बड़ी खबर: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने रद्द की ये भर्ती परीक्षा, दोबारा होगी आयोजित। प्रश्न पत्र में थे कई सवाल गलत..
उत्तराखंड: सरकार भले ही युवाओं को रोजगार देने के दावे कर रही हो। लेकिन उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से कराई जाने वाली शायद ही कोई ऐसी परीक्षा हो, जिसमें विवाद ना हुआ हो। आयोग की ओर से कराई जाने वाली कई परीक्षाओं के परिणामों पर सवाल खड़े हो चुके हैं। कई मामले हाईकोर्ट में लंबित भी चल रहे हैं। परीक्षाओं में नकल और धांधली के आरोप आम बात हो गए हैं। बावजूद इसके सरकार कोई सख्त कदम नहीं उठा रही। अब आयोग द्वारा एक अन्य परीक्षा को रद्द कर दिया गया है। इस भर्ती परीक्षा में कोई एक दो नहीं बल्कि पूरे कई प्रश्नों के जवाब गलत पाए गए। इससे पहले भी कई परीक्षाओं में इस तरह की दिक्कतें सामने आ चुकी हैं। जिनमें प्रश्नों के जवाब गलत दिए गए थे।
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उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने पिछले साल सितंबर में कराई गई सहायक लेखाकार भर्ती परीक्षा को रद्द कर दिया है। परीक्षा के बाद हजारों अभ्यर्थियों ने पूछे गए प्रश्नों को लेकर सवाल उठाए थे और आयोग से शिकायत भी की थी। अभ्यर्थियों के बढ़ते विरोध को देखते हुए आयोग ने विशेषज्ञों से प्रश्नपत्रों का परीक्षण कराया। जिसकी रिपोर्ट आने के बाद परीक्षा को रद्द कर दिया गया। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने सहायक समीक्षा अधिकारी (लेखा), लेखाकार, सहायक लेखाकार, कैशियर, लेखा परीक्षक, कार्यालय सहायक तृतीय (लेखा) के 662 पदों पर भर्ती के लिए पांच फरवरी 2021 को विज्ञप्ति जारी की थी। रिक्त पदों के सापेक्ष करीब 23 हजार अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। आवेदन की जांच के बाद इस परीक्षा के लिए 18,640 अभ्यर्थियों को प्रवेश पत्र जारी किए गए थे।
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आॅनलाइन परीक्षा के लिए देहरादून में छह, नैनीताल में चार, हरिद्वार में तीन, पौड़ी गढ़वाल में दो व चमोली, उत्तरकाशी, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चंपावत व बागेश्वर में एक-एक परीक्षा केंद्र बनाए गए। आनलाइन परीक्षा 12 से 14 सितंबर 2021 के बीच छह पालियों में कराई गई। तीन दिन चली परीक्षा में 9341 अभ्यर्थी शामिल हुए। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सचिव संतोष बडोनी ने बताया कि परीक्षा के बाद अभ्यर्थियों ने विरोध शुरू कर दिया था। अभ्यर्थियों ने परीक्षा की सभी पालियों के प्रश्न पत्रों की जांच की मांग उठाई थी। जिसके बाद आयोग ने विशेषज्ञों की राय लेने का निर्णय लिया। विशेषज्ञों ने सभी प्रश्न पत्रों का परीक्षण किया और कई तरह की त्रुटियों को रेखांकित कर दो दिन पहले आयोग को अपनी रिपोर्ट सौंपी। जिसके बाद निरस्त के आदेश जारी किए गए।
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