Uttarakhand: चर्चित उद्यान घोटाला… जल्द हो सकती है कुछ लोगों की गिरफ्तारी, पूर्व और मौजूदा मंत्री ने झाड़े हाथ..

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एजेंसी ने अधिकारियों और कर्मचारियों के ठिकानों से महत्वपूर्ण दस्तावेज जुटाए हैं। बताया जा रहा कि सीबीआई इन अधिकारियों और कर्मचारियों में से कुछ को जल्द गिरफ्तार भी कर सकती है।

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चर्चित उद्यान घोटाले में सीबीआई ने कार्रवाई शुरू कर दी है। विभाग के पूर्व निदेशक एचएस बवेजा, पूर्व मुख्य उद्यान अधिकारी नैनीताल राजेंद्र कुमार सिंह समेत कुल 26 लोगों से सीबीआई ने बृहस्पतिवार को पूछताछ की। इनमें उत्तराखंड के विभागीय अधिकारी और जम्मू कश्मीर व हिमाचल की नर्सरी से जुड़े कर्मचारी शामिल हैं। तीनों राज्यों में 20 से ज्यादा जगहों पर तलाशी भी ली गई। वहीं उत्तराखंड में आज सीबीआई ने तीन कर्मचारियों को पूछताछ के लिए उठाया है। सीबीआई ऑफिस वसंत विहार में कर्मचारियों से पूछताछ की जा रही है। पिछले साल अक्टूबर से सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है, हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई को मामले की जांच सौंपी गई थी। बताया जा रहा है कि मामले में आज शाम तक कर्मचारियों में से कुछ की गिरफ्तारी भी हो सकती है। उत्तराखंड उद्यान विभाग में फलदार पौधों की ख़रीद में बड़ी गड़बड़ी में हुई थी, नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर इस मामले सीबीआई ने सीबीसीआईडी से इस जांच से संबंधित दस्तावेज हासिल कर लिए थे इसमें पीई (प्राथमिक जांच) दर्ज कर सीबीआई ने जांच शुरू कर दी थी।

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पूर्व विभागीय मंत्री ने कहा- कोई लेना-देना नहीं..
उद्यान घोटाले में निदेशक एचएस बवेजा पर सीबीआई जांच का शिकंजा कसने के बाद सवाल उद्यान मंत्रालय पर भी उठ रहे हैं। रोचक बात यह है कि पूर्व और और मौजूदा उद्यान मंत्रियों ने बवेजा के मामले में सीधे जवाबदेही से हाथ झाड़ लिए हैं। बवेजा को उद्यान निदेशक बनाने के लिए फरवरी 2021 में उत्तराखंड लाया गया था। उस वक्त त्रिवेंद्र सरकार में उद्यान एवं कृषि मंत्री का जिम्मा मौजूदा सरकार के वन मंत्री सुबोध उनियाल संभाल रहे थे। उनियाल का कहना है कि बवेजा की नियुक्ति को लेकर मंत्रालय, विभाग या विभागीय मंत्री का कोई लेना-देना नहीं है। उद्यान निदेशक की विज्ञप्ति के बाद जो साक्षात्कार होते हैं, मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति करती है। साक्षात्कार में दस्तावेजों की जांच होती है। इसके बाद ही निदेशक को विभाग में भेजा गया। समिति का यह देखना चाहिए था कि उन पर आरोप है या नहीं हैं।

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मौजूदा मंत्री ने भी झाड़े हाथ, हरदा का तंज
वहीं मौजूदा उद्यान मंत्री गणेश जोशी ने भी इस मामले से साफ-साफ हाथ झाड़ लिए हैं। मंत्री का कहना है कि यह मामला उनके कार्यकाल नहीं है। बावेजा ने इस तथ्य को छुपाया की हिमाचल में भी उसके खिलाफ जांच चल रही थी। उसने जब अपने दस्तावेज यहां जमा किए उसने इसका उल्लेख नहीं किया। जब मेरे संज्ञान में मामला आया तो मैंने जांच बैठा दी। एसआईटी भी बनाई। सीबीआई जांच कर रही है। दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। उधर, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी इस मामले में तंज करने से नहीं चूके। उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं। यह जिम्मेदारी हमेशा कैबिनेट या मंत्री या फिर मुख्यमंत्री की होती है। इन तीनों को ही जिम्मा लेना पड़ेगा।

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उद्यान घोटाला केस में CBI ने 26 लोगों से की पूछताछ
आपको बता दें कि चर्चित उद्यान घोटाले में सीबीआई ने कार्रवाई शुरू कर दी है। विभाग के पूर्व निदेशक एचएस बवेजा, पूर्व मुख्य उद्यान अधिकारी नैनीताल राजेंद्र कुमार सिंह समेत कुल 26 लोगों से सीबीआई ने बृहस्पतिवार को पूछताछ की। इनमें उत्तराखंड के विभागीय अधिकारी और जम्मू कश्मीर व हिमाचल की नर्सरी से जुड़े कर्मचारी शामिल हैं। तीनों राज्यों में 20 से ज्यादा जगहों पर तलाशी भी ली गई। एजेंसी ने अधिकारियों और कर्मचारियों के ठिकानों से महत्वपूर्ण दस्तावेज जुटाए हैं। बताया जा रहा कि सीबीआई इन अधिकारियों और कर्मचारियों में से कुछ को जल्द गिरफ्तार भी कर सकती है। घोटाले की बात उद्यान निदेशालय रानीखेत से अप्रैल 2022 में उठी थी। उस वक्त लोगों ने क्षेत्र के बागान और निदेशालय की हालात पर चिंता जाहिर की थी।

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गौरतलब है कि अल्मोड़ा निवासी दीपक करगेती, गोपाल उप्रेती व अन्य ने जनहित याचिका दाखिल कर उद्यान विभाग में घोटाले का आरोप लगाया था याचिकाओं में कहा गया है कि उद्यान विभाग में करोड़ों का घोटाला किया गया है फलदार पौध की खरीद में गड़बड़ियां की गई है। विभाग ने एक ही दिन में वर्क ऑर्डर जारी कर उसी दिन जम्मू कश्मीर से पौधे लाना दिखाया है। जिसका भुगतान भी कर दिया गया है। यही नहीं जिस कंपनी से पौधे खरीदना दिखाया, उसे लाइसेंस ही उसी दिन मिला था। जिस दिन खरीद हुई। इन याचिकाओं के आधार पर हाईकोर्ट ने इसकी जांच के आदेश दिए थे। शासन के निर्देश पर सीबीआई को यह जांच सौंपी गई, लेकिन याचिकाकर्ता इस जांच से संतुष्ट नहीं हुए ऐसे में उन्होंने फिर से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। पिछले साल अक्टूबर में हाईकोर्ट ने इस जांच को सीबीआई के हवाले करने के आदेश दिए थे। इस मामले में उत्तराखंड उद्यान विभाग के डायरेक्टर को शासन ने सस्पेंड भी किया था।

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