचाती हैं।
4- गुरिल्ला सैनिकों का सिद्धांत ‘मारो और भाग जाओ’ होता है।
5- ये अचानक आक्रमण कर गायब हो जाते हैं।
6- इनके पास बहुत कम सामान होता हैं, जिससे हमला करने के बाद ये तेजी गायब हो जाते हैं।
7- इस युद्ध से दुश्मन सेना पर मानसिक दबाव बढ़ाया जाता था। दुश्मनों को मिलने वाली रसद, गोला बारूद व मेडिकल सहायता रोक दी जाती थी।

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भारत में कब हुई गुरिल्ला युद्ध की शुरुआत?
1- सबसे पहले पहले महाराणा प्रताप ने अकबर के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध किया था।
2- इसके बाद छत्रपति शिवाजी महाराज ने औरंगजेब के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध किया।
3- गुरिल्ला युद्ध से मराठों ने मुगल सेना की नाक में दम कर दिया था।
4- दुनिया में सबसे पहले इसका प्रयोग छठीं शताब्दी ईसा पूर्व चीनी जनरल ने किया था। उन्होंने अपनी किताब द आर्ट ऑफ वॉर में इसका जिक्र भी किया है।
5- महाराणा प्रताप व छत्रपति शिवाजी गुरिल्ला युद्ध के महारथी थे।

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