खीर गंगा नदी का इतिहास रहा है बड़ा खतरनाक, 19वीं सदी में दब गए थे 240 मंदिर..

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Uttarkashi Cloudburst. Hillvani

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गंगोत्री धाम का प्रमुख पड़ाव धराली खीर गंगा नदी में आए मलबे के सैलाब से तबाह हो गया, बीते दिन करीब डेढ़ बजे अचानक आए सैलाब के चलते चारों और मलबा ही मलबा फैल गया। खीर गंगा नदी में पहाड़ों से बहकर आए मलबे से धराली गांव के बाजार, मकान और होटल बह गए। सिर्फ 34 सेकेंड में सब कुछ बर्बाद हो गया। धराली के अलावा हर्षिल और सुक्की में बादल फटा है। हर्षिल इलाके में बादल फटने से सेना के 8 से 10 जवानों के लापता होने की खबर है। प्रशासन का कहना है कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। SDRF, NDRF, ITBP और आर्मी की टीमें बचाव और रेस्क्यू के काम में जुटी हैं। अब तक 130 से ज्यादा लोगों का रेस्क्यू किया जा चुका है। आपदा में धराली में स्थित प्राचीन कल्प केदार महादेव मंदिर भी मलबे में दफन हो गया। भागीरथी नदी किनारे स्थित प्रचिन मंदिर पंच केदार परंपरा से जुड़ा है। स्थानीय लोगों की आस्था का सबसे बड़ा केंद्र था।

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विनाशकारी बाढ़ के लिए कुख्यात रही है खीर गंगा नदी
भागीरथी नदी की सहायक खीर गंगा में बाढ़ की यह कोई पहली घटना नहीं है। श्रीकंठ पर्वत शिखर से निकलने वाली खीर गंगा नदी अपनी विनाशकारी बाढ़ के लिए कुख्यात रही है। 19वीं सदी में इस नदी में आई बाढ़ में कभी कल्पकेदार मंदिर समूह का हिस्सा रहे 240 मंदिर मलबे में दब गए थे। उसके बाद भी इस नदी में समय-समय पर सैलाब आता रहा। वर्ष 2013 व 18 में भी खीर गंगा नदी में आई बाढ़ से काफी नुकसान हुआ था। दरअसल, गोमुख से निकलने वाली गंगा(भागीरथी) नदी में कई छोटी-बड़ी सहायक नदियां मिलती है। धराली के पास भागीरथी नदी में खीर गंगा नदी का मिलन होता है। लेकिन इस नदी का पानी जितना शांत प्रतीत होता है। उससे कहीं अधिक रोंगटे खड़े कर देने वाला इतिहास समेटे हुए है।

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19वीं सदी में दब गए थे 240 मंदिर
जानकार बताते हैं कि कभी धराली में 240 मंदिरों का समूह हुआ करता था, जो कि कत्यूरी शैली में बने हुए थे। इन मंदिरों का उल्लेख वर्ष 1816 में गंगा भागीरथी के उद्गम की खोज में निकले अंग्रेज यात्री जेम्स विलियम फ्रेजर ने भी अपने यात्रा वृत्तांत में किया है। लेकिन 19वीं सदी की शुरुआत में खीरगंगा नदी में आई विनाशकारी बाढ़ में उक्त मंदिरों का समूह मलबे में दब गया।

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गंगोत्री हाईवे तक पहुंच जाता है बाढ़ का मलबा
इसके बाद वर्ष 2013 में जब भागीरथी नदी में विनाशकारी बाढ़ आई, तब भी खीरगंगा नदी में बाढ़ आई थी। वर्ष 2018 के अगस्त माह में रात करीब दस बजे खीर गंगा में उफान के साथ भारी मलबा आया था, जिससे गंगोत्री हाईवे पर बनी पुलिया चोक होने के बाद ऊपरी हिस्से में मलबे का जमाव बढ़ता चला गया। नदी के पानी के साथ आया मलबा यहां बाढ़ सुरक्षा दीवार को फांद कर 50 से अधिक होटल एवं घरों में जा घुसा था। प्राचीन कल्प केदार मंदिर का आधा हिस्सा मलबे में दब गया। साथ ही आपदा में नदी से लगे सेब के बागीचों को भारी नुकसान पहुंचा था।

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