झंकझोर के रख देती है गढवाली फिल्म ‘पलायन’ य विपदा की कहानी। आप भी जरूर देखें..

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The story of the Garhwali film 'Palayan' Ya Vipdha leaves the heart shuddering. hillvani news

The story of the Garhwali film 'Palayan' Ya Vipdha leaves the heart shuddering. hillvani news

उत्तराखंड में पलायन एक प्रमुख मुद्दा है तो वहीं सरकार के लिए चिंता का विषय भी है। पलायन का दंश उत्तराखंड के लगभग सभी गांव झेल रहे हैं। उसी पीड़ा को एक फ़िल्म के माध्यम से प्रस्तुत किया है अजीत कैंतुरा ने। जिसमें लुठियाग गांव के युवाओं ने ही अभिनय किया है। अभिनय काबिले तारीफ है। गांव के गांव खाली होने के पीछे कई कारण हैं। इसमें रोजगार, शिक्षा और सड़क जैसी समस्याएं शामिल हैं। इसी पीड़ा को समझते हुए अजीत कैंतुरा सहित अन्य कलाकारों ने एक फिल्म का निर्माण किया ‘पलायन’ य विपदा

अजीत कैंतुरा ने अपने गांव लुठियाग में ही हो रहे पलायन की पीड़ा को समझते हुए एक कहानी लिखी और उसको एक फिल्म के रूप देने पर जुट गए। इस फिल्म निर्माण के लिए गांव के ही रहवासियों कुलदेव सिंह कैंतुरा, उत्तम सिंह मेहरा, पदम सिंह मेहरा, प्रीतम सिंह कैंतुरा, महावीर सिंह कैंतुरा, जगदीप सिंह मेहरा, अरविंद सिंह मेहरा, राजदीप सिंह कैंतुरा सहित कुमारी किरन कैंतुरा, कुमारी कृष्णा मेहरा, कुमारी कंचन मेहरा, कुमारी सोनम कैंतुरा, कुमारी शशि मेहरा, कुमारी पार्वती कैंतुरा ने भी अपनी बड़ी भूमिका निभाते हुए अभिनय भी किया है। सभी का कलाकारों का अभिनय और सभी का फिल्म निर्माण के प्रति सम्पर्ण काबिले तारीफ है।

इस फिल्म में गांवों से हो रहे पलायन के दर्द को दर्शाया गया है। इस फिल्म का निर्माण सीमीत संसाधनों द्वारा किया गया। इस फिल्म में दर्शाया गया है कि गांव के लोग कितने संघर्ष और सुख-सुविधाओं के अभाव में जिंदगी जीते थे। गांव के लोग खेती और ध्याड़ी मजदूरी करके अपना गुजर-बसर करते हैं। फिल्म में गांव की संस्कृति, परंपरा, रीतीरिवाजों और संस्कृति को भी बखूबी दर्शाया गया है। खासबात यह है कि फिल्म में गांव की गरीबी को दर्शाया गया। फिल्म में फिल्माया गया है कि कैसे एक ध्याड़ी-मजदूरी करने वाला गरीब पिता अपने बेटे भूतड़ू को पढ़ाने की बजाए बचपन में ही होटल में नौकरी के लिए भेज देता। जिसके बाद कई दिनों तक बेटे की हाल-खबर न मिलने पर बुढ़े मां-बाप रात-दिन बेटे को याद कर रोते रहते हैं।

इस फिल्म के माध्यम से लुठियाग के खान-पान और रहन-सहन को लेकर एक झूमैला भी तैयार किया गया है, जो वाकई काबिले तारीफ है। फिल्म में काम करने वाले हर पात्र ने इतना सुंदर अभिनय किया है जिसकी तारीफ जीतनी की जाए उतनी ही कम है। फिल्म में उत्तम सिंह मेहरा द्वारा हास्य और गंभीर किरदार निभाते हुए फिल्म को ओर शानदार बनाया है। कम संसाधनों में बनी यह फिल्म दर्शकों को बहुत पसंद आ रही है और फ़िल्म को लोग लगातार यूट्यूब पर देख रहे हैं। यह फिल्म खबर लिखे जाने तक 4.8K दर्शक देख चुके हैं। आप भी जरुर इस फिल्म को देखें और अधिक से अधिक शेयर करें। जिससे कि सभी को प्रोत्साहन मिले।

कहानी लेखक- कुलदेव सिंह कैंतुरा, अजीत सिंह कैंतुरा
निर्माता- अजीत सिंह कैंतुरा
निर्देशक- कुलदेव सिंह कैंतुरा, श्री उत्तम सिंह मेहरा
कैमरा- अजीत सिंह कैंतुरा, जगदीप सिंह मेहरा
पुरूष कलाकार- कुलदेव सिंह कैंतुरा, उत्तम सिंह मेहरा, पदम सिंह मेहरा, प्रीतम सिंह कैंतुरा, महावीर सिंह कैंतुरा, अजीत सिंह कैंतुरा, जगदीप सिंह मेहरा, अरविंद सिंह मेहरा, राजदीप सिंह कैंतुरा
महिला कलाकार- कुमारी किरन कैंतुरा, कुमारी कृष्णा मेहरा, कुमारी कंचन मेहरा, कुमारी सोनम कैंतुरा, कुमारी शशि मेहरा, कुमारी पार्वती कैंतुरा

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